तिरुवनंतपुरम पर निबंध – Essay on Thiruvananthapuram in Hindi

इस आर्टिकल में तिरुवनंतपुरम पर निबंध (Essay on Thiruvananthapuram in Hindi) के जरिये हम तिरुवनंतपुरम के बारे में विस्तार से जानने की कोशिस करेंगे। तिरुवनन्तपुरम (मलयालम) त्रिवेन्द्रम केरल प्रान्त की राजधानी है। यह नगर तिरुवनन्तपुरम जिले का मुख्यालय भी है। केरल की राजनीति के अलावा शैक्षणिक व्यवस्था का केन्द्र भी यही है।

कई शैक्षणिक संस्थानों में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र कुछ प्रसिद्ध नामों में से हैं। भारत की मुख्य भूमि के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी तट पर बसे इस नगर को महात्मा गांधी ने भारत का नित हरा नगर की संज्ञा दी थी।

तिरुवनंतपुरम पर निबंध – Essay on Thiruvananthapuram in Hindi

केरल, जिसे भगवान खुद के नाम से जाना जाता है, भारत में किसी भी तरह की छुट्टियों के लिए कुछ सर्वोत्तम पर्यटन स्थल हैं। यह नारियल, बैकवाटर, हाथियों और समृद्ध संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि है, और दुनिया भर के यात्रियों द्वारा स्थानों की सबसे अधिक मांगों में से एक है

यह बिना संदेह है कि पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और यही कारण है कि इसे ‘गॉड्स ओन कंट्री’ कहा जाता है। मालाबार तट के साथ-साथ शानदार घाटियों के विशाल घास के मैदानों के माध्यम से पश्चिमी घाटों में शानदार रोलिंग पहाड़ी चाय बागानों के माध्यम से काटने के लिए, केरल के परिदृश्य लगभग अपने लोगों और केरल के लोगों की संस्कृति और इतिहास के रूप में विविध है।

पर्यटकों को आकर्षित करने में एक प्रमुख कारक है यदि आप केरल की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह छुट्टी विशेषज्ञों के स्वामित्व वाले केरल में आने के सर्वोत्तम स्थानों का चयन है।

केरल, दुनिया में सबसे भयानक पर्यटन स्थलों में से एक है और यही कारण है कि इसे ‘गॉड ऑफ ओन कंट्री’ कहा जाता है। केरल में किसी भी प्रकार के परिवार की छुट्टी या छुट्टी या हनीमून के लिए दुनिया में कुछ बेहतरीन स्थलों हैं।

केरल के पर्यटन स्थल समृद्ध संस्कृतियों, परंपराओं और लोक नृत्यों का एकीकरण है और हाथियों, नारियल, बैकवाटर और अनूठे स्थानीय व्यंजनों की भूमि भी है।

मल्लार शोर के साथ मल्लार शोर के भयानक समुंदरों से अलप्पे और कुमाराकम में बैकवॉटर मार्गों की भूलभुलैया तक मुन्नार में शानदार शीतल पहाड़ी चाय बागानों के लिए, केरल की दृश्यावली और ब्याज के अंक लगभग अलग-अलग और अद्वितीय हैं क्योंकि इसके व्यक्तियों और जीवनशैली और रिकॉर्ड के बारे में केरल के व्यक्तियों को दुनिया भर से आगंतुकों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण घटक है।

यदि आप केरल की जांच करने की तैयारी कर रहे हैं, तो आईरिस छुट्टियों में विशेषज्ञ छुट्टी पेशेवरों द्वारा बनाई गई केरल में आने के लिए यहां शीर्ष 15 स्थानों का चयन किया गया है।

इतिहास

Essay on Thiruvananthapuram in Hindi: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम को त्रिवेंद्रम के नाम से भी पुकारा जाता है। देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर इस शहर को महात्मा गांधी ने नित हरा नगर की संज्ञा दी थी।

इस नगर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास १००० ईसा पूर्व से शुरू होता है। त्रावणकोर के संस्थापक मार्त्ताण्डवर्म्म ने तिरुवनंतपुरम को अपनी राजधानी बनाया जो उनकी मृत्यु के बाद भी बनी रही।

स्वतन्त्रता के बाद यह त्रावणकोर- कोचीन की राजधानी बनी। १९५६ में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह नगर प्राचीन काल से ही एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है।

तिरुवनंतपुरम की सबसे बड़ी पहचान श्री पद्मनाभस्वामी का मंदिर है जो लगभग २००० साल पुराना है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह नगर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और शोभायमान तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहां खीचें चले आते हैं।

प्रसिद्ध स्थल

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर

यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल है। पूर्वी दुर्ग के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसकी अनुभूति इसका सात मंजिला गोपुरम देखकर हो जाता है।

केरल और द्रवि‍ड़ियन वास्तुशिल्प में निर्मित यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। पद्मा तीर्थम, पवित्र कुंड, कुलशेखर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं।

२६० वर्ष पुराने इस मंदिर में केवल हिंदु ही प्रवेश कर सकते हैं। पुरुष केवल श्वेत धोती पहन कर यहां आ सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर राजसी परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने (१५ मार्च – १४ अप्रैल) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने (अक्टूबर-नवंबर) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

तिरुवनंतपुरम वेधशाला

यह वेधशाला तिरुवनंतपुरम के संग्रहालय परिसर में स्थित है। महाराजा स्वाति तिरुनाल ने १८३७ में इसका निर्माण करवाया था। यह भारत की सबसे पुरानी वेधशालाओं में से एक है। यहां आप अंतरिक्ष से सम्बन्धित सारी जानकारी प्राप्‍त कर सकते है। पहाड़ी के सामने एक अतिसुन्दर उद्यान है जहां गुलाब के फूलों का अत्योत्तम संग्रह है। वर्तमान में इसकी पर्यवेक्षण भौतिकी विभाग, केरल विश्वविद्यालय द्वारा की जाती है।

चिड़ियाघर

पी.एम.जी. संगम के पास स्थित यह चिड़ियाघर भारत का दूसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर है। ५५ एकड़ में फैला यह जैविक उद्यान वनस्पति उद्यान का भाग है। इसका निर्माण १८५७ ई. में त्रावणकोर के महाराजा द्वारा बनाए गए संग्रहालय के एक भाग के रूप में हुआ था।

यहां देशी-विदेशी वनस्पति और जंतुओं का संग्रह है। यहां आने पर ऐसा लगता है जैसे कि नगर के बीचों बीच एक वन बसा हो। रैप्टाइल हाउस में सांपों की अनेक प्रजातियां रखी गई हैं। इस चिड़ियाघर में नीलगिरी लंगूर, भारतीय गैंडा, एशियाई सिम्ह और राजसी बंगाल व्याघ्र भी आपको दिख जाएगें।

वाइजिनजाम

Essay on Thiruvananthapuram in Hindi: तिरुवनंतपुरम से17 किलोमीटर दूर वाइजिनजाम मछुआरों का गांव है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा और बीच रिजॉर्ट के लिए प्रसिद्ध है। वाइजिनजाम का एक अन्य आकर्षण चट्टान को काट कर बनाई गई गुफा है जहां विनंधरा दक्षिणमूर्ति का एक मंदिर है। इस मंदिर में 18वीं शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई प्रतिमाएं रखी गई हैं।

मंदिर के बाहर भगवान शिव और देवी पार्वती की अर्धनिर्मित प्रतिमा स्थापित है। वाइजिनजाम में मैरीन एक्वैरियम भी है जहां रंगबिरंगी और आकर्षक मछलियां जैसे क्लाउन फिश, स्क्विरिल फिश, लायन फिश, बटरफ्लाइ फिश, ट्रिगर फिश रखी गई हैं। इसके अलावा आप यहां सर्जिअन फिश और शार्क जैसी शिकारी मछलियां भी देख सकते हैं।

कनककुन्नु महल

नेपिअर संग्रहालय से 800 मी. उत्तर पूर्व में स्थित यह महल केरल सरकार से संबंद्ध है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर बने इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल राजा के शासन काल में हुआ था। इस महल की आंतरिक सजावट के लिए खूबसूरत दीपदानों और शाही फर्नीचर का प्रयोग किया गया है।

यहां स्थित निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम और सूर्यकांति ओडिटोरिअम में अनेक सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्यटन विभाग निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम में प्रतिवर्ष अखिल भारतीय नृत्योत्सव का आयोजन करता है। इस दौरान जानेमाने कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

नेपियर संग्रहालय

लकड़ी से बनी यह आकर्षक इमारत शहर के उत्तर में म्यूजियम रोड पर स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसका निर्माण 1855 में हुआ था। मद्रास के गवर्नर लॉर्ड चाल्र्स नेपियर के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया है। यहां शिल्प शास्त्र के अनुसार 8वीं-18वीं शताब्दी के दौरान कांसे से बनाई गई शिव, विष्णु, पार्वती और लक्ष्मी की प्रतिमाएं भी प्रदर्शित की गई हैं।

चाचा नेहरु बाल संग्रहालय

यह बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। इसकी स्थापना 1980 में की गई थी। यह सिटी सेंट्रल बस स्टेशन से 1 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस संग्रहालय में विभिन्न परिधानों में सजी 2000 आकृतियां रखी गई हैं। यहां हेल्थ एजुकेशन डिस्प्ले, एक छोटा एक्वेरिअम और मलयालम में प्रकाशित पहली बाल साहित्य की प्रति भी प्रदर्शित की गई है।

शंखुमुखम बीच

यह बीच शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। इसके पास ही तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा है। इंडोर मनोरंजन क्लब, चाचा नेहरु ट्रैफिक ट्रैनिंग पार्क, मत्सय कन्यक और स्टार फिश के आकार का रेस्टोरेंट यहां के मुख्य आकर्षण हैं। नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नजारा यहां बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस बीच पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।

कोवलम बीच

Essay on Thiruvananthapuram in Hindi: तिरुवनंतपुरम से 16 किलोमीटर दूर स्थित कोवलम बीच केरल का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र है। रेतीले तटों पर नारियल के पेड़ों और खूबसूरत लैगून से सजे ये बीच पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह विश्व के सबसे अच्छे तटों में से एक है। कोवलम के तटों पर अनेक रेस्टोरेंट हैं जिनमें आपको सी फूड मिल जाएगें।

आट्टुकाल देवी का मंदिर

अट्टुकल पोंगल महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। यह उत्सव तिरुवनंतपुरम से 2 किलोमीटर दूर देवी के प्राचीन मंदिर में मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव की शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के भरानी दिवस (कार्तिक चंद्र) को होती है।

पोंगल एक प्रकार का व्यंजन है जिसे गुड़, नारियल और केले के निश्चित मात्रा को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी का पसंदीदा पकवान है। धार्मिक कार्य प्रात:काल ही शुरू हो जाते हैं और दोपहर तक चढ़ावा तैयार कर दिया जाता है। पोंगल के दौरान पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है। मुख्य पुजारी देवी की तलवार हाथों में लेकर मंदिर प्रांगण में घूमता है और भक्तों पर पवित्र जल और पुष्प वर्षा करता है।

खानपान

त्रिवेंद्रम के हर प्रमुख मार्ग के कोने पर चाय और पान की दुकानें मिल जाएंगी। केले के चिप्स यहां की विशेषता है। स्वादिष्ट केले के चिप्स के लिए कैथामुक्कु या वाईडब्ल्यूसीए रोड, ब्रिटिश पुस्तकालय के पास जा सकते हैं। यहां ताजे और अच्छे चिप्स मिलते हैं। त्रिवेंद्रम में ऐसे कई जलपान गृह भी हैं जो उत्तर भारतीय भोजन परोसते है। यहां नारियल के तेल का प्रयोग प्राय: हर व्यंजन में होता है।

उम्मीद करता हु तिरुवनंतपुरम पर निबंध (Essay on Thiruvananthapuram in Hindi) के माध्यम से तिरुवनंतपुरम के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी। अगर आप कुछ पूछना या जानना चाहते है, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर जाकर अपना सन्देश भेज सकते है। हम आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे। इस पोस्ट को पढने के लिए आपका धन्यवाद!