झारखंड पर निबंध – Essay on Jharkhand in Hindi

आज हम इस पोस्ट के माध्यम के द्वारा झारखंड पर निबंध (Essay on Jharkhand in Hindi) बारे में चर्चा करेंगे. भारत के 28 वें राज्य के रूप में 15 नवम्बर 2000 के दिन स्थापना की गई. झारखंड शब्द दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना हैं झार और खंड. झार का अर्थ झाड़ी या वन से जबकि खंड का आशय टुकड़ा या भाग अथवा क्षेत्र हैं.

इस तरह वन क्षेत्र इसका शाब्दिक अर्थ होता हैं. भारत के अग्रणी वन राज्यों में झारखंड की गिनती होती हैं. यहाँ सर्वाधिक मात्रा में वन सम्पदा पाई जाती हैं. सर्वप्रथम झारखंड शब्द का प्रयोग एतरेय ब्राह्मण में हुआ है जिन्हें पुंड शब्द कहा गया था. इसके अतिरिक्त पद्मावत, अकबरनामा, कबीर की रचनाओं इस प्रदेश को झारखंड कहा गया हैं.

झारखंड पर निबंध – Essay on Jharkhand in Hindi

झारखण्ड भारत का एक राज्य है। राँची इसकी राजधानी है। झारखंड की सीमाएँ उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, दक्षिण में ओड़िशा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती हैं। लगभग संपूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड प्रदेश का सृजन किया गया था। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं।

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उदहारण 1. झारखंड पर निबंध (Essay on Jharkhand in Hindi)

छोटा नागपुर पठार पर स्थित आदिवासी बहुल झारखंड राज्य निर्माण से पूर्व दक्षिणी बिहार का भाग था. आजादी के बाद से इस क्षेत्र के लोगों ने अलग राज्य बनाने की मांग निरंतर रही, आखिर वर्ष 2000 में जब अटल बिहारी वाजपेयी थे उन्ही ने छतीसगढ़, उत्तराखंड के साथ ही झारखंड राज्य के निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी गई.

राज्य की स्थापना का दिवस 15 नवम्बर को चुना गया, यह बिरसा मुंडा का जन्मदिन दिन भी हैं. आदिवासी समुदाय के बड़े नेता थे. जिन्होंने 1895 से 1900 तक अंग्रेज सरकार के विरुद्ध आंदोलन किया था. राज्य की राजधानी रांची हैं. जमशेदपुर राज्य का सबसे बड़ा महानगर हैं. धनबाद, बोकारो भी औद्योगिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध हैं. भारत में नक्सल समस्या से प्रभावित राज्यों में झारखंड भी एक हैं.

झारखंड राज्य का इतिहास

शुरुआत से ही झारखंड का क्षेत्र आदिवासी समुदाय बहुल था. जब अंग्रेजों की दखल इस क्षेत्र में बढ़ने लगी तो वहां के लोगों ने 1765 में ईस्ट इंडिया का घोर विरोध किया तथा अपना राज्य को बचाने के लिए 1771 से 1900 जन आंदोलन चले.

पहरिया लीडर, तिलका मांझी ने इस क्षेत्र में 1771 में पहली बार ब्रिटिश सरकार एवं जमींदारों के प्रति आवाज उठाई. वे जागीर दारी प्रथा की खिलाफत के लिए खड़े हुए और अपने पूर्वजों की जमीन असली मालिको को लौटाने की पुरजोर मांग रही. इसके बाद 1779 में भूमिज समुदाय के लोहो ने मनभूम तथा बाद पलामू की चेरो जनजाति ने अंग्रेजों के प्रति विद्रोह किया.

1855 में हुआ संथाल आदिवासी एवं किसान आंदोलन इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जन आंदोलन था. इसके बाद कोल और सींथल आंदोलन हुए और बिरसा मुंडा झारखंड के अंतिम आंदोलनकारी थे. आजादी के बाद जेडीयू तथा कांग्रेस के सहयोग से बीजेपी ने राज्य निर्माण किया.

झारखंड की समस्याएं व बाधाएं

हमारे राज्य के निर्माण के 19 वर्षों के पुरे होने के बाद भी राज्य में गरीबी और कमजोर प्रशासन की स्थिति बरकरार हैं. राज्य की 35 प्रतिशत आबादी अभी तक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं जबकि 20 प्रतिशत बच्चें कुपोषण एवं भुखमरी के शिकार हैं.

तिलका मांझी और सिधु कान्हू के सपनों का झारखंड बनाने में पांच बड़ी विकास की बाधाएं हैं. राज्य के निर्माण के बाद की राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण अब तक राज्य के इतिहास में 13 सरकारे बदल चुकी हैं पिछले कुछ सालों से बीजेपी सरकार स्थायी सरकार व प्रशासन दे रही हैं.

राज्य में इन सालों में व्यापक स्तर पर घोटाले भी हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा कोयले के घोटाले में जेल जा चुके हैं अपने अस्तित्व के समय राज्य की जीडीपी 35 फीसदी थी जो अगले 10 सालों में 20 प्रतिशत तक आ गई. राज्य की तीसरी बड़ी समस्या नक्सलवाद हैं. राज्य के 21 जिले आज भी नक्सल प्रभावित हैं. इसके अतिरिक्त नगरीकरण की धीमी गति तथा कृषकों पर कम ध्यान देना बड़ी समस्याएं हैं.

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झारखंड की संस्कृति

राज्य की अधिकतर आबादी आदिवासी समुदाय से हैं इसी वजह से राज्य के जीवन और संस्कृति में इसकी छाप स्पष्ट देखी जा सकती हैं. जितिया पूजा, कर्मा पूजा, सरहुल यहाँ के समाज के मूल रीति रिवाज हैं. राज्य के लोगों में प्रकृति के प्रति अनूठा प्रेम है यहाँ के प्रत्येक घर के आँगन में हरा पेड़ अवश्य नजर आएगा.

टुसू मेला उर्फ़ पौष मेले लगता हैं राज्य में मकर सक्रांति के अवसर पर यह कृषि पर्व मनाया जाता हैं. छोटा नागपुर के अधिकतर पठारी भाग में करम उत्सव मनाया जाता हैं. कुंवार का यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता हैं. इस दिन घर में पकवान बनाए जाते थे.

झारखंड की भाषा

झारखंड राज्य भाषा के लिहाज से बहुभाषी राज्य हैं. यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी हैं जिन्हें अधिकतर लोग बोलते और समझते हैं. राज्य एवं प्रशासन के माध्यम की भाषा हिंदी हैं. इसके अतिरक्त संताली, हो, मंदारी भाषा बोली जाती हैं.

झारखंड और पर्यटन स्‍थल

अपनी सुंदर प्राकृतिक बसावट, प्राचीन संस्कृति एवं लोकजीवन के अनूठे रंग के चलते राज्य में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं हैं. यहाँ हर साल बड़ी तादाद ने देशी विदेशी पर्यटक सैर करने आते हैं. राजधानी शहर रांची एक बड़ा पर्यटन स्थल बनकर उभरा हैं. जहाँ रांची हिल तथा सूर्य मन्दिर मुख्य आकर्षण के केंद्र रहे हैं.

इसके अतिरिक्त यहाँ के चार बड़े शहर जमशेदपुर, धनबाद, पालामु और बोकारो भी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय स्थल हैं. बेल्टा और दालमा वन्य जीव अभ्यारण्य भी झारखंड के पर्यटन के आधार रहे हैं. वन एवं वन्य जीवों से सम्रद्ध यह प्रदेश राष्ट्रीय पार्क, उद्यानों तथा विविधता के लिए जाना जाता हैं. जहाँ हजारीबाग का सुंदर अभ्यारण्य हैं.

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उदहारण 2. झारखंड पर निबंध (Essay on Jharkhand in Hindi)

सन 2000 में दक्षिणी बिहार से काट कर बनाया गया झारखंड भारत के नव निर्मित राज्यों में से एक हैं. इस राज्य की स्थापना के पीछे का इतिहास एक सदी से अधिक का प्रतिरोध हैं. झारखंड के लिए सामाजिक आंदोलन के करिश्माई नेता बिरसा मुंडा नाम का एक आदिवासी था जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया. अपनी मृत्यु के बाद बिरसा इस आंदोलन का एक प्रमुख प्रतीक बन गया.

उसके बारें में कहानियाँ और गीत पूरे झारखंड में गाए जाते हैं. बिरसा के संघर्ष की स्मृति लेखों द्वारा भी जीवित रखी गई. दक्षिणी बिहार में काम कर रहे ईसाई मिशिनरी इस क्षेत्र में साक्षरता के प्रचार के लिए उत्तरदायी थे. साक्षर आदिवासियों ने अपने इतिहास तथा मिथकों के बारे में शोध और लेख आरम्भ किया. उन्होंने जनजातीय प्रथाओं तथा सांस्कृतिक व्यवहारों के बारे में जानकारी प्रदान की. इससे झारखंड के लोगों को संगठित, संजातीय चेतना तथा साझी पहचान बनाने में सहायता मिली.

साक्षर आदिवासी सरकारी नौकरियां पाने की स्थिति में भी थे. जिससे समय के साथ एक मध्यवर्गीय आदिवासी बुद्धिजीवी नेतृत्व का उदय हुआ. जिसनें पृथक राज्य की मांग को प्रारूप दिया तथा भारत एवं विदेशों में भी इसका प्रचार किया. दक्षिण बिहार के अंतर्गत आदिवासी, दिक्कुओं की जो प्रवासी व्यापारी तथा महाजन थे, और उस क्षेत्र में आकर बस गये थे तथा जिन्होंने वहां के मूल निवासियों की संपदा पर अधिकार कर लिया था.

मूल आदिवासी उनसे घ्रणा करते थे. इन खनिज सम्पन्न क्षेत्रों में खदान तथा औद्द्योगिक परियोजनाओं से मिलने वाले अधिकांश लाभ दिक्कुओं को मिलते थे, यहाँ तक कि आदिवासी भूमि अलग कर दी गई थी. आदिवासियों ने अलग थलग किये जाने के अनुभव व अन्याय के बोध को झारखंड की साझी पहचान बनाने तथा सामूहिक कार्यवाही की प्रेरणा के लिए गतिशील किया. जिसके परिणामस्वरूप अन्तः पृथक राज्य का निर्माण हुआ.

उदहारण 3. झारखंड पर निबंध (Essay on Jharkhand in Hindi)

चारों तरफ पहाड़ियों एवं वनों से भरा हमारा राज्य झारखंड प्रकृति का मनोरम स्थल है। एक बार जो यहां आता है फिर यहीं का होकर रह जाना चाहता है यहाँ की स्वर्णिम भूमि वन-संपदा से संपूर्ण है इसकी प्रकृति छटा अनूठी है। झारखंड का राजकीय भाषा हिंदी है, और यहां का राजकीय पक्षी कोयल है, राजकीय पुष्प पलास है तथा राजकीय जानवर हाथी है।

झारखंड का इतिहास

जंगलो से भरा इस प्रदेश को झाड़खंड नाम से संबोधित किया और आज नवोदित राज्य का नाम झारखंड हो गया। इसका इतिहास भी अत्यंत प्राचीन है ईशा के लाखो वर्ष पूर्व के पत्थर के हथियार बर्तन आदि यहाँ मिले हैं। पहले झारखंड, बिहार और उड़ीसा संयुक्त रूप में एक राज्य थे।

झारखंड एक अलग राज्य

1936 ईस्वी में बिहार और उड़ीसा अलग राज्य बन गया। बिहार के साथ झारखंड राज्य का विकास अच्छी तरह नहीं हो रहा था, इसलिए झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए झारखंड में बहुत दिनों तक आंदोलन चलता रहा और 15 नवंबर 2000 ई0 को बिहार से झारखंड अलग राज्य बना और झारखंड भारतीय गणतंत्र का 28वाॅ राज्य बना। नए इस राज्य में 18 जिले थे बाद में झारखंड के 24 जिले बने। 15 नवंबर को झारखंड का जन्मदिवस और स्थापना दिवस मनाया जाता है।

झारखंड की चौहदी

झारखंड के उत्तर में बिहार, दक्षिणी उड़ीसा, पूर्व में पश्चिम बंगाल तथा पश्चिम में छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश है।

झारखंड का भूगोल

झारखंड का क्षेत्रफल 79714 वर्ग किलोमीटर है। झारखंड की लंबाई 463 वर्ग किलोमीटर तथा चौड़ाई 380 किलोमीटर लगभग है झारखंड राज्य में 23611 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन है झारखंड राज्य की सबसे लंबी नदी स्वर्णरेखा नदी है। झारखंड में पंचायतों की संख्या 4562 है और जिलों की संख्या 24 है।

झारखंड के पर्व त्यौहार

झारखंड में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं इसलिए यहां विभिन्न प्रकार के त्योहार भी मनाये जाते हैं। हिंदू यहां पर दशहरा, दीपावली, होली, रक्षाबंधन, रामनवमी इत्यादि मनाते हैं। मुसलमान ईद, बकरीद, मोहरम इत्यादि और ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस, गुड फ्राइडे तथा जैन धर्म के लोग महावीर जयंती और सबसे प्रमुख आदिवासी लोग सरहुल, करमा, टुसू आदि त्योहार मनाते हैं।

झारखंड एक अलग राज्य

2001 ईस्वी की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी करीब दो करोड़ 69 लाख है इसके उत्तर में बिहार, पूरब में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और दक्षिण मेें ओडिशा है। झारखंड में 30 के करीब जनजातियां रहती है, जिनमें संथाल, मुंडा और उराॅव के तीन प्रमुख जनजातियां है।

झारखंड में चावल और गेहूं दोनों फसलें होती है। आदिवासी चावल और पक्षियों के मांस में बेहद रुचि रखते हैं। यहाँ मदिरापान(शराब) का भी व्यापक रूप से प्रचलन है। देश में खनिज की दृष्टि से झारखंड अत्यंत महत्वपूर्ण है, यहां कोयला, लोहा प्रचुुर मात्रा में विद्यमान है। यहां उद्योग धंधे भी हैं मुख्य रूप से जमशेेदपुर, रांची में प्रमुख रूप से कारखाने उपलब्ध है। तांबा, क्रोमाइट, मैग्नीज और बॉक्साइट यहां प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।

झारखंड की नदियाँ

झारखंड की नदियां बरसाती होती है इसलिए इनमें बरसात के दिनों में ही पानी होती है तथा यह गर्मी के दिनों में सूख जाता है। झारखंड की सबसे लंबी नदी स्वर्ण रेखा को कहा जाता है तथा दूसरी सबसे बड़ी नदी दामोदर है। दामोदर नदी को बंगाल का शोक भी कहा जाता है।

झारखंड का भूगोल

झारखंड का क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलोमीटर है और इसकी लंबाई 463 KM और चौड़ाई 380 KM लगभग है। झारखंड में पाँच प्रमंडल है-उत्तरी छोटानागपुर,दक्षिणी छोटानागपुर, संथाल परगना, कोल्हान, पलामू। झारखंड में 34 अनुमंडल है।

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