आज इस पोस्ट में ईटानगर पर निबंध (Essay on Itanagar in Hindi) के बारे में बात करेंगे। ईटानगर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 350 मी. है। चूंकि यह अरूणाचल प्रदेश की राजधानी है, इसलिए यहां तक आने के लिए सड़कों की अच्छी व्यवस्था है। गुवाहटी और ईटानगर के नाहरलागुन के बीच हेलीकॉप्टर सेवा का भी विकल्प है। हेलीकॉप्टर के अलावा पर्यटक बसों द्वारा भी गुवाहटी से ईटानगर तक पहुंच सकते हैं। गुवाहटी से ईटानगर तक डीलक्स बसें भी चलती हैं।
ईटानगर का नाम ईटा दुर्ग से आया है। ईटानगर में पर्यटक ईटा किला भी देख सकते हैं। इस किले का निर्माण 14-15वीं शताब्दी में राजाओं ने किया था। इसके नाम पर ही इस नगर का नाम ईटानगर रखा गया है। पर्यटक इस किले में कई खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। अब इस किले को राजभवन के नाम से जाना जाता है और यह राज्यपाल का सरकारी आवास है।
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर हिमालय की तलहटी में स्थित है। यह पापुमपरे जिले के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में आता है और 20 अप्रैल 1974 से राजधानी के रूप में रहा है। यह भारत के सबसे बड़े पूर्वोत्तर राज्य की राजधानी है और राज्य का सबसे बड़ा शहर भी है। ईटानगर को लघु भारत भी कहा जाता है क्योंकि देश के हर कोने के लोग यहाँ रहते हैं। इसे रामचन्द्र की राजधानी मायापुर के साथ पहचाना गया है। वे 14वीं-15वीं शताब्दी के जितारी वंश के राजा थे।
ईटानगर पर निबंध – Essay on Itanagar in Hindi
ईटानगर में पुरातत्वीय महत्व के कई स्थान हैं। यहाँ के सामाजिक – सांस्कृतिक संस्थान इसके ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। पर्यटक ईटा किले पर अवश्य जाते हैं जो आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। इस शहर का नाम इसे किले के नाम पर पड़ा है।
बोमडीला परशुराम कुण्ड, मलिनीथन और भीष्मक नगर जैसे आकर्षणों तक बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। ईटानगर में स्थित राज्यपाल का राजकीय निवास राजभवन भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
अन्य पर्यटक स्थलों में गंगा झील, जवाहर लाल नेहरू संग्रहालय और शिल्पकला केन्द्र और हाट शामिल हैं। संग्रहालय में आदिवासियों से सम्बन्धित कई वस्तुयें अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति और परम्परा पर प्रकाश डालती हैं।
प्रसिद्ध गंगा झील के आसपास पत्थरों और हरियाली युक्त मनमोहक वातावरण रहता है। शिल्प केन्द्र में भित्तिचित्र, बाँस और बेंत के सामान के साथ पारम्परिक परिधान की प्रदर्शनी सम्मोहक होती है।
प्राणि उद्यान, इन्दिरा गाँधी उद्यान तथा पोलो उद्यान कुछ ऐसे उद्यान हैं जहाँ पर पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोग भी आराम कर सकते हैं। बुद्ध विहार नवनिर्मित बुद्ध मन्दिर है जिसकी सिद्धि दलाई लामा ने की थी। गोम्पा बुद्ध मन्दिर को भी दलाई लामा ही समर्पित किया था।
यहाँ के पीले रंग की छत वाले पूजाघर तिब्बती स्थापत्य कला पर आधारित हैं जो ईटानगर की मनमोहक सुन्दरता को और भी बढ़ा देती है। ट्रेकिंग करने वाले लोग भी ईटानगर को तरजीह देते हैं क्योंकि इस जगह से कई रास्ते राज्य के विभिन्न कोनों के लिये जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश के अलावा पर्यटन सम्बन्धी जानकारियाँ पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय से भी प्राप्त की जा सकती हैं।
लोग और संस्कृति
शहर की अधिकतर जनसंख्या विभिन्न प्रकार के आदिवासियों की है जिसमें न्यिशी जनजाति सबसे अधिक है। इन्हें निशी या निसिंग्स के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के लोग भगवान बुद्ध के प्रति श्रृद्धावान हैं। ईटानगर के निवासी साल भर जीवन्त रहने के साथ-साथ हमेशा त्यौहारी मूड में रहते हैं। न्योकुम न्यिशी जनजाति समूह के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।
लोसार एक अन्य जातीय समूह मोनपास द्वारा मनाया जाता है। यह नववर्ष पर मनाया जाता है। लोग प्रार्थना करते हैं, धार्मिक झण्डे फहराते हैं और बौद्ध धर्मग्रन्थ पढ़ते हैं। यह पाँच दिन तक चलता है। रेह एक और निर्णायक त्यौहार है जो इदु मिशीमिस द्वारा मनाया जाता है जिसमें पुजारियों का नृत्य एक प्रमुख भाग है। तमलाडू को डिगरू मिशिमिस मनाते हैं। अन्य त्यौहारों में खान, संगकेन और मोपिन शामिल हैं। ईटानगर में राज्य के कई प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान हैं।
ईटानगर आने का सर्वश्रेष्ठ समय
साल के किसी भी समय ईटानगर आया जा सकता है। राजधानी शहर का मौसम हमेशा जीवन्त और आनन्द लेने योग्य रहता है। पर्यटक यहाँ वर्ष के किसी भी समय आ सकते हैं।
ईटानगर कैसे पहुँचें
राज्य की राजधानी होने के कारण ईटानगर सड़क तथा वायुमार्गों से सुलभ है। असम का हरमूती निकटतम रेलवे स्टेशन है।
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