इस पोस्ट में आज हम दुलारी कुरैशी की जीवनी (Biography of Dulari Qureshi in Hindi) के बारे में जानने की कोशिस करेंगे. सायद ही इनके बारे में हर कोई जनता हो पर आज हम इस पोस्ट के मध्यम से इनके बारे बहोत दी छोटे शब्दों में जानकारी प्रदान करने जा रहे है. तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते है.
नाम | दुलारी कुरैशी |
जन्म | 24 सितंबर 1950 |
ठिकाण | भारत |
व्यावसाय | कला इतिहासकार |
दुलारी कुरैशी की जीवनी – Biography of Dulari Qureshi in Hindi
दुलारी कुरैशी का जनम 24 सितंबर 1950 को भारत मे हुआ था . वह औरंगाबाद मे मराठवाडा विश्वाविदयालय मे वरिष्ठा प्रोफेसर रमेश शंकर गुप्ते कि बेटी है . वह विजिटिंग प्रोफेसर के रुप मे अमेरिका के बून विश्वाविदयालय मे थे . उनकी मॉ नलिनी गुप्ते एक चिकीत्साक थी . उन्हेांने प9कारिता मे डिग्री और पर्याटन मे स्त्रातकोत्तार डिप्लेामा भी किया है .
कार्य
दुलारी कुरैशी औरंगाबाद महाराष्ट्र से भारतीय शैक्षणिक है . वह कला इतिहास मे डॉक्टरेट करती है . उनकी थिसिस का विषय, औरंगाबाद गुफाओ कि कला और दृष्टी है . डॉ दुलारी कुरेशी ने कला इजिहास अैर दृष्टी है . डॉ दुलारी कुरेशी ने कला इतिहास और पत्रकारिता के क्षेत्र मे एक महत्वापूर्ण योगदान दिया है .
उनहेांने 20 से अधिक शोध लेख लिखे है . जो राष्ट्रीय स्तार पर पुस्ताकों और पत्रिकाओं मे प्रकाशित् हुए थे . अपने शेध कार्य के अलावा, वह लेखों फीचर कहानियों का भी योगदान देती है . प्रसिध्दा हस्तीयों के साक्षात्कार आयेाजित करती है . उनके क्रेडिट मे 500 से अधिक लेख और अन्या कहानियाँ है .
उसने लेखो कि एक श्रृंखला शुरु कि और अपनी वर्तमान स्थिति पर औरंगाबाद के व्दारा उनकी वर्तमान स्थिति पर ध्यान देनेवाली कहानियेां पर ध्यान दिया था . ऐसा करने के लिए स्थानिक संस्कूति और पर्यटन को बढावा देने के लिए डॉ दुलारी ने डॅा मोरवन चिरकर के साथ मिलकर एलोरा औरंगाबाद उत्सव शुरु करने का प्रयास किया था . जिसमे से वह सांस्कूतिक अध्याक्ष है .
इतिहासकार डॉ दुलारी कुरैशी होने के अलावा एक इतिहासकार भी है . एएसआई कि योजना बनाने और उसके कुद भितरघातियों के रासायनिक संरक्षण के साथ साथ अजंता गुफाओं मे कुछ रॉक बट्रेसिंग और वॉटरप्रूफिंग कार्यो को करने के लिए उसने एक प्रमूख भूमिका निभाई थी .
वह पर्यटन विभाग डॉ. बाबासाहेब अम्बेउकर मराठवाडा विश्वाविदयालय औरगाबाद मे सेवानिवृत्ता प्रोफेसर और निदेशक है . वह एलौरा अतंता औरंगाबाद महोत्साव कि सांस्कृतिक अध्याक्ष भी है . उनके महत्वापूर्ण योगदान मे से एक औरंगाबाद के पास पिटकुलखोरा मे शिलालेखो कि खोज है . डॉ दुलारी कुरैशी अब भारतीय पर्यटक कांग्रेस पश्चिमी क्षेत्र के अध्याक्ष भी है .
वह कई संगठनों से निकटता से जुडी हुई है . जो इस प्रकार है :
- पर्यटन सलाहकार बोर्ड, महाराष्ट्र.
- कार्यकारी सदस्या, कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्टा .
- प्राचीन वस्तुओ पर विशेषज्ञ समिती ए एस आई .
- सांस्कृतिक अध्याक्ष, एलोरा अजंता औरंगबाद महोत्साव समिती.
- वह अक्टूबर 1999 मे औरंगाबाद मे आयेाजित विश्वाप्रबंधन सम्मेलन केसंयूक्त सचिव भी थे .
- औरंगाबाद नगर निगम व्दारा गठित धरोहर समिती के सदस्या .
पुस्तके:
- औरंगाबाद गुफाओं कि कलाऔर दुष्टी.
- औरंगाबाद मे पर्यटन क्षमता.
- दौलताबाद का किला.
- पश्चिमी भारत के रॉक कट मंदिर.
- मराठवाडा कि मूर्तिया .
- अजंता, मूर्तिकला, वास्तूकला और चित्रकारी.
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