औरंगजेब का इतिहास – History of Aurangzeb in Hindi

इस पोस्ट में औरंगजेब का इतिहास (History of Aurangzeb in Hindi) पर चर्चा करेंगे। औरंगजेब भारत देश के एक महान मुग़ल शासक थे, जिन्होंने भारत में कई वर्षो तक राज्य किया. वे छठे नंबर के मुग़ल शासक थे, जिन्होंने भारत में शासन किया. औरंगजेब ने 1658 से 1707 लगभग 49 साल तक शासन किया, अकबर के बाद यही मुग़ल थे, जो इतने लम्बे समय तक राजा की गद्दी पर विराजमान रहे.

इनकी मौत के बाद मुग़ल एम्पायर पूरी तरह हिल गया था, और धीरे धीरे ख़त्म होने लगा था. औरंगजेब ने अपने पूर्वज के काम को बखूबी से आगे बढाया था, अकबर ने जिस तरह मेहनत व लगन से मुग़ल सामराज्य को खड़ा किया था, औरंगजेब ने इस सामराज्य को और समरधि प्रदान की व भारत में मुगलों का साम्राज्य और बढ़ाया था.

लेकिन औरंगजेब को उसकी प्रजा ज्यादा पसंद नहीं करती थी, इसकी वजह थी उसका व्यवहार. औरंगजेब कट्टरपंथी, पक्के मुसलमान और कठोर किस्म के राजा थे, अकबर ने हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया था एवं वे अपनी हिन्दू प्रजा की जरूरतों का भी ख्याल रखते थे, लेकिन औरंगजेब ऐसे बिल्कुल ना थे.

औरंगजेब ने अपने नाम के आगे आलमगीर स्वयं लगाया था, जिसका अर्थ था विश्व विजेता. औरंगजेब की 4 बेटियां भी थी. औरंगजेब 6 भाई बहन थे, जिसमें से वे शाहजहाँ के तीसरे नंबर के पुत्र थे.

उदाहरण 1. औरंगजेब का इतिहास – History of Aurangzeb in Hindi

औरंगजेब बाबर के खानदान के थे, जिन्हें मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है. औरंगजेब के जन्म के समय उनके पिता शाहजहाँ गुजरात के गवर्नर थे. महज 9 साल की उम्र में ही औरंगजेब को उनके दादा जहांगीर द्वारा लाहोर में बंधक बना लिया गया था, इसकी वजह उनके पिता का एक युद्ध में असफल होना था.

2 साल बाद 1628 में जब शाहजहाँ आगरा के राजा घोषित किये गए, तब औरंगजेब व उनके बड़े भाई दारा शिकोह वापस अपने माता पिता के साथ रहने लगे.

एक बार 1633 में आगरा में कुछ जंगली हाथियों ने हमला बोल दिया, जिससे प्रजा में भगदड़ मच गई, औरंगजेब ने बड़ी बहादुरी से अपनी जान को जोखिम में डाल, इन हाथियों से मुकाबला किया और इन्हें एक कोठरी में बंद किया. यह देख उनके पिता बहुत खुश हुए और उन्हें सोने से तोला और बहादुर की उपाधि दी.

पारिवारिक विवाद

अपनी सूझ बूझ से औरंगजेब अपने पिता के चहिते बन गए थे, महज 18 साल की उम्र में उन्हें 1636 में दक्कन का सूबेदार बनाया गया. 1637 में औरंगजेब ने सफविद की राजकुमारी दिलरास बानू बेगम से निकाह किया, ये औरंगजेब की पहली पत्नी थी.

1644 में औरंगजेब की एक बहन की अचानक म्रत्यु हो गई, इतनी बड़ी बात होने के बावजूद औरंगजेब तुरंत अपने घर आगरा नहीं गए, वे कई हफ्तों बाद घर गए. यह वजह पारिवारिक विवाद का बहुत बड़ा कारण बनी, इस बात से आघात शाहजहाँ ने औरंगजेब को दक्कन के सुबेदारी के पद से हटा दिया, साथ ही उनके सारे राज्य अधिकार छीन लिए गए, उनको दरबार में आने की मनाही थी.

शाहजहाँ का गुस्सा शांत होने पर उन्होंने 1645 में औरंगजेब (History of Aurangzeb in Hindi) को गुजरात का सूबेदार बना दिया, ये मुग़ल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रान्त था. औरंगजेब ने यहाँ अच्छा काम किया, जिसके चलते उन्हें अफगानिस्तान का भी गवर्नर बना दिया गया था.

1653 में औरंगजेब एक बार फिर दक्कन के सूबेदार बने, इन्होंने अकबर द्वारा बनाये गए राजस्व नियम को दक्षिण में भी लागु कर दिया. इस समय औरंगजेब के बड़े भाई दारा शुकोह अपने पिता शाहजहाँ के चहिते थे, वे उनके मुख्य सलाहकार थे. दोनों की सोच बहुत विपरीत थी, जिस वजह से दोनों के बीच बहुत मतभेद होते थे और सत्ता को लेकर लड़ाई होती रहती थी.

1657 में शाहजहाँ बहुत बीमार पड़ गए, जिसके चलते तीनों भाइयों में सत्ता को लेकर जंग छिड गई, तीनों में औरंगजेब सबसे अधिक बलवान थे, उन्होंने अपने पिता शाहजहाँ को बंदी बना लिया व भाइयों को फांसी दे दी.

इसके बाद औरंगजेब ने अपना राज्य अभिषेक खुद ही करवाया. इन्ही सब कार्यो के चलते मुग़ल साम्राज्य की थू थू होती थी और प्रजा भी इनसे नफरत करती थी. औरंगजेब ने अपने पिता को भी मारने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ वफादारों के चलते वे ऐसा नहीं कर पाए.

औरंगजेब का शासन

औरंगजेब पुरे भारत को मुस्लिम देश बना देना चाहते थे, उन्होंने हिन्दू पर बहुत जुल्म किये व हिन्दू त्योहारों को मनाना पूरी तरह से बंद कर दिया. औरंगजेब ने गैर मुस्लिम समुदाय के लोंगो पर अतिरिक्त कर भी लगाया था, वे काश्मीर के लोगों पर मुस्लिम धर्म मानने के लिए जोर भी डालते थे. जब सिख गुरु तेगबहादुर ने कश्मीरी लोगों के साथ खड़े होकर इस बात का विरोध किया, तो औरंगजेब ने उन्हें फांसी दे दी.

औरंगजेब ने बहुत से मंदिर तोड़े व उसकी जगह मस्जिद बनवा दिए. औरंगजेब ने सती प्रथा को एक बार फिर से शुरू करवा दिया था, औरंगजेब के राज्य में मांस खाना, शराब पीना, वेश्यावृत्ति जैसे कार्य बढ़ते गए. हिन्दुओं को मुग़ल साम्राज्य में कोई भी काम नहीं दिया जाता था.

औरंगजेब के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए 1660 में मराठा ने औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह कर दिया, इसके बाद 1669 में जाट ने, 1672 में सतनामी, 1675 में सिख व 1679 ने राजपूत ने औरंगजेब के खिलाफ आवाज उठाई. 1686 में अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया.

औरंगजेब ने इनमें से बहुत सी लड़ाई तो जीती, लेकिन जीत हमेशा एक के साथ नहीं रहती, एक के बाद एक लगातार विद्रोह से मुग़ल साम्राज्य हिल गया और उसकी एकता टूटने लगी. औरंगजेब की कड़ी तपस्या भी काम नहीं आई. साम्राज्य से कला, नाच संगीत दूर होते चला गया, ना यहाँ बड़ो की इज्जत होती, ना औरतों का सम्मान किया जाता. पूरा साम्राज्य इस्लाम की रूढ़िवादी बातों के तले दबता चला गया.

औरंगजेब के पुरे शासनकाल में वह हमेशा युद्ध चढाई करने में ही व्यस्त रहा, कट्टर मुस्लिम होने की वजह से हिन्दू राजा इनके बहुत बड़े दुश्मन थे. शिवाजी इनकी दुश्मन की सूची में प्रथम स्थान में थे.

औरंगजेब ने शिवाजी को बंदी भी बनाया था, लेकिन वे उनकी कैद से भाग निकले थे. अपनी सेना के साथ मिलकर शिवाजी ने औरंगजेब से युद्ध किया और औरंगजेब (History of Aurangzeb in Hindi) को हरा दिया. इस तरह मुगलों का शासन ख़त्म होने लगा और मराठा ने अपना शासन बढ़ा दिया.

औरंगजेब की म्रत्यु

90 साल की उम्र में औरंगजेब ने 3 मार्च 1707 में अपने प्राण त्याग दिए, दौलताबाद में औरंगजेब को दफनाया गया. 50 साल के शासन में औरंगजेब ने अपने इतने विद्रोही बढ़ा लिए थे कि उसके मरते ही मुग़ल सामराज्य का अंत हो गया. उनके पूर्वज बाबर मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक माने जाते है व औरंगजेब इस साम्राज्य के अंत का कारण बने. औरंगजेब ने ही दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद बनवाई थी.

उदाहरण 2. औरंगजेब का इतिहास – History of Aurangzeb in Hindi

बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) ने वर्ष 1658 को मुग़ल साम्राज्य की गद्दी सम्भाली थी और वर्ष 1707 तक वो बादशाह रहे। औरंगजेब का जन्म 14 अक्टूबर 1618 को दाहोद, गुजरात में हुआ था। औरंगजेब के पिता शाहजहाँ थे जिन्होंने ताजमहल बनवाया था। माता का नाम मुमताज महल था। औरंगजेब का पूरा नाम “अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब” था।

औरंगजेब स्वभाव से मितव्ययी था जो खर्चा कम करने में विश्वास करता था। वह बहादुर और कुशल व्यक्ति था। औरंगजेब इतना बहादुर था कि एक वक्त वो हाथी से भिड़ गए। औरंगजेब को हिंदी, फारसी और अरबी भाषा का ज्ञान था। औरंगजेब भारत का सबसे ताकतवर मुग़ल सम्राट था।

बादशाह औरंगजेब की पहली शादी वर्ष 1637 में दिलरस बानु बेगम के साथ हुई थी। इसके अलावा नवाब बाई और औरंगाबादी महल से भी उनका निकाह हुआ था। उनके पुत्रो में बहादुर शाह प्रथम, मुहम्मद आजम शाह, मुहम्मद अकबर, मुहम्मद सुल्तान प्रमुख थे।

औरंगजेब के बादशाह बनने से पहले शाहजहाँ ने उसे दक्कन राज्य का सूबेदार भी बनाया था। बादशाह शाहजहाँ के चार पुत्र थे। औरंगजेब के अलावा दारा शिकोह, मुरादबख्श और शाहसुजा उनके पुत्र थे। शाहजहाँ अपने सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह को बादशाह बनाना चाहते थे।

अपने अंतिम दिनों में शाहजहाँ बहुत बीमार था। इस वक्त तीनो पुत्रो में सत्ता का सँघर्ष हुआ। शाहजहाँ दारा शिकोह को बादशाह बनाना चाहता था लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। औरंगजेब (History of Aurangzeb in Hindi) ने अपनी बहादुरी और ताकत से उनको मारकर तख्त पर कब्जा कर लिया।

औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को जेल में डाल दिया। कुछ इतिहासकारों का यह मत है कि शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में फिजूलखर्ची की थी जिससे मुग़ल खजाने पर असर पड़ा था। इसलिए औरंगजेब ने पिता को जेल में डाला था।

औरंगजेब का इतिहास

बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) कट्टरपंथी विचारधारा का व्यक्ति था। इसलिए इसके शासन के दौरान कई जगह विद्रोह भी हुए थे। उसने हिंदुओ पर जजिया कर भी लगाया जो अकबर के समय माफ था। औरंगजेब ने बादशाह बनने के बाद कई विवादास्पद निर्णय लिए जिससे प्रजा उससे नाराज हो गयी। इससे प्रजा में असंतोष बढ़ने लगे गया।

औरंगजेब की कट्टरवादी सोच के कारण ही कई राजाओं ने विद्रोह शुरू कर दिया। इनमें सबसे प्रमुख मराठा थे। मराठाओं ने वर्ष 1660 में शिवाजी महाराज के नेतृत्व में औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया था। शिवाजी ने औरंगजेब को युद्ध में हराया भी था। राजस्थान के राजपूत राजाओं ने भी वर्ष 1679 में विरोध किया था।

भारतीय राजाओं के अलावा उस समय ईस्ट इंडिया कम्पनी भी थी जिसने औरंगजेब को परेशान किया था। औरंगजेब ने इन सारे विद्रोह को दबाने का प्रयास किया और ज्यादातर प्रयासों में वो सफल रहे थे। परंतु इतने विद्रोह के कारण मुग़ल साम्राज्य को धन और बल की भारी क्षति पहुंची थी।

बादशाह औरंगजेब ने दक्षिण भारत के कई राज्यों को भी जीता था। दक्षिण भारत में मुग़ल साम्राज्य को फैलाने का ज्यादातर श्रेय औरंगजेब को जाता है। औरंगजेब के समय मुग़ल सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार था।

औरंगजेब के बारे में सामान्य जानकारी

बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) के क्रूर पक्ष के अलावा इतिहास में उसका दूसरा पक्ष भी आता है। उसने कभी भी खजाने का व्यर्थ उपयोग नही किया था। यहाँ तक कि वो खुद टोपियां सिलकर धन कमाता था और इसी से अपना गुजर बसर करता था।

औरंगजेब को आलमगीर भी कहा जाता है क्योंकि उसका जीवन एक दरवेश के जैसा था। औरंगजेब (History of Aurangzeb in Hindi) के दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दू थे। औरंगजेब ने लाल किले में स्थित मोती मज्जिद का निर्माण करवाया था।

औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च, 1707 को हुई थी। अंतिम इच्छा के मुताबिक औरंगजेब को उसके कमाए 5 रुपये के कफ़न से ढका गया। खुल्दाबाद में औरंगजेब की मजार मौजूद है। औरंगजेब अंतिम ताकतवर मुग़ल बादशाह थे जिन्होंने विशाल मुग़ल साम्राज्य को बनाये रखा, परन्तु उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था। इसका मुख्य कारण औरंगजेब की शासन व्यवस्था थी जिसमें प्रजा को दरकिनार करके कड़े कानून बनाये थे।

औरंगजेब की कट्टरपंथी छवि के कारण हिन्दू राजाओं ने विद्रोह का रास्ता चुना था। औरंगजेब ने अपने पूरे शासन के दौरान ज्यादातर समय विद्रोह को दबाने में खर्च किया। औरंगजेब के बाद उसके पुत्रों में कोई भी काबिल शासक नही हुआ जो मुग़ल साम्राज्य को सम्भाल सके।

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