प्रदूषण क्या है? What is Pollution in Hindi

आज हम इस  पोस्ट के मध्यम से जानेंगे प्रदूषण क्या है? What is Pollution in Hindi, जल, भूमि या मृदा के भौतिक रासायनिक और जैविक लक्षणों के होने वाले अवाँच्छित लक्षण जो हानिकारक होते है। ऐेसे परिवर्तनों को प्रदूषण कहते है। अवांछित परिवर्तन उत्पन्न करने वाले कारको को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम 1986 में बनाया गया।

प्रदूषण क्या है? What is Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदुषण आधुनिक युग की सबसे अधिक गंभीर समस्या का रूप धारण कर चूका है तथा विकसित और विकासशील देश समान रूप से चिंतित है। सर्वप्रथम भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गाँधी ने पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते खतरे पर काबू पाने के लिए एक स्वतंत्र केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की स्थापना की थी।

तब से अब तक सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर अनेकों विचार गोष्ठियों में समस्या के समाधान के उपाय ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। अनेकों पर्यावरण रक्षा कानून भी बना दिए गए है। जब तक आम आदमी को पर्यावरण प्रदूषण एवं उसके संभावित खतरों का स्पष्ट ज्ञान नहीं कराया जाता है , तब तक इस समस्या के समाधान की कल्पना करना भी ठीक नहीं होगा। हमें जन साधारण को यह समझना होगा कि पर्यावरण प्रदुषण आखिर है क्या ?

साधारणतया हम जिस स्थान में निवास करते है , उसके आस पास के सभी प्राकृतिक साधन जैसे जल , मिट्टी , वायु , वनस्पतियाँ , धूप , वन और वन्य प्राणी आदि हमारा पर्यावरण अथवा प्राकृतिक वातावरण बनाते है। इन्ही साधनों का हमारी रचना , स्वास्थ्य एवं मन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। स्पष्ट है कि पर्यावरण के प्राकृतिक साधन जितने स्वच्छ और सुन्दर होंगे , हमारा शरीर , स्वास्थ्य एवं मन भी उतना ही स्वस्थ तथा अच्छा रहेगा।

प्राचीन काल में भारतीय ऋषि मुनियों को भी यह ज्ञान था , जिसका वर्णन वेदों , उपनिषदों , पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथो में मिलता है। औषधि विज्ञान के आदिगुरु चरक ने भी जीवन के लिए जल , वायु एवं देश मिट्टी को आवश्यक कारकों के रूप में बताया है। महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम तथा मेघदूत जैसे अमर काव्यों में भी मन पर पर्यावरण का प्रभाव दर्शाया गया है।

प्रदूषण की परिभाषा

यह स्वयंसिद्ध है कि सभी प्राणी जन्म से लेकर मृत्यु तक सम्पूर्ण जीवनकाल में अपने पर्यावरण के सभी प्राकृतिक साधनों का मुक्त रूप से उपयोग करते हुए अपनी जैविक क्रियाएँ सम्पादित करते है।

“कोई भी ऐसी प्रक्रिया जो प्राकृतिक साधनों के मुक्त उपयोग में बाधा उत्पन्न करती है , उसे प्रदूषक कहते है एवं परिणामस्वरूप उत्पन्न स्थिति को पर्यावरण प्रदूषण कहते है।”

अन्य शब्दों में, प्राकृतिक साधनों की शुद्धता को प्रभावित करके उनकी जीवन उपयोगिता को नष्ट अथवा कम करने वाले पदार्थ प्रदूषक एवं ऐसी प्रक्रिया प्रदूषण कहलाती है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु के भौतिक रासायनिक और जैविक लक्षणों में होने वाले अवाच्छित व हानिकारक परिवर्तनों को वायु प्रदूषण कहते है।

वायु प्रदूषण के कारण (Air Pollution Causes)

  1. उद्योगों के कारण
  2. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशी पदार्थाे के कारण
  3. ईधन के अपूर्ण दहन से
  4. जनरेटर एवं पटाखों द्वारा
  5. परमाणवीय परिक्षण एवं दुर्घटना द्वारा
  6. स्वचालित वाहनों के कारण

वायु प्रदूषण के कारक – Air Pollution Factors

CO , CO2 , NO , N2 के यौगिक, H2S , SO2 जैसी गैसे धूल, धुंआ एवं कणीय पदार्थ 2.5mm से कम व्यास के कण अधिक हानिकारक होते है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव(Air Pollution Effects)

  • ये मनुष्य में शवसन तंत्र संधित रोग उत्पन्न करते है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों का केन्सर गले का कैंसर, श्वसनी शोध सृजन वात स्पती, सिसिकोसित, ऐस्वेस्टोसिस, एलजी, दमा, आदि रोग उत्पन्न होते है।
  • ये पशुओं के श्वसन तंत्र को भी प्रभावित करते है जलीय जीव जैसे मछलियाक आदि की मृत्यु होने लगती है।
  • पशुओं की वृद्धि रूक जाती है उत्पादन कम होता है। पत्तियाँ पीली पड़ जाती है। पादपों की अपरिपक्व मृत्यु हो जाती है।
  • ऐतिहासिक इमारतों, पूलों, रेल की पटरियों आदि का संक्षारण होने लगता है।

वायु प्रदूषण के रोकथाम (Prevention of Air Pollution)

औद्योगिक प्रदूषण की रोकथाम

कणीय पदार्थो को दूर करने के लिए स्थिर वैद्युत अवक्षेपित का प्रयोग करना चाहिए इसके द्वारा लगभग 90 प्रतिशत से अधिक अशुद्धियाँ दूर हो जाती है।

इलेक्ट्राॅन चित्र

इसमे एक इलेकट्राॅड होता है तथा इसे उच्च वोल्टज प्रदान की जाती है। जिससे इलेक्ट्राॅन उत्सर्जित होते है। ये इलेक्ट्राॅन धूल के कणों से चिपक जाते है तथा उन्हें ऋणावेशित कर देते है। ये भू-समपर्कित संग्रातक प्लेट के द्वारा गुजारे जाते है। जिससे कणीय पदार्थ इन प्लेटों पर चिपक जाते है तथा स्वच्छ वायु निर्वातक से बाहर निकलती है।

सावधानी:- कणीय पदार्थो का वेग कम होना चाहिए।

SO2 जैसी गैसों के लिए मार्जक का उपयोग करते है। जब मार्जक के निचले सिरे से अशुद्ध वायु को गुजरते है। तथा मार्जक के ऊपर वाले सिरे से जल डालता जाता है। जिसे अशुद्ध वायु के कण पौधों में बैठ जाते है तथा शुद्ध; वायु निर्णातक से बाहर निकल जाती है।

स्वचालित वाहन प्रदूषण की रोकथाम

  • वाहनों की उचित देखभाल एवं रखरखाव
  • पुराने वाहनों को समय पर चलन से बाहर करना
  • सीसा रक्षित पेट्रोल एवं डीजल का प्रयोग करना
  • वाहनों में CNG का उपयोग।
  • CNG डीजल व पेट्रोल से सस्ती होती है
  • प्रदूषण रहित
  • मिलावट की संभावना नहीं
  • सुरक्षित होती है

CNG के प्रयोग में समस्या

पाईप लाईन द्वारा वितरण की समस्या तथा अवाँछित आपूर्ति की समस्या।

5 उत्प्रेरकों परिवर्तकों का उपयोग करना चाहिए।

ये कीमती धातुओं जैसे:- सोडियम प्लेटे, प्लेटेनम आदि के बनेे होते है। तथा विषैली गैसों के उत्सर्जन को कम करते है। इनके द्वारा अदगध बिना जला हुआ हाइड्रोकार्बन CO2 व H2O में दब जाता है तथा CO-CO2 में एवं NO-NO2 में बदल देता है।

सावधानी

वाहन में सीसा रहित पेट्रोल/डीजल का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि सीसा उत्प्रेरक परिवर्तक को नष्ट कर देता है।

  • वाहन चालाने के नियमों, मार्गदर्शी सिद्धान्तों एवं प्रदूषण के मानकों का कठोरता से पालन करना।
  • यूरो मानकों भारत स्टेज का उपयोग करना चाहिए।
  • यूरो मानक:- 2 के अनुसार गंधक की मात्रा डीजल में 305 पीपीएम तथा पेट्रोल में 150 PPM से अधिक नमी होनी चाहिए। इसी प्रकार यूरो मानक चतुर्थ एवं यूरो मानक-चतुर्थ लागू किये गये।

दिल्ली वाहन प्रदूषण का एक अध्ययन

दिल्ली 1990 में एक सर्वेक्षण के अनुसार सर्वाधिक प्रदूषित 41 शहरों में चैथे स्थान पर था। यहाँ वाहनों की संख्या पश्चिम बंगाल एवं गुजरात से अधिक थी। अतः स्वचालित वाहनों द्वारा उत्पन्न वायु प्रदूषण बहुत अधिक था। स्वचालित वाहनों द्वारा प्रदूषण की रोकथाम हेतु अपनाये गये उपायों के कारण 2005 में वाहनों की संख्या बढ़ने के बावजूद वायु प्रदूषण से कम वृद्धि हुई।

वर्तमान युग औद्योगिक विकास का युग है। संसार के सभी विकासशील देशों में हजारों लाखों फैक्टरियाँ दिन रात चलती रहती हैं। इन सब के प्रभाव से हमारा वातावरण दूषित हो गया है। जो वायु हमें सांस लेने के लिए चाहिए, वह शुद्ध नहीं रही। पानी और जमीन भी प्रदूषित हो गए हैं। वायु, पानी और जमीन का प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है।

वायु का प्रदूषण मुख्य रूप से मिलों से निकलने वाले धुएँ से होता है। सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों में जलने वाले ईंधन से भी वायु दूषित हो जाती है। इन सबसे वायु में बहुत सी विषैली गैसें मिलती रहती हैं। यही गैसें सांस द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं, जिनसे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

नए-नए रोगों को जन्म होता है। कार्बन-मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन-डाइआक्साइड और सल्फर-डाइआक्साइड जैसी गैसें जो मोटरों के ईंधनों के जलन से पैदा होती हैं, वायु को विषैला बना देती हैं।

पानी का प्रदूषण मुख्य रूप से फैक्टरियों से निकलने वाले पदार्थों और मनुष्यों के मल-मूत्रों से होता है। बड़े-बड़े शहरों के गंदे नाले, नदियों में गिरते हैं, जिनसे पानी दूषित हो जाता है। इन मल पदार्थों से हजारों प्रकार के विषाणु और बैक्टीरिया पानी में पैदा हो जाते हैं।

यही पानी हम पीते हैं, तो अनेकों रोगों का आक्रमण हमारे ऊपर होता है। अनाजों की सुरक्षा के लिए जो हम अनेकों कीटाणु विनाशक औषधियाँ प्रयोग में लाते हैं, उनसे अनाज दूषित हो जाता है। इन अनाजों को बिना धोए खाने से स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं।

हजारों प्रकार के रसायन और कीटाणु विनाशक औषधियोंके छिड़कने से जमीन का प्रदूषण होता है। बढ़ती हुई आबादी द्वारा जो व्यर्थ के पदार्थ गलियों और सड़कों पर फेंक दिए जाते हैं, उनसे हजारों प्रकार के रोग फैलाने वाले कीटाणु पैदा होते हैं। सड़कों के किनारे लगे कूड़े-करकट के ढेर अनेकों रोगों को जन्म देते हैं।

चलती गाड़ियों और मिलों से पैदा होने वाला शोर भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। तरह-तरह के विकिरण जो हमें दिखाई नहीं देते, परमाणु युग की देन हैं। ये रेडियो विकिरण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही घातक हैं। परमाणु शस्त्रों के परीक्षण से इन विकिरणों की मात्रा नि प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

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