सर्कस पर निबंध – Essay on Circus in Hindi

इस पोस्ट में सर्कस पर निबंध (Essay on Circus in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। सर्कस भी एक प्रकार का मनोरंजन का साधन होता है। जिसे सभी आयु-वर्ग के लोग पसंद करते हैं। सर्कस में विविध प्रकार के करतब दिखाये जाते हैं।

सर्कस में जंगली जानवरों जैसे शेर, हाथी, भालू आदि प्रशिक्षित करके उनसे तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखाये जाते है। साथ ही आदमी भी जोकर आदि की शक्लें बनाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।

उदाहरण 1. सर्कस पर निबंध – Essay on Circus in Hindi

आधुनिक समय में तो मनोरंजन के अनेकों साधन हैं। आजकल तो हर हाथ में मोबाइल और इंटरनेट होने से हमें मनोरंजन के ढ़ेरो विकल्प मिल गये हैं। वर्तमान में हमारे पास व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, विडियो गेम्स जैसे अनेकों मनोरंजन के साधन मौजूद हैं किन्तु कुछ साल पहले मुड़ कर देखते है तो हम पाते है कि उस वक़्त इतने साधन नहीं होते थे।

सर्कस क्या है?

सर्कस का इतिहास बहुत ही पुराना है। प्राचीन रोम (Rome) से सर्कस का बीजारोपण माना जाता है। बाद में जिप्सियों के द्वारा यह यूरोप तक पहुंचा।

रंगमंच, बैले, ओपेरा, फिल्में और टेलीविजन का इतिहास आम तौर पर अच्छी तरह से प्रलेखित है। लेकिन रोमन सर्कस वास्तव में आधुनिक रेसट्रैक के अग्रदूत थे। सर्कस, जिसका अंग्रेजी में अर्थ है “सर्कल”।

अब तो सर्कस न के बराबर हो गये हैं। पहले सर्कस शो उनके लिए विशेष रूप से बनाए गए टेंट में आयोजित किए जाते थे। अखाड़ा बीच में होता था जहां करतब दिखाए जाते थे। वहां रंगीन जोकर (मसखरों) भी होते थे जो दर्शकों के मोहित करने के लिए बनाये जाते थे। युवा लड़के और लड़कियों को चमकदार, रंगीन कपड़े पहनाया जाता था।

वहाँ पिरामिड बनाकर और अन्य एथलेटिक करतब दिखाए जाते थे। बैंड और फ्लडलाइट्स सर्कस के माहौल को एक आलौकिक दृश्य देता था। ट्रेपेज़ सबसे कठिन और खतरनाक करतब माना जाता था। शेरों, हाथियों, कुत्तों और बंदरों द्वारा कमाल के करतब दिखाए जाते थे और दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया जाता था।

उपसंहार

लोगों की जिन्दगी से जुड़ा होता था, सर्कस। खासकर उसके कलाकारो की जिन्दगियों से। सर्कस खत्म मानों उनका जीवन ही खत्म हो गया। आज भी यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।

यह अच्छा है कि अब इसमें जानवरो के प्रयोग पर प्रतिबंध लग गया है। फिल्म और थियेटर के बाद एकलौता यही एक साधन होता है, जिसका सजीव (लाइव) प्रदर्शन होता है। किसी भी चीज का सजीव दर्शन अपने आप में बेहद अनूठा और रोमांचक अनुभव होता है।

उदाहरण 2. सर्कस पर निबंध – Essay on Circus in Hindi

सर्कस एक प्रकार का मनोरंजक खेल होता है। इसमें मार्शल आर्ट, जिमनास्टिक, ऐरोबिक्स, नृत्य आदि का संगम होता है। यह बहुत ही कठिन काम होता है। इसमें केवल प्रशिक्षित (प्रोफेशनल) लोग ही भाग ले सकते हैं। सर्कस देखने का टिकट लगता है, उसी टिकट के पैसों से सर्कस के कलाकारों का भरण-पोषण होता है। जोकि बेहद कम होता है।

भारतीय सर्कस का इतिहास

“द ग्रेट इंडियन सर्कस” पहला आधुनिक भारतीय सर्कस था, जिसे विष्णुपंत मोरेश्वर छत्रे द्वारा स्थापित किया गया था, जो कि कुर्दुवाडी के राजा के संरक्षण में एक निपुण अश्वारोही और गायक थे। खेल प्रदर्शन 20 मार्च, 1880 में बॉम्बे में आयोजित किया गया था।

किल्लेरी कुन्हिकन्नन (Keeleri Kunhikannan), जिसे भारतीय सर्कस का जनक कहा जाता है। वह मार्शल आर्ट और जिमनास्टिक्स के शिक्षक थे। मोरेश्वर छत्रे के अनुरोध पर उन्होंने अपने संस्थान में एक्रोबेट्स का प्रशिक्षण शुरू किया। 1901 में उन्होंने टेलिचेरी (केरल) के पास चिराककारा में सर्कस स्कूल खोला।

दामोदर गंगाराम धोत्रे वह अब तक के सबसे प्रसिद्ध रिंग मास्टर में से एक थे। 1902 में एक गरीब परिवार में जन्मे, वह एक मालिक के रूप में ‘इसाको’ नामक रूसी सर्कस में शामिल हो गए।

1939 में, वह बर्ट्राम मिल्स सर्कस के साथ फ्रांस चले गए और फिर विश्व प्रसिद्ध रिंगलिंग ब्रदर्स और बार्नम और बेली सर्कस (यूएसए) के रूप में प्रसिध्द हो गए। “द ग्रेटेस्ट शो ऑन अर्थ” नामक शो में उन्होंने 1943 से 1946 तक काम किया।

उन्हें “विल एनिमल्स मैन” के रूप में भी जाना जाता था और 1960 में उन्हें अमेरिकी नागरिकता प्रदान की गई थी, हालांकि वे भारत लौट आए और 1973 तक भारत में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली थी।

केरल के “भारतीय सर्कस का पालना” (द क्रैडल ऑफ इंडियन सर्कस) नामक अकादमी के छात्र पी. कन्नन ने “ग्रैंड मालाबार” के नाम से अपना सर्कस शुरू किया था। इसी क्रम की अन्य श्रेणियां थी – ग्रेट लायन सर्कस, द ईस्टर्न सर्कस, द फेयरी सर्कस आदि। केरला सरकार 2010 में थैलासेरी में सर्कस अकादमी की स्थापना की।

उपसंहार

आज भले ही सर्कस की लोकप्रियता कम हो गयी है, लेकिन बच्चों के बीच आज भी लोकप्रिय है। मुझे भी बचपन में सर्कस देखने बहुत भाता था। करतब करते जानवर, साइकिल चलाता भालू, रिंग में नाचता शेर, आदि को देखकर मै खुशी से फूले नहीं समाती थी।

लेकिन जब से बड़ी हुई तो पता चला कि इसमें कलाकार अपनी जान जोखिम में डालकर करतब दिखाते है, साथ ही जानवरों को प्रशिक्षण के दौरान काफी मारा-पीटा जाता है, तब से मैंने सर्कस देखना छोड़ दिया।

उदाहरण 3. सर्कस पर निबंध – Essay on Circus in Hindi

सर्कस एक ऐसी जगह होती है जहां जंगली जानवर और घरेलू जानवर अपने प्रशिक्षकों की कमान में करतब दिखाते हैं। एथलीट और जोकर सर्कस में कई शानदार करतब भी करते हैं। पिछले साल दिवाली की छुट्टियों के दौरान, जंबो सर्कस हमारे शहर में आया था। मैंने अपने दोस्तों के साथ उस सर्कस का दौरा किया।

मेरा सर्कस देखने का अनुभव

सर्कस के लोग शहर के बाहर बड़े मैदान में अपना तंबू (Tent) लगा रहे थे। हम सब उत्सुकता वश बहुत पहले ही पहुँच गये थे। कुछ तंबू जानवरों के लिए थे, अन्य कामगारों के लिए और एक बड़ा शमियाना सर्कस प्रदर्शन के लिए लग रहा था। हम मैदान में पहुंचे, अपने टिकट खरीदे और जाकर अपनी सीट पर बैठ गये।

सर्कस सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षक था और इसलिए बहुत भीड़ थी। तम्बू को खूबसूरती से सजाया गया था और रोशन किया गया था। हम शेरों की गर्जना और हाथियों के आवाजों को सुन सकते थे। पुरुष, महिलाएं और बच्चे उत्सुकता से शो के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे।

कार्यक्रम का पहला प्रदर्शन जोकरों द्वारा था। वे अपने चेहरे के रंग के साथ आए, और उनके मजाकिया चेहरों ने बच्चों को खूब हँसाया। उनके चिल्लाने और हरकतों ने सभी को हँसाया। उन्होंने मूर्खतापूर्ण चुटकुले बनाए और एक-दूसरे पर ऐसी चालें चलीं कि हम सब हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए। प्रस्तुत किया जाने वाला अगला प्रदर्शन युवा लड़कियों और लड़कों द्वारा जिमनास्टिक था।

उन्होंने झूला झूलने, झूलों के आदान-प्रदान और सभी को एक बैंड की संगत में नाचने के लिए अद्भुत प्रदर्शन किया। लड़कियों में से एक ने हाथ में छाता पकड़े स्टील के तार पर नृत्य किया। इस प्रदर्शन को दर्शकों ने काफी सराहा।

फिर सांस को थामने वाले प्रदर्शन आए। छह घोड़े आए और उनकी पीठ पर लाल और पीले कपड़े पहने पांच लोग थे और एक लड़की ने सुंदर कपड़े पहने थे। बैंड ने संगीत के साथ धुन में नृत्य किया।

फिर सवार (Horseman) उठकर घोड़े की पीठ पर खड़े हो गए और घोड़े सरपट दौड़ने लगे। जैसे ही वे सरपट दौड़ते हैं, सवार एक घोड़े से दूसरे घोड़े की ओर कूदते हैं और हवा में कुछ उलटफेर करते हैं और सैडल (Saddle) पर अपने पैरों के बल नीचे आते हैं।

यह एक अद्भुत प्रदर्शन था। फिर एक प्रशिक्षित हाथी आया। वह एक स्टूल पर बैठ गया और हमें अपनी सूंड से सलामी दी। वह अपने पिछले पैरों पर भी खड़ा हुआ और बैंड की धुन पर ताल से ताल मिलाने लगा।

तभी एक महिला आई और लकड़ी के तख्त के पास खड़ी हो गई। एक आदमी ने हर तरफ से तेज खंजर फेंकना शुरू कर दिया। उसे चोट नहीं आई थी और वह स्थिर खड़ी थी, खंजर से घिरी हुई थी।

इसके बाद शेर और बाघों के करतब दिखाए गए। एक रिंगमास्टर हाथ में एक लंबा कोड़ा लेकर आया था। रिंगमास्टर के आदेशानुसार जानवरों ने सब कुछ किया। उसने उन्हें जलती आग की एक विशाल घेरे (रिंग) के माध्यम से भी चलाया।

उपसंहार

यह एक रोमांचकारी सर्कस शो था। इसने सभी दर्शकों को प्रसन्न किया। यह हम सभी के लिए खुशनुमा शाम थी और जब यह सब खत्म हुआ तो मैं बहुत दुखी थी। मेरे दिमाग में दृश्यों की यादें अभी भी ताजा हैं। सर्कस केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं होता है, बल्कि लोगों की भावनाओं से भी जुड़ा होता है।

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