सर्कस पर निबंध – Essay on Circus in Hindi

सर्कस एक प्रकार का मनोरंजन का साधन होता है जिसमें मानव कलाकारों के साथ-साथ जानवर को भी शामिल किया जाता  हैं इन जानवरों को स्पेशल विशेष प्रशिक्षण दिया गया होता है यह जानवर पालतू अथवा जंगली दोनों प्रकार के हो सकते है। सर्कस के कलाकारों का एक समूह में मुख्यत: निम्न कलाकार होते है/ हो सकते है, जिसमें कलाबाज़, मसख़रा, प्रशिक्षित जानवर, म्यूज़िशियन, हूपर्स, रस्सी पर चलने वाले, बाजीगर और स्टंट करने वाले अन्य कलाकार शामिल हो होते हैं।

सर्कस पर निबंध – Long and Short Essay on Circus in Hindi

जानवरों में प्रशिक्षित शेर, बाघ, भालू, घोड़े, कुत्तें, बंदर, हाथी इत्यादि को शामिल किया गया होता है। सर्कस वाले एक जगह रहकर अपना अपनी कलाबाजियां नहीं दिखाते बल्कि वे देश के विभिन्न भागों में कुछ दिनों के लिए ठहरते हैं और वहां कलाबाजी दिखाते हैं, फिर वहां से दूसरे जगह के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।

सर्कस देखने बच्चे तथा वयस्क और बड़े बुजुर्ग भी जाते हैं। यह हर वर्ग के लिए मनोरंजन करता है। जिस विशाल तंबू में यह अपना प्रदर्शन करते हैं उसको”बिग टॉप” कहते है। दर्शको को बैठने के लिए चारों तरफ एक स्टेडियम बना होता है। दर्शकों में सैकड़ों लोगों के लिए जगह हो सकती है और वहां बैठने की व्यवस्था होती है (पीछे की सीटें सामने वाले की तुलना में अधिक संख्या में होती हैं)।

सर्कस की कलाबाजियां

पिछली दो शताब्दियों के दौरान, आधुनिक सर्कस ने कई प्रकार के जानवरों को प्रशिक्षित करना शुरू किया था।  जिनमें शेर, बाघ या भालू जैसे जंगली जानवर थे।  ऊंट, घोड़े, हाथी, समुद्री शेर और घरेलू जानवर जैसे कुत्ते भी हो सकते हैं।  जानवरों के करतबों में बहुत से करतब शामिल हो सकते हैं । जैसे – बंदर एकतरफा दौड़ते रहते हैं।  भालू ने एक मोटर साइकिल चलता है।   हाथियों द्वारा दर्शकों को सलामी और फुटबॉल खेलना।

सर्कस में सबसे अद्भुत हिस्सा शेरों द्वारा खेला जाता है।  यह वास्तव में एक शानदार दृश्य होता है  कि वे वास्तविक जीवन में अकल्पनीय चीजों को करते हैं।  वहाँ शेर-प्रशिक्षक हाथ में एक ज़ोरदार चाबुक लेकर खड़ा था। यहां आप शेर और बकरी साथ-साथ खड़े देख सकते है जो कि अचरज की बात है। जानवरों द्वारा दिखाए जाने वाले ये सब करतब वास्तव में जानवरों पर मनुष्य के वर्चस्व को दिखाता करता है।

मेरा सर्कस विजिट

पिछले सप्ताह हमारे शहर में  प्रसिद्ध रॉयल सर्कस आया था। पूरे शहर में ये माईक से विज्ञापित किया जा रहा था। सर्कस के मालिकों को शहर के बाहर किराए पर एक बड़ा मैदान मिला था । इस स्थान इस मैदान में, सर्कस के कलाकारों के लिए अलग-अलग टेंट बनाए गए थे।  कुछ जानवरों के लिए थे, जबकि अन्य श्रमिकों के लिए थे और एक बड़ा तम्बू सर्कस शो के लिए था।

जब हम वहां गए, वहां हमने बाघों, हाथियों और अन्य जानवरों के चित्रों के साथ चित्रित विशाल तम्बू तथा तम्बू द्वार देखा ।  पूरी मैदान रोशनी से जगमगा रहा था जो कि वाकई बहुत अच्छा लग रहा था।हमनें स्टेडियम में प्रवेश किया। वहां कतारों में  कई सीटें थीं।  और लगभग सभी सीटों पर कब्जा हो गया था।  पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी लोग उत्सुकता से शो के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे।

पहला शो लड़कियों के समूह द्वारा नृत्य का था।  वे सभी एक बैंड की संगत में नाच रही थी।  दर्शकों द्वारा इस नृत्य प्रदर्शन को बहुत सराहा गया। प्रस्तुत किया जाने वाला दूसरा शो जिम्नास्टिक था।  यह प्रदर्शन भी लड़कियों के समूह द्वारा दिया गया था।  सभी लड़कियों ने झूलों और तंग-रस्सी के चलने का शानदार प्रदर्शन किया। फिर एक सीढ़ी शो था।  एक लड़की बिना किसी सहारे के सीढ़ी चढ़ गई।  एक पहिया के साथ एक और लड़की साइकिल पर आई।  फिर जोकर आए। जोकरों के जोक्स ने हमें बहुत हंसाया।

फिर हाथी आए और उन्होंने अपने करतब दिखाने शुरू किए। एक हाथी अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो गया।  एक अन्य हाथी एक तख़्त के ऊपर से गुजरा जो एक आदमी के सीने पर रखा गया था जबकि तीसरा हाथी अखाड़े के चारों ओर घूम रहा था।

इसके बाद शेरों की बारी आई।  सभी शेरों ने अपने मानव गुरु की आज्ञा का पालन किया। और उसके कहे अनुसार अपने करतब दिखाते गए। एक शेर और एक मेमने को एक टब से एक साथ पानी पीते हुए अपने शो भी दिखाए।

हमने रात 9:00 बजे तक सर्कस का शो देखा। यह वाकई एक रोमांचकारी सर्कस शो था।  इस शो से लगभग सभी दर्शक खुश थे।  उन दृश्यों की यादें आज भी मेरे मन में चलती रहती हैं।

जानवरों के साथ अन्याय

परंतु बीतते समय के साथ लोगों के विचारों में परिवर्तन आ रहा है और सर्कस में जानवरों से काम कराना लोगों को अन्यायपूर्ण लगता है।  उन्हें लगता है कि जंगली जानवरों को प्रशिक्षित कर ऐसी चालें चलाना बेईमानी लगती है जो उनके लिए अप्राकृतिक हैं और हम उनके प्राकृतिक जीने के अधिकार को इस प्रकार छीन रहे हैं।  इन जानवरों के कई प्रशिक्षकों ने इनको सर्कस के गुर सिखाने के लिए क्रूर तरीकों का इस्तेमाल भी करने से नहीं चूकते हैं। जैसेकि जानवरों को मारना, उन्हें बिजली के झटके देना या अन्य तरीकों से दर्द पैदा करना।

जानवरों को हमेशा सर्कस के अन्य कलाकारों के साथ दुनिया/ देश के विभिन्न जगहों पर जाना पड़ता है और उनको रहने के लिए छोटे पिंजरे में बंद किया जाता है। जो कि जानवरों के जीवन जीने के अधिकार का हनन होता है और या उनके साथ मानव द्वारा अन्याय भी हैं। क्योंकि हम सिर्फ अपने मनोरंजन मात्र के लिए किसी को प्रताड़ना नहीं दे सकते। यह मानवता के खिलाफ होता है।

निष्कर्ष

सर्कस वाकई एक मनोरंजन का साधन है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन प्रदान करता है। सब लोग यहां आकर अपने दुख कुछ समय के लिए भूल जाते हैं और सर्कस के कलाकारों के करतब का आनंद लेते हैं। अगर कुछ चीजों, जैसे कि सर्कस में बेकसूर, निरपराध जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास से पकड़ कर सर्कस में लाकर अपने मतलब के लिए प्रशिक्षित करना करना, छोड़ दिया जाए तो सर्कस वाकई पूरे समाज के लिए एक अच्छा मनोरंजन साधन साबित होता है।