स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है इस योजना के तहत देश के पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है। भारत के पर्यटन मंत्रालय ने सन 2014 – 2015 में 2 नई योजनाओं को प्रस्तावित किया, पहली प्रसाद यानि तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यत्मिक संवर्धन ड्राइव है, जोकि सभी धर्मों के तीर्थ केन्द्रों पर सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने के लिए है,तथा दूसरी स्वदेश दर्शन योजना जोकि विविध थीम पर आधारित पर्यटन सर्किट के आंतरिक विकास के लिए है।
स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना – Swadesh Darshan and Prasad Yojana
ये योजनाएँ केंद्र सरकार के नेतृत्व में बेहतर तरीके से देश की हेरिटेज सिटीज को विकसित करने के लिए एवं अधिक पर्यटकों को हासिल करने के लिए होगी।
- उत्तर – पूर्व सर्किट
- बुद्धिस्ट सर्किट
- हिमालय सर्किट
- कोस्टल सर्किट
- कृष्णा सर्किट
ये सर्किट्स, प्रमुख और लोकप्रिय और स्थापित पर्यटन स्थलों को एवं उसके आकर्षण को कवर करने के लिए है, यह संस्कृति, विरासत एवं अध्यात्म का मिश्रण है, और साथ ही पर्यावरण पर्यटन देश को एक होलिस्टिक पर्सपेक्टिव देने के लिए है।पर्यटन, भारत के सरकारी खजाने में एक बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा का योगदान देता है, यह भारत में GDP का 6.8 प्रतिशत योगदान शेयर करता है।
पर्यटन सर्किट
यह भारत में अधिकांश सुनहरे त्रिकोण की तरह है। गोल्डन ट्रायंगल के अंतर्गत तीन बड़े शहर आते है, जिन्हें कवर किया गया वे है दिल्ली, आगरा और जयपुर. इसके अलावा पर्यटन सर्किट को एक मार्ग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो कम से कम तीन पर्यटन स्थलों में स्थित है और इनमें से कोई भी सेम टाउन, गाँव या शहर का नहीं है. पर्यटन सर्किट को अच्छी तरह से प्रवेश और निकास बिन्दुओं में परिभाषित किया जाना चाहिए। एक पर्यटक जो इन स्थानों में प्रवेश करता है उसे सर्किट में पहचानी गई जगहों पर विसिट करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
प्रसाद योजना
भारत हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, और सूफीवाद की तरह कई धर्मों का देश है। यहाँ देश के विभिन्न हिस्सों में उनके तीर्थस्थल हैं।घरेलू पर्यटन का विकास काफी हद तक तीर्थयात्रा पर्यटन पर निर्भर करता है, जोकि धार्मिक भावनाओं के द्वारा आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्रेरित है। प्रसाद योजना को भी भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सन 2014 – 2015 में लोंच किया गया। प्रसाद योजना के तहत शुरूआती विकास के लिए 12 शहरों की पहचान की गई है. वे हैं।
- अमृतसर (पंजाब),
- अजमेर (राजस्थान),
- द्वारका (गुजरात),
- मथुरा (उत्तर प्रदेश),
- वाराणसी (उत्तर प्रदेश),
- गया (बिहार),
- पूरी (ओडिशा),
- अमरावती (आंध्रप्रदेश),
- कांचीपुरम (तमिलनाडू),
- वेल्लान्कन्नी (तमिलनाडू),
- केदारनाथ (उत्तराखंड),
- कामख्या (असम)
तीर्थयात्रा पर्यटन के लिए सबसे बड़ी चुनौती इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना है जैसे बजट होटल, सड़क, लास्ट माइल कनेक्टिविटी, सीवेज, स्वच्छता एवं साफ-सफाई, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, जागरूकता की कमी, एवं धार्मिक शिष्टाचार का विकास जोकि धार्मिक पर्यटकों द्वारा देखा जाता है आदि।
स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना से जुड़ी कुछ मुख्य बातें
इस योजना का नाम स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना रखा गया, ये 2014 और 15 में पर्यटन मंत्रालय के द्वारा लाँच किया गया।
स्वदेश दर्शन के अंदर आने वाले कुल सर्किट प्रसाद योजना के अंदर आने वाले शहर बारह शहरों जोड़ा गया इस योजना का कुल बजट 100 करोड़ है जो कि प्रबंधन मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के मध्य विभाजित है। और स्वदेश दर्शन योजना का कुल 600 करोड़ है।
स्वदेश दर्शन योजना के लक्ष्य
- पहचान किये गए थीम बेस्ड सर्किट में इंफ्रास्ट्रक्चर का इंटीग्रेटेड विकास करना।
- विविध थीमेटिक सर्किट के साथ पूरा पर्यटन अनुभव प्रदान करना।
- गरीबों के हित में पर्यटन के दृष्टिकोण और कम्युनिटी बेस्ड डेवलपमेंट को फॉलो करना।
- लोकल कम्युनिटीज के बीच आय के स्त्रोतों में वृद्धी, जीवन स्तर एवं क्षेत्र के समग्र विकास की टर्म्स में पर्यटन के महत्व के बारे में बताते हुए उनमें जागरूकता पैदा करना है।
- पहचाने गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, भोजन आदि को बढ़ावा देना है।
- रोजगार सृजन एवं आर्थिक विकास में इसके डायरेक्ट और मल्टीप्लायर प्रभाव के लिए हार्नेस पर्यटन क्षमता को बढ़ाना है।
प्रसाद योजना के लक्ष्य एवं गाइडलाइन्स
- प्राथमिकता के आधार पर बनाई गई योजना में तीर्थस्थलों का इंटीग्रेटेड विकास और पूरा धार्मिक अनुभव प्रदान करने के लिए यह योजना सस्टेनेबल तरीका है।
- इस योजना का लक्ष्य तीर्थस्थलों के विकास में, कम्युनिटी बेस्ड डेवलपमेंट और गरीबों के हित में पर्यटन कॉन्सेप्ट को फॉलो करना है।
- लोकल कम्युनिटीज के बीच आय के स्त्रोतों में वृद्धी, जीवन स्तर एवं क्षेत्र के समग्र विकास की टर्म्स में पर्यटन के महत्व आदि के बारे में बताते हुए उनमें जागरूकता पैदा करना है।
- पहचाने गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, भोजन आदि को बढ़ावा देना है।
- रोजगार सृजन एवं आर्थिक विकास में इसके डायरेक्ट और मल्टीप्लायर प्रभाव के लिए हार्नेस पर्यटन क्षमता को बढ़ाना है।
- धार्मिक स्थलों में विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास द्वारा एक स्थायी तरीके से पर्यटकों का आकर्षण बढ़ाना है।
प्रसाद योजना की विषेशता
- 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान यह योजना केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू की जाएगी।
- योजना की निगरानी, रिव्यु और ओवरआल मार्गदर्शन की जिम्मेदारी के साथ एवं अध्यक्ष के रूप में पर्यटन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के साथ NSC (रष्ट्रीय संचालन समिति) का गठन किया जायेगा।
- डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट के प्रिपरेशन की जिम्मेदारी के साथ PMC मिशन निदेशालय द्वारा नियुक्त किये जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक सलाहकार होगा।
स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना में सरकारी नियम
सरकार की इस योजना में सबसे बड़ी भूमिका रही हैं। जब से भारत में पर्यटन मंत्रालय एवं केन्द्रीय सरकार द्वारा यह योजना लोंच हुई है, तब से संयुक्त रूप से पूरी फंडिंग और विकास की प्रक्रिया केवल सरकार द्वारा ही की गई है. वर्ष 2015 – 2016 के दौरान बजट के तहत ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए स्वदेश दर्शन योजना में 600 करोड़ तथा प्रसाद योजना में 100 करोड़ रूपये एल्लोकेट किये गये है। इस पर कार्य करने वाले पब्लिक सेक्टर्स और कुछ कॉर्पोरेट सेक्टर्स द्वारा फण्ड जारी कर दिया गया है और विकास की प्रक्रिया का कार्य भी शुरू हो गया है।