भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध – Status of Women in India Essay in Hindi

इस पोस्ट में भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध (Status of Women in India Essay in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। प्राचीन काल के भारत में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता था। परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया महिलाओं की स्थिति में भीषण बदलाव आया। महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी थी।

बहुविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि जैसे मामले उजागर होना एक आम बात बनने लगी थी। बिगड़ते हालातों को देखते हुए महान नेताओं तथा समाज सुधारकों ने इस दिशा में काम करने की ठानी। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि महिलाओं की बिगड़ती स्थिति पर काबू पाया जा सका।

उसके बाद भारतीय सरकार ने भी इस दिशा में काम किया। सरकार ने पंचायती राज प्रणाली में 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी ताकि वे आगे आकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर सके।

उदाहरण 1. भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध – Status of Women in India Essay in Hindi

मध्यकालीन भारत में महिलाओं की स्थिति आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक रूप से बहुत ख़राब थी। प्राचीन काल में महिला को देवी का दर्जा देने के बाद भी उनकी हालत किसी राजा-महारजा की दासी के समान थी। सैद्धांतिक रूप से भले ही महिला को समाज में ऊँचा स्थान दिया गया था पर व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह मात्र एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ न था।

महिलाओं को सामाजिक स्तर पर काम करने की मनाही थी। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उनकी राय लेना जरुरी नहीं माना जाता था। शादी से पहले लड़कियां को माँ-बाप के दबाव में जीना पड़ता था वहीँ शादी के बाद उन्हें अपने पति की इच्छा अनुसार चलना पड़ता था। मुग़ल साम्राज्य के दौरान तो हालात और भी ख़राब थे। महिलाओं को सती प्रथा और परदे में रहने जैसे बंधनों में बंधकर रहना पड़ता था।

मुगल काल के बाद ब्रिटिश राज में भी हालत नहीं सुधरे थे बल्कि उसके बाद तो व्यवस्था और भी बिगड़ गयी थी। इसके बाद महात्मा गाँधी ने बीड़ा उठाया और महिलाओं से आह्वान किया किया की वे भी आजादी के आन्दोलन में हिस्सा ले। इसके बाद ही सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित और अरुणा आसफ़ अली जैसी महान नारीयों का उदय हुआ जिन्होंने खुद महिलाओं की दशा सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके बाद इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही व्यापक स्तर पर महिलाओं के विकास पर जोर दिया जाने लगा। इंदिरा गाँधी खुद अपने आप में ही महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत थी। उन्हीं की राह पे चलते हुए अनेको महिलाएं समाज में गौरवपूर्ण पदों तक पहुँची।

उदाहरण 2. भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध – Status of Women in India Essay in Hindi

पिछले हजारों सालों में समाज के अन्दर महिलाओं की स्थिति में बहुत बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। अगर गुज़रे चालीस-पचास सालों को ही देखे तो हमें पता चलता है की महिलाओं को पुरुषों के बराबर हक़ मिले इस पर बहुत ज्यादा काम किया गया है। पहले के ज़माने में महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर सख्त पाबन्दी थी। वे घर की चारदीवारी के अन्दर रहने को मजबूर थी।

उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य यही था की उन्हें अपने पति और बच्चों का ख्याल रखना है। महिलाओं के साथ न तो पुरुषों जैसा व्यव्हार किया जाता था और न ही उन्हें पुरुषों जैसी अहमियत दी जाती थी। अगर वेदों के समय की बात की जाए तो उस वक़्त महिलाओं की शिक्षा-दीक्षा का खास ख्याल रखा जाता था। इसके उदाहरण हम प्राचीन काल की पुस्तकों में भी देख सकते है।

अगर हम वेदों का अध्ययन करे तो उसमें हमें यह साफ़ देखने को मिलता है की उस वक़्त की औरतों को अपनी शिक्षा पूरी करने की छूट थी तथा उनका विवाह भी उन्हीं की रजामंदी से होता था। गार्गी और मैत्रयी नाम की दो महिला संतो का उदाहरण रिगवेद और उपनिषदों में दिया हुआ है। इतिहास की मानें तो महिलाओं का पतन समृतियों (मनुसमृति) के साथ शुरू हुआ।

धीरे धीरे भारत में इस्लामी और ईसाई आगमन से महिलाओं से उनके हक़ छिनते चले गए। महिलाएं सामाजिक बेड़ियों में बंधकर रहने लगी जिनमें प्रमुख थी सती प्रथा, बाल—विवाह, बालश्रम, विधवाओं के पुनःविवाह पर रोक आदि।

पर्दा प्रथा की शुरुआत भारत में मुस्लिम धर्म के आने के बाद हुई। राजस्थान के राजपूत समाज द्वारा गौहर नाम के रिवाज़ का अनुगमन किया जाता था। मंदिर में जो महिलाएं थी उनका अमीर तथा प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता था।

पर आज के समय की बात की जाए तो महिलाएं हर क्षेत्र (जैसे राजनीती, सामाजिक कार्य, तकनीकी विभाग, खेल-कूद आदि) में अपना योगदान बिना किसी डर के दे रही है।

महिलायें हर जगह नेतृत्व करती दिख रही है बल्कि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पुरुषों से दो कदम है। हम यह तो नहीं कह सकते की महिलाओं की स्थिति में सौ फीसदी बदलाव आया है पर इतना जरुर कह सकते है की महिलाएं अब अपने अधिकारों के लिए और भी अधिक जागरूक हो गयी है।

उदाहरण 3. भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध – Status of Women in India Essay in Hindi

भारत के आजाद होने के बाद महिलाओं की दशा में काफी सुधार हुआ है। महिलाओं को अब पुरुषों के समान अधिकार मिलने लगे है। महिलाएं अब वे सब काम आजादी से कर सकती है जिन्हें वे पहले करने में अपने आप को असमर्थ महसूस करती थी।

आजादी के बाद बने भारत के संविधान में महिलाओं को वे सब लाभ, अधिकार, काम करने की स्वतंत्रता दी गयी है जिसका आनंद पहले सिर्फ पुरुष ही उठाते थे। वर्षों से अपने साथ होते बुरे सुलूक के बावजूद महिलाएं आज अपने आप को सामाजिक बेड़ियों से मुक्त पाकर और भी ज्यादा आत्मविश्वास से अपने परिवार, समाज तथा देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है।

हमारे देश की आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व महिलाएं करती है। इसका मतलब देश की उन्नति का आधा दारोमदार महिलाओं पर और आधा पुरुषों के कंधे पर निर्भर करता है। हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते उस समय का जब इसी आधी जनसँख्या को वे मूलभूत अधिकार भी नहीं मिल पाते थे जिनकी वे हक़दार है। उन्हें अपनी जिंदगी अपनी ख़ुशी से जीने की भी आजादी नहीं थी।

परन्तु बदलते वक़्त के साथ इस नए ज़माने की नारी ने समाज में वो स्थान हासिल किया जिसे देखकर कोई भी आश्चर्यचकित रह जायेगा। आज महिलाएं एक सफल समाज सुधारक, उधमी, प्रशासनिक सेवक, राजनयिक आदि है।

महिलाओं की स्थिति में सुधार ने देश के आर्थिक और सामाजिक सुधार के मायने भी बदल कर रख दिए है। दूसरे विकासशील देशों की तुलना में हमारे देश में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर है। यद्यपि हम यह तो नहीं कह सकते कि महिलाओं के हालात पूरी तरह बदल गए है पर पहले की तुलना में इस क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है।

आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति पहले से अधिक सचेत है। महिलाएं अब अपनी पेशेवर जिंदगी (सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक) को लेकर बहुत अधिक जागरूक है जिससे वे अपने परिवार तथा रोजमर्रा की दिनचर्या से संबंधित खर्चों का निर्वाह आसानी से कर सके।

महिलाएं अब लोकतंत्र और मतदान संबंधी कार्यो में भी काफी अच्छा काम कर रही है जिससे देश की प्रशासनिक व्यवस्था सुधर रही है। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है।

उदाहरण के तौर पर मतदान के दिन मतदान केंद्र पर हमें पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की उपस्थिति नज़र आएगी। इंदिरा गाँधी, विजयलक्ष्मी पंडित, एनी बेसंट, महादेवी वर्मा, सुचेता कृपलानी, पी.टी उषा, अमृता प्रीतम, पदमजा नायडू, कल्पना चावला, राजकुमारी अमृत कौर, मदर टेरेसा, सुभद्रा कुमारी चौहान आदि कुछ ऐसे नाम जिन्होंने महिलाओं की जिंदगी के मायने ही बदल कर रख दिए है।

आज नारी बेटी, माँ, बहन, पत्नीं के रूप में अलग अलग क्षेत्र जैसे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शिक्षा, विज्ञान तथा और विभागों में अपनी सेवाएं दे रही है। वे अपनी पेशेवर जिंदगी के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही है। महिलाओं की दशा सुधारने में इतना सब होने के बाद भी हमे कहीं न कहीं उनके मानसिक तथा शारीरिक उत्पीड़न से जुडी ख़बरें सुनने को मिल जाती है।

भारत सरकार ने हाल ही में महिला सुरक्षा से संबंधित कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पुराने जुवेनाइल कानून 2000 को बदलते हुए नए जुवेनाइल जस्टिस (चिल्ड्रेन केयर एंड प्रोटेक्शन) बिल 2015 को लागू किया है। इसे खास-तौर पर निर्भया केस को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इस कानून के अंतर्गत कोई भी किशोर जिसकी आयु 16 से 18 साल के बीच है और वह जघन्य अपराध में शामिल है तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जा सकेगी।

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