सॉफ्टवेर टेस्टिंग का क्या स्कोप है और इसके रोजगार के बारे में पूरी जानकारी

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग-एक ऐसा नायाब तरीका हैं, जिसके तहत सिस्टम या सिस्टम भागों की जांच होती हैं। इस परिक्षण का मुख्य होप यह पता करना हैं की-सिस्टम कंपनी द्वारा निर्धारित मानक तैयार हुआ हो।

सॉफ्टवेर टेस्टिंग का क्या स्कोप है? Software Testing Scope in Hindi

आसान शब्दों में, अपने ग्राहकों को सॉफ्टवेर से जुड़ी जानकारी मुहैय्या कराने एवं उसकी गुणवत्ता परखने के लिए सॉफ्टवेर टेस्टिंग की होती हैं। विक्रेता कंपनी द्वारा तयार सॉफ्टवेर को ग्राहक के जरूरतों के अनुसार विकसित किया करता हैं और ग्राहक जिन परिस्थितियों में तयार सॉफ्टवेर का उपयोग करेगा, उस तरह की परिस्थितियों को लैब में तयार कर सॉफ्टवेर को चेक किया जाता है।

सॉफ्टवेर टेस्टिंग का पहला उद्देश्य, सॉफ्टवेर असफलता को ढूँढना हैं, अगर टेस्टिंग के दौरान सॉफ्टवेर फेल हो होता हैं। तो जिस कारण से सॉफ्टवेर फेल हुआ हैं, उन्हें ठीक किया जाता हैं। जिससे सॉफ्टवेयर बिना किसी तकनिक समस्या को ठीक कर सुचारू रूप से काम कर सकें।

डेवलपमेंट टीम द्वारा सॉफ्टवेर तयार किया होता हैं, उसके बाद तैयार सॉफ्टवेयर को टेस्टिंग टीम के पास भेजा दिया जाता हैं। टेस्टिंग करनेवाले व्यक्ती को सॉफ्टवेर टेस्टर्स कहते हैं।

यदि संक्षेप में कहा जाए तो… . .

  • सॉफ्टवेयर की विश्वसनीयता की जांच के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग जरूरी है
  • सॉफ्टवेयर टेस्टिंग यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम किसी भी दिक़्क़त से मुक्त है जो किसी भी प्रकार की विफलता का कारण बन सकता था
  • सॉफ्टवेयर टेस्टिंग यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार हो
  • यह सुनिश्चित करना होता है कि अंतिम उत्पाद उपयोगकर्ता के अनुकूल है।

 कॅरिअर स्कोप

कंप्यूटर साइंस के इस क्षेत्र में कैरियर को लेकर कोई भी हा या ना नही है। इस क्षेत्र में बहुत ही बेहतरीन कॅरिअर के अवसर उपलब्ध हैं, जैसे जैसे तकनीक  विकास कर रहा है वैसे वैसे दिन ब दिन इस फील्ड में रोजगार के अवसर और भी अधिक बढ़ते जा रहे हैं।

आज पूरा विश्व डिजिटिलाइज हो चुका है। ये सब कंप्यूटर की ही देन है और  कंप्यूटर पर कोई भी कार्य करने के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है। सॉफ्टवेयर को टेस्ट करने वाले को सॉफ्टवेयर टेस्टर करते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि इस फील्ड में जॉब के अवसरों की कमी नही हो सकती।

जिस तरह से कंप्यूटर के क्षेत्र में ग्रोथ हो रही है उसी तरह से सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री भी ग्रो कर रही है क्योंकि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। अतः इस फील्ड में एक्सपर्ट लोगों की मांग भी बढ़ रही है।

पहले के दिनों में आईटी कंपनियों की हालत बहुत अच्छी नही थी। लेकिन कुछ समय से इस फील्ड में काफी ज्यादा ग्रोथ हुई है। इंडिया ही नही बल्कि विश्व के सभी देशों में भी डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। जिससे इस इंडस्ट्री में कामगारों के लिए और भी अच्छे मौके बनेंगे।

कुछ इंडस्ट्री के विशेषज्ञओं के मुताबिक इंडिया आउटसोर्स टेस्टिंग मार्केट का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की ताकत रखता है। इससे स्पष्ट जाहिर है कि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कैरियर के लिहाज से उम्दा कैरियर विकल्प है।

कंप्यूटर शिक्षा देने वाले देशों में प्रमुख संस्थानों द्वारा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कराए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्वालिफिकेशन बोर्ड द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कोर्स उपलब्ध कराया गया है, जो भारत  के साथ-साथ विदेश में बी नौकरी के लिए सहायक होता है। सामान्यतः सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कोर्स में एडमिशन के लिए कई संस्थान बीएससी, बीसीए, एमएससी, बीई, बीटेक, एमई, एमटेक जैसी डिग्री आदि की मांग करती है।

यदि आप इस क्षेत्र में जाकर भविष्य बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित कई तरह के कोर्सो में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। देश के कई प्रमुख संस्थान इसके लिए डिप्लोमा और डिग्री कोर्सो और डिप्लोमा का संचालन कर रहे हैं। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के कोर्स ज्यादा अवधि के नहीं हैं और इनमें से अधिकतर की अवधि एक से छ: माह तक ही है।

यदि आप इस फील्ड में जाना चाहते हैं तो एडवांस डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर क्वालिटी मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर टेस्टिंग आदि कोर्स कर यहाँ उपलब्ध जिसे कर सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के कड़ी प्रतिस्पद्र्घा के बाद ही मिल पाता है।

ऐसे संस्थान प्रवेश के लिए बीएससी,एमएससी, बीई, बीटेक ,एमटेक, जैसी शैक्षिक योग्यता मांगते हैं। इस फील्ड में कई कैरियर ऑप्शन हैं। जब आप कोर्स कर कॉलेज से निकलते हैं तब आप फ्रेशेर होते हैं ऐसे में आप QA Analyst के तौर पर कैरियर की शुरुआत कर सकते हैं। जब आपको इस फील्ड में 2 से 3 साल का अनुभव हो जाता है तब आप Sr. QA Analyst के तौर पर प्रमोट हो सकते हैं।

5 से 6 बर्ष का एक्सपेरिएंस होने के बाद आप QA टीम कॉर्डिनेटर के पद पर प्रमोट हो सकते हैं। वंही 8 से 10 साल का अनुभव होने के बाद आप टेस्ट मैनेजर के तौर पर पारी शुरू कर सकते हैं। 14 बर्ष या इससे ज्यादा अनुभव होने पर आप सीनिअर टेस्ट मैनेजर के तौर पर काम करने का मौका पा सकते हैं।

बहुत तेजी से हो रहे विकास और विस्तार के बाद भी इस फील्ड में अच्छे जानकारों की कमी देखने को मिलता है। भारत की  टीसीएस, विप्रो, सत्यम, इंफोसिस आदि कंपनियां ऐसे लोगों की तलाश में रहती हैं, जो सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का काम बखूबी कर सकें।

जो लोग उनके पैमाने पर खरे उतरते हैं, उन्हें सैलरी भी बहुत अच्छी ऑफर की जाती है। अच्छा सॉफ्टवेयर टेस्टर विदेश में भी आसानी से नौकरी पा सकता है। इस क्षेत्र में देश में काम कर रही सभी बडी कंपनियां इसका प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों में जाकर कैंपस सेलेक्शन भी करती हैं।

ये सेक्टर में देश किसी पहचान का मोहताज नहीं है। सॉफ्टवेयर हो या फिर हॉर्डवेयर की फील्ड दोनों में ही भारत आगे है। एक अनुमान के अनुसार सन 2021 के अंत तक भारतीय आईटी इंडस्ट्री का निर्यात कारोबार तकरीबन 175 अरब डॉलर का हो होगा।

इसके से एक बडा हिस्सा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की फील्ड का भी होगा, क्योंकि भारतीय टेस्टर उच्च कोटि के सॉफ्टवेयरों का काफी कम समय में सफलता के साथ टेस्ट कर रहे हैं। भारतीय टेस्टर टेस्टिंग की कार्ययोजना के निर्माण से लेकर उसको सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाने में पूरी तरह निपुण हो गए हैं। उनकी यह काबिलियत आईटी फील्ड में भारत के कदमों को आगे बढाने का काम कर रही है।