सोलर पैनल क्या है और यह कैसे काम करता है? पूरी जानकारी

प्राचीन काल मे बिजली नहीं होती थी और लोग अपने कार्य आग जलाकर करते थे। दिन में सूर्य की रोशनी उनकी सहायक होती थी और रात में पत्थरों से घिसकर जलाई गई आग। किंतु महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन द्वारा बिजली के आविष्कार के उपरांत लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया। अब बिजली की समस्या का पूर्ण रूप से समाधान हो गया है।

आधुनिक युग में तो प्रत्येक कार्य हेतु बिजली की आवश्यकता होती है चाहे कपड़े धोने हो,टीवी देखना हो,मोबाइल चार्ज करना हो,इंटेरनेट तो पूर्ण रूप से बिजली पर ही निर्भर करता है। बिजली का जीवन में बहुत महत्व है बिना इसके एक समृद्ध जीवन की कल्पना नहीं कि जा सकती है।

सोलर पैनल क्या है? (What is Solar Panel in Hindi)

बिजली पाने के कई तरीके है और उनमें से एक है सूर्य की किरणों द्वारा। इस तकनीक को हम सोलर पैनल के नाम से जानते है । यह एक प्रकार का उपकरण है जो सूर्य से आ रही रौशनी अथवा यूं कहें कि सूर्य की किरणों को सोंकता है और उसके पश्चात उसे गर्मी या बिजली में बदल देता है। सोलर पैनल बनाने के लिए सोलर सेल का प्रयोग किया जाता है। इसकी बैटरी को १० वर्ष में एक बार बदलना होता है। सं १८३९ में इसकी खोज एलेग्जेंडर एडमोंड बैकेलल ने की थी।इन्होंने एक इफ़ेक्ट एक तकनीक का निर्माण किया जिसे फोटोवोल्टिक तकनीक कहते है,इस इफ़ेक्ट से सूर्य की रौशनी से बिजली प्राप्त की जा सकती है।

सोलर पैनल के बहुत फायदे है,यह हमारे लिए काफी फायदेमंद है। सबसे बड़ी खूबी तो इसमें यह है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है यहां तक कि हम इसे अपने घर पर भी लगवा सकते है। दूसरा, यह बहुत सस्ता साधन है इसलिए इसे आसानी से लगवाया जा सकता है और बिजली के बिल में भी बचत होती है। तीसरा,सूर्य तो सर्वदा लाभदायक होता ही है इसके द्वारा प्राप्त बिजली वातावरण को दूषित नही करती है और उसे शुद्ध रल्हन में सहायता प्रदान करती है। यह उपकरण अथवा बिजली प्राप्त करने का साधन अत्यंत सुरक्षित है और साथ ही एक बार इसे लगवा लेने के बाद हर मास बिजली का बिल भी नहीं भरना पड़ता है।

जिन क्षेत्रों में बिजली नहीं आती है वहां इन्हें आसानी से लगवाया जा सकता है। सौर्य ऊर्जा से हम घर पर खाना बना सकते है,कई सारे उपकरणों को सूर्य की ऊर्जा में सुबह चार्ज कर सकते है और रात में इसका प्रयोग कर सकते है। बस दिक्कत यह होती है कि सोलर पैनल केवल सुबह काम कर सकता है जब सूर्य की रैशनी होती है अन्यथा यह कार्य नहीं करता है। बारिश की मौसम में भी खराब सिग्नल के कारण यह कार्य नहीं कर पाता है।यह केवल तभी कार्य करेगा जब सूर्य का प्रकाशन होगा। सोलर पैनल दो प्रकार के होते है जैसे-मोनोकरयस्टॉलिने सोलर पैनल,पोलीकरयस्टॉलिने सोलर पैनल।

मोनोकरयस्टॉलिने सोलर पैनल-इस प्रकार के सोलर पैनल काफी महँगे होते है। ये सूर्य की कम रैशनी से भी ऊर्जा प्राप्त करके बिजली बना लेते है। इनमे बहुत गुणवत्ता होती है क्योंकि इनका निर्माण सिंगल सिलिकॉन क्रिस्टल से होता है। ये काफी ऊर्जावान होते है।
पोलीकरयस्टॉलिने सोलर पैनल-इनकी ऊर्जा मोनोकरयस्टॉलिने सोलर पैनल से कम होती है और उसकी तुलना में भी कम महँगे होते है। यह सूर्य से बिजली बनाने के लिए ज्यादा रैशनी लेते है।

कंडक्टर उसे कहा जाता है जिससे बिजली गुज़रती है जैसे तार और इंसुलेटर उसे कहा जाता है जिससे बिजली पार नही होती है जैसे-लकड़ी। सेमीकंडक्टर वह होता है जो दोनो प्रकार की क्रियाओं में गतिशील है जैसे यह कंडक्टर भी है और इंसुलेटर भी। इसमे दो तरह के सिलिकॉन होते है पॉजिटिव और नेगेटिव। इनको एक साथ एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है और फिर सूर्य का प्रकाश डाला जाता है तब प्रोटोन पोस्टिव से नेगेटिव की ओर जाते है और बिजिली उत्पन्न होती है।

सूर्य की रैशनी से सूक्ष्म अंश निकल कर सोलर पैनल पर पड़ते है और सेमीकंडक्टर अपना कार्य प्रारंभ कर देता है। तब इलेक्ट्रान पोस्टिव से चलना प्रारंभ करते है और बिजली उत्पन्न होती ,उसके बाद जब ये नेगेटिव की ओर जाते है तो पोस्टिव की जगह खाली हो जाती। फिर इलेक्ट्रान उस खाली जगह को भरने के लिए जाते है और यह चक्र चलता रहता है और इसी प्रकार सोलर पैनल से बिजली का निर्माण होता है।
यह वैज्ञानिकों द्वारा किया गया एक अद्भुत अविष्कार है और बहुत ज्यादा लाभदायक भी है। इस तकनीकी युग में यह निश्चित रूप से एक वरदान ही है।