गुरुरामदास जी जयंती – Guru Ramdas Ji Jayanti in Hindi

रामदास जयंती 15 अक्टूबर को देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है. इस त्योहार को खास तौर पर सिख समुदाय के लोग सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन गुरुद्वारों में गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है. झांकियां और सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है.

गुरुरामदास जी जयंती – Guru Ramdas Ji Jayanti in Hindi

रामदास महारा हमेशा अपने प्रवचनों में असभ्य व्यवहार और भाषा से दूर रहने का संदेश देते थे. संत रामदास का कहना था कि असभ्य शब्द बोलने वाला अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है.

ऐसा कहा जाता है कि एक गांव में संत रामदास कुछ दिनों से सत्संग का प्रवचन करने के लिए ठहरे हुए थे. वह स्वभाव के शालीन इंसान थे और खुद ही सात्विक आहार बनाकर भोजन ग्रहण करते थे. एक दिन उसी गांव का एक युवक आया और उसने संत रामदास जी से अपने घर भोजन ग्रहण करने के लिए कहा.

संत रामदास ने बदल दिया युवक का मन

संत रामदास ने उसे युवक से कहा, ”वत्स, मैं किसी अन्य के घर पर भोजन नहीं करता हूं, यह मेरा नियम है.” लेकिन वह युवक बहुत जिद्द करने लगा. बार-बार समझाने के बाद भी जब वह नहीं माना, तो संत रामदास ने उस युवक का दिल रखने के लिए हामी भर दी.

अगले दिन जब संत रामदास उस युवक के घर भोजन करने के लिए गए तो उसने संत जी के सामने कई प्रकार के व्यंजनों को सामने रखा. जब आंख बंद कर रामदास ने खाने को प्रणाम किया और आंखें खोलीं, तो युवक संत जी को कहने लगा, ”रे ढोंगी संत तू तो कहीं भी भोजन नहीं करता, फिर यहां क्यों भोजन करने के लिए आया है.” युवक ने संत रामदास को कई अपशब्द भी कहे.

संत रामदास जी बिना भोजन किए ही वहां से चले गए और भगवान श्रीराम को शुक्रिया कहा. युवक को संत रामदास की यह बात समझ नहीं आई. इसके बाद वह युवक संत रामदास जी के पास गया और अपने बुरे बर्ताव के लिए माफी मांगने लगा. संत रामदास ने उसे उसी क्षण माफ भी कर दिया.

युवक को बात समझ आ गई

युवक ने कहा, ”हे महाराज, मैंने आपके लिए कई गलत शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया.”

संत रामदास जी ने युवक की बात के जवाब में कहा, ”वत्स इसके दो कारण हैं. पहला यह कि मेरे गुरु ने कहा था कि जब कोई तुझे अपशब्द कहे, तो उसे मरा हुआ समझ लेना और उसकी बात को सुनना मत. अगर उसकी बात को सुन भी लेना, तो समझना कि सामने वाला अपने असभ्य खानदान का परिचय दे रहा है और तुम अपनी मुस्कुराहट से सभ्य परिवार का परिचय देना.” रामदास जी का पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित था.

सिख धर्म के चौथे गुरु राम दास जी का जन्म बाबा हरदास मल्ल व माता दया कौर के घर 26 आश्विन कार्तिक वादी 2 संवत 1591 (24 सितंबर 1534) को चूना मंडी लाहौर में हुआ। गुरु राम दास को जेठा नाम से भी पुकारा जाता था।