इस पोस्ट में चन्द्रमा पर निबंध (Essay on Moon in Hindi) के द्वारा इसके बारे में अच्छे से जानेंगे। चंद्रमा एक विभेदित निकाय है जिसका भूरसायानिक रूप से तीन भाग क्रष्ट, मेंटल और कोर है। चंद्रमा का २४० किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त एक ठोस भीतरी कोर है और इस भीतरी कोर का बाहरी भाग मुख्य रूप से लगभग ३०० किलोमीटर की त्रिज्या के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। कोर के चारों ओर ५०० किलोमीटर की त्रिज्या के साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है।
हम इसे आकाश में देख सकते हैं। भारतीयों में इसे “चंदा मामा” के नाम से भी पुकारा जाता है। यह रात को आकाश में प्रकट होता है तथा रातके अंधेरे को दूर भगाता है। यह पृथ्वी को रात में रोशनी देता है। जिस प्रकार सूरज दिन में उजाला करता है उसी प्रकार चंद्रमा रात में उजाला करता है। रात को आकाश में तारे भी दिखते हैं। परन्तु इसका प्रकाश तारों की अपेक्षा अधिक होता है। यह आकाश में चमकता हुआ ऐसा लगता है जैसे आकाश में एक बिंदी चमक रही हो।
रात को चंद्रमा अपनी शीतल चाँदनी बिखेरता है जिससे लोगों को रात को राहत मिलती है। चाँद हर रात इतना अधिक नहीं चमकता। यह सबसे ज्यादा पूर्णिमा की रात को चमकता है। पूर्णिमा की रात को यह पूरा गोल होता है। चाँद की रोशनी ठंडक प्रदान करती है। चाँद को रात की रानी कहा जाता है। चाँद पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इसे रोशनी सर्य से मिलती है। उसी से रोशनी लेकर यह रात को चमकता है। बच्चों को चाँद की कहानियाँ बहुत अच्छी लगती हैं हर किसी को चाँद की चाँदनी बहुत अच्छी लगती है क्योंकि यह हमें शीतलता प्रदान करती है। वास्तव में यह हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है।
चन्द्रमा पर निबंध – Essay on Moon in Hindi
चाँद का मानव जीवन के साथ गहरा नाता रहा है. हिन्दू धर्म में चन्द्रमा (Moon) को देवता माना जाता है, चाँद से जुड़ी कई दिलचस्प पौराणिक हमें अपने दादा-दादी से सुनने को मिलती है. हम अभी तक चन्द्रमा के बारे पूरी जानकारी नही जुटा पाए है. नील आर्मस्ट्रांग वर्ष 1969 में चाँद पर कदम रखने वाले पहले वैज्ञानिक थे. अब तक 12 वैज्ञानिक चन्द्रमा की यात्रा कर चुके है.
पृथ्वी का सबसे नजदीकी गोलाकार आकाशीय पिंड चंद्रमा है. आधुनिक खगोल शास्त्रियों के अनुसार वहां जल और वायु का अभाव है. इसलिए वहाँ जीवन संभव नही है. कहा जाता है, कि नील आर्मस्ट्रांग जो आज से 50 वर्ष पहले चन्द्रमा पर पहुचें थे, आज भी उनके कदम वहां बने हुए तथा अगले करोड़ो वर्षों तक बने रहेंगे, वायु की अनुपस्थिति में वो निशान अमिट बने हुए है.
हमारी पृथ्वी के धरातल एवं चन्द्रमा के धरातल में कुछ समानताएं है. चन्द्रमा का धरातल पृथ्वी के धरातल की ही तरह उबड़ खाबड़ है. चन्द्रमा की तुलना में पृथ्वी लगभग 81 गुणा बड़ी है. राकेट से चन्द्रमा की यात्रा में 13 घंटा लगते है, इन दोनों ग्रहों के बिच की दूरी 384403 किलोमीटर है. साढ़े चार अरब साल पुराना चन्द्रमा का इतिहास है. यदि यह न होता तो पृथ्वी पर दिन 6 घंटे का ही होता.
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चन्द्रमा की कलाएं
पृथ्वी और चन्द्रमा दोनों की आकृति गोलाकार है. दोनों ही सूर्य से प्रकाश प्राप्त करते है. इस कारण दोनों के आधे भाग पर ही प्रकाश रहता है और आधे भाग पर अँधेरा. सूर्य से प्राप्त प्रकाश की किरणें चन्द्रमा से परावर्तित होकर पृथ्वी पर आती है, उसे हम चांदनी (Moonlight) कहते है. महीने में एक बार ही चंद्रमा का पूर्ण प्रकाशित भाग पृथ्वी के सामने आता है. इसे भारत में पूर्णिमा (full moon) कहते है.
इसी तरह महीने में एक बार चन्द्रमा का अप्रकाशित भाग पृथ्वी के सामने होता है, उसे अमावस्या (New moon) कहते है. पूर्णिमा से अमावस्या तक चन्द्रमा का यह अप्रकाशित भाग घटता जाता है एवं अमावस्या से पूर्णिमा तक बढ़ता जाता है.
चन्द्रमा की इन घटती बढ़ती आकृतियों को ही चंद्र कलाएं (phases of the moon) कहा जाता है. भारत में बढ़ते चाँद के पखवाड़े को शुक्ल पक्ष (Darker fortnight) एवं घटते चाँद के पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहा जाता है.
चन्द्रमा पर दिन में बहुत अधिक गर्मी एवं रात्रि में बहुत अधिक ठंड पड़ती है. इसलिए वहां का वातावरण जीवन के अनुकूल नही है. चन्द्रमा को अपने अक्ष पर घूमने में लगभग 29 दिन एवं पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने में लगभग 27 दिन लगते है.
चन्द्रमा के बारे में संक्षिप्त जानकारी एवं तथ्य
- चन्द्रयान प्रथम इसरो (भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा भेजा गया भारत का पहला चन्द्र यान था. 2008 के इस चंद्रयान द्वारा चाँद पर एक बर्फ के टुकड़े (ध्रुव) की शिनाख्त की, बाद में इसे नासा द्वारा भी पुष्ट किया गया.
- इससे भविष्य में चन्द्रमा पर मानव जीवन की संभावना जताई जा रही है. संयुक्त राज्य अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा अपना स्थायी अनुसंधान केंद्र चाँद पर भेजने की तैयारी में है.
- अब तक विश्व के कुल 12 अंतरिक्ष वैज्ञानिक चाँद पर जा चुके है, 1969 आर्मस्ट्रांग के बाद 1972 Gene Cernan अंतिम व्यक्ति थे.
- चंद्रमा पर वायुमंडल (atmosphere) की अनुपस्थिति के कारण वहां से आसमान का रंग काला दिखाई देता है, तथा एक व्यक्ति की आवाज दूसरा व्यक्ति नही सुन सकता है. इसकी वजह वायु का अभाव है.
- चाँद एवं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) में छ गुणा अंतर है. यहाँ पर 120 किलों के व्यक्ति का वजन चाँद पर 20 किलों का हो जाता है.
- पृथ्वी और थिया (चाँद से अपोलो मिशन के यात्रियों द्वारा लाया गया चट्टान का टुकड़ा) के बीच हुई टक्कर ने चंद्रमा की उत्पत्ति मानी जाती है. इस बात की पुष्टि वहां की मिट्टी की गंध करती है, जिनमें आज भी बारूद जैसी गंध आती है.
- चन्द्रमा का क्षेत्रफल अफ्रीका कॉन्टिनेंट के बराबर माना जाता है, हालाँकि इस बारे में अभी तक कोई पुष्ट जानकारी नही है.
- द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद शीत युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सोवियत रूस व शेष विश्व को अपनी ताकत का मुहायना करवाने के लिए चाँद पर केमिकल अटैक का प्लान बनाया था.
- दूसरी तरफ भारत द्वारा चाँद पर जीवन तराशने के प्रयास कई सालों से चल रहे है. जिनमें मून पर पानी की खोज भारत की देन है. संभवतया यदि मानव का चन्द्रमा पर बसने का स्वप्न पूरा होता है, तो इसमें भारत का सबसे बड़ा योगदान होगा.
अन्तरिक्ष में मानव सिर्फ चन्द्रमा पर ही कदम रख सका है। सोवियत राष्ट् का लूना-१ पहला अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा के पास से गुजरा था लेकिन लूना-२ पहला यान था जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। सन् १९६८ में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन भेजने की उपलब्धि हासिल की थी और पहली मानवयुक्त ‘ चंद्र परिक्रमा मिशन ‘ की शुरुआत अपोलो -८ के साथ की गई।
सन् १९६९ से १९७२ के बीच छह मानवयुक्त यान ने चन्द्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमे से अपोलो-११ ने सबसे पहले कदम रखा। इन मिशनों ने वापसी के दौरान ३८० कि. ग्रा. से ज्यादा चंद्र चट्टानों को साथ लेकर लौटे जिसका इस्तेमाल चंद्रमा की उत्पत्ति, उसकी आंतरिक संरचना के गठन और उसके बाद के इतिहास की विस्तृत भूवैज्ञानिक समझ विकसित करने के लिए किया गया। ऐसा माना जाता है कि करीब ४.५ अरब वर्ष पहले पृथ्वी के साथ विशाल टक्कर की घटना ने इसका गठन किया है।
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