भगवान श्री राम पर निबंध – Essay on Lord Rama in Hindi

इस पोस्ट में भगवान श्री राम पर निबंध (Essay on Lord Rama in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम श्री हरि विष्णु के दस अवतारो में से सातवें अवतार थे। बारह कलाओं के स्वामी श्रीराम का जन्म लोक कल्याण और इंसानो के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था।

श्रीराम को हिन्दू धर्म के महानतम देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है। वे करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने जाते है। उन्होंने विनम्रता, मर्यादा, धैर्य और पराक्रम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया है।

उदाहरण 1. भगवान श्री राम पर निबंध – Essay on Lord Rama in Hindi

रमणे कणे कणे इति रामः

जो कण-कण में बसे, वही राम है। श्रीराम की सनातन धर्म में अनेकों गाथाएं विद्यमान है। श्रीराम के जीवन की अनुपम कथाएं, महर्षि वाल्मिकी ने बड़े ही सुंदर ढंग से रामायण में प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस रच कर जन-जन के हृदय तक श्रीराम को पहुंचा दिया।

श्रीराम नवमी

चैत्रे नावमिके तिथौ।।

नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।

ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।

वाल्मिकी कृत रामायण में उल्लिखित यह श्लोक प्रभु राम के जन्म के बारे में है। श्रीराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनका जन्म दिवस चैत्र मास की नवमी तिथि को मनाया जाता है।

प्रभु श्रीराम का जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। वो अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी – कौशल्या, कैकेयी और सबसे छोटी सुमित्रा। राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति बहुत ही जप-तप के बाद हुई थी। उनकी तीन रानियों से चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। सबसे बड़ी रानी कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न।

बालपन

बचपन से ही श्रीराम बहुत सहृदयी और विनयशील थे, और अपने पिता के सबसे करीब थे। या यूं कहे, वो राजा दशरथ की कमजोरी थे। राजा दशरथ एक पल भी उन्हें अपनी नजरों से दूर नहीं करना चाहते थे। सौतेली मां होने के बाद भी वो सबसे ज्यादा कैकेयी को स्नेह और सम्मान देते थे। उनके लिए उनकी तीनों माताएं एक समान थी। ज्येष्ठ होने के कारण वो अपने सभी छोटे भाईयों का बहुत अधिक ध्यान रखते थे।

शिक्षा-दीक्षा

श्रीराम की शिक्षा-दीक्षा गुरु वशिष्ठ के आश्रम में सम्पन्न हुई थी। प्रभु राम बचपन से ही बहुत पराक्रमी थे। बाल्यकाल से ही अपने पराक्रम का अनुक्रम शुरु कर दिया था। आगे चलकर उन्होंने अनेकों राक्षसों का वध किया और सबसे महत्वपूर्ण महा बलशाली लंकापति रावण को मारा और इस धरती को पावन किया।

निष्कर्ष

प्रभु श्री राम की इतनी कथाएं हैं जिसे एक निबंध में पिरो पाना मुमकिन नहीं। श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय है। हम सभी को उनके आदर्शो पर चलना चाहिए।

उदाहरण 2. भगवान श्री राम पर निबंध – Essay on Lord Rama in Hindi

“जिन्दगी ऐसी है, फुरसत न मिलेगी काम से।

कुछ वक्त ऐसा निकालो, प्रेम कर लो श्रीराम से।।”

सर्वोच्च संरक्षक विष्णु के आदर्श अवतार श्री राम हमेशा हिंदू देवताओं के बीच लोकप्रिय रहे हैं। राम शिष्टाचार और सदाचार के प्रतीक हैं, जो मूल्यों और नैतिकता के उदाहरण हैं। रामचंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिसका अर्थ है सिद्ध पुरुष। माना जाता है कि भगवान राम ने युग की बुरी शक्तियों को नष्ट करने के लिए धरती पर जन्म लिया था।

देवता के रूप में राम

भगवान राम, स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, “सत्य का अवतार, नैतिकता का आदर्श पुत्र, आदर्श पति, और सबसे बढ़कर, आदर्श राजा” है। जिनके कर्म उन्हें ईश्वर की श्रेणी में खड़ा करते है।

कवि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण एक महान हिंदू महाकाव्य हैं। हिंदुओं की मान्यता के अनुसार, राम त्रेता युग में रहते थे। तुलसीदास के संस्कृत संस्करण “रामायण” के “रामचरितमानस” के अद्भुत संस्करण ने हिंदू देवता के रूप में राम की लोकप्रियता को बढ़ाया और विभिन्न भक्ति समूहों को जन्म दिया।

राम का चरित्र

श्री राम सद्गुणों के खान थे। राम न केवल दयालु और स्नेही थे बल्कि उदार और सहृदयी भी थे। भगवान राम के पास एक अद्भुत शारीरिक और मनोरम शिष्टाचार था। श्री राम का व्यक्तित्व अतुल्य और भव्य था। वह अत्यंत महान, उदार, शिष्ट और निडर थे। वे बहुत सरल स्वभाव के थे।

आदर्श उदाहरण

भगवान राम को दुनिया में एक आदर्श पुत्र के रूप में माना जाता है, और अच्छे गुणों के प्रत्येक पहलू में वे श्रेष्ठ प्रतीत होते है। उन्होंने जीवन भर कभी झूठ नहीं बोला। वह हमेशा विद्वानों और गुरुजनों के प्रति सम्मान की पेशकश करते थे, लोग उनसे प्यार करते थे और उन्होंने लोगों को बहुत प्रेम और सत्कार दिया।

उनका शरीर पारलौकिक और उत्कृष्ट था। वे परिस्थितियों के अनुकूल, आकर्षक और समायोज्य थे। वे पृथ्वी पर प्रत्येक मनुष्य के हृदय को जानते थे (सर्वज्ञ होने के नाते)। उनके पास एक राजा के बेटे के सभी बोधगम्य गुण थे, और वे लोगों के दिलों में वास करते थे।

भगवान राम अविश्वसनीय अलौकिक गुणों से संपन्न

भगवान राम अविश्वसनीय पारमार्थिक गुणों से संपन्न थे। वो ऐसे गुणों के अधिकारी थे जिनमें अदम्य साहस और पराक्रम था, और जो सभी के अप्रतिम भगवान थे। एक सफल जीवन जीने के लिए, श्री राम का जीवन का अनुकरण करना श्रेस्कर उपाय है। श्रीराम का जीवन एक पवित्र अनुपालन का जीवन, अद्भुत बेदाग चरित्र, अतुलनीय सादगी, प्रशंसनीय संतोष, सराहनीय आत्म बलिदान और उल्लेखनीय त्याग का जीवन था।

निष्कर्ष

भगवान राम, जिसे रामचन्द्र के नाम से भी संबोधित किया जाता है। वो अपने आदर्श गुणों के लिए जाने जाते हैं। राम परम शिष्य, हनुमान के महान स्वामी हैं। श्री राम की महिमा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में आलोकित हैं, क्योंकि वे धार्मिकता के प्रतीक हैं।

उदाहरण 3. भगवान श्री राम पर निबंध – Essay on Lord Rama in Hindi

श्रीराम का इस धरती पर अवतरण चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माना जाता है। वह एक आदर्श व्यक्ति हैं, जिन्होंने लोगों को एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जीवन जीने की प्रेरणा दी। वो दुनिया में मौजूद क्रूर इरादों और बेईमानी के खिलाफ लड़ते थे। ऐसी मान्यता है कि उन्हें धरती पर लोगों को धार्मिकता की याद दिलाने के लिए भेजा गया था।

माता सीता का स्वयंवर

एक बार महर्षि विश्वामित्र, जो भगवान राम और लक्ष्मण को अपने साथ लेकर मिथिला पधारे थे। राजा जनक अपनी बेटी, सीता के लिए एक स्वयंवर का आयोजन कर रहे थे। वह एक प्रतियोगिता थी, जहाँ अधिकांश संभावित दूल्हे राजकुमारी को जीतने के लिए अपनी ताकत लगा रहे थे। राजा जनक, जो उस समय मिथिला के राजा थे, भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त होने के कारण उन्हें उपहार स्वरुप शिव-धनुष मिला था।

स्वयंबर की शर्त महादेव के धनुष का खंडन

स्वयंबर की शर्त यही थी कि, जो भी विशाल धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पायेगा, केवल वही राजकुमारी सीता से विवाह कर सकता था, लेकिन यह कोई नहीं कर सका।

राजा जनक अत्यंत व्याकुल हो गये थे, कि क्या इस धरती पर कोई ऐसा शूरवीर नहीं है, जो महादेव के धनुष को अपनी जगह से हिला भी पाया हो। यहाँ तक की महा बलशाली लंका पति रावण जो महादेव का अनन्य भक्त था, उससे भी धनुष टस से मस नहीं हुआ।

श्रीराम का जनक के दरबार में आगमन

इतने में प्रभु श्रीराम का जनक के दरबार में आगमन होता है, उनके तेज से पूरा माहौल प्रकाशित हो उठता है। गुरु का आशीष ग्रहण कर प्रभु क्षण मात्र में धनुष उठा लेते हैं। उनके स्पर्श मात्र से ही धनुष टूट जाता है। इस प्रकार स्वयंबर की शर्त श्रीराम पूरी करते है और माता जानकी उनका वरण करती है।

भगवान राम का वनवास

भगवान राम का सीता से विवाह होने के बाद उन्हें अयोध्या का राजा बनाना सुनिश्चित किया गया। उसकी सौतेली माँ उन्हें राजा न बनाकर अपने बेटे भरत को राजा बनाना चाहती थी । इसलिए उन्होंने, राजा दशरथ को राम को 14 साल के लिए वनवास भेजने के लिए कहा। चूंकि दशरथ अपने वचन से बँधे थे, उन्होंने दिल पर पत्थर रखकर यह सब किया। भगवान राम अपनी पत्नी और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए जंगल चले गए।

भगवान राम द्वारा रावण का वध

सुपनखा के नाक कटने से, यह प्रसंग शुरु होता है। अपनी बहन के अपमान से रावण इतना क्रोधित हो गया कि उसने सीता का अपहरण करके बदला लेने का फैसला किया। जिस तरह रावण सीता को दूर ले जा रहा था, भगवान राम के भक्त में से एक जटायु ने रावण से अपनी पूरी ताकत लगाकर युध्द किया।

हालांकि रावण ने उसके पंख काट दिये और जटायु बुरी तरह घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। रावण, माता सीता को अपने साम्राज्य में ले गया, जिसे लंका कहा जाता है।

समुद्र पर राम सेतु का निर्माण

भगवान राम अपने वानर भक्तों और हनुमान के साथ लंका राज्य तक पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग को चुना। राम भक्त हनुमान ने लंका द्वीप तक पहुंचने के लिए भगवान राम का नाम लिखकर तैरती चट्टानों का उपयोग करके समुद्र पर राम सेतु का निर्माण किया। वह रामसेतु पूल आज भी विद्यमान है।

रावण द्वारा भगवान राम को चुनौती

रावण ने भगवान राम को चुनौती दी कि वो उसे हराएं और सीता को ले जाएं। धार्मिकता को जीवित रखने के लिए, उन्हें रास्ते में आए अनेक राक्षसों सहित रावण के भाई, विशाल कुंभकर्ण और पुत्रों को पराजित करना पड़ा।

रावण का अंत

रावण के 10 सिर (दशानन) थे, जिससे उसे मारना असंभव था। भगवान राम ने फिर भी उसे विभीषण (रावण का भाई) की मदद से हरा दिया और चौदह सालों बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, जो कि दिवाली के रूप में मनाई जाती है।

निष्कर्ष

व्यापक किंवदंतियों के अनुसार, भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है, जिन्होंने राक्षस राज रावण का सफाया करने के लिए अवतार लिया था। श्री राम अपने निष्कलंक व्यक्तित्व और अतुलनीय सादगी के लिए जाने जाते हैं। श्री राम हिंदू धर्म के लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं।

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