सिनेमा पर निबन्ध – Essay On Cinema in Hindi

आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में  हर इंसान काम के बोझ तले दबा हुआ है। बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए हर व्यक्ति अपने रोजगार को बेहतर बनाने में लगा हुआ है। ताकि वो अपने परिवार की जिम्मेदारी अच्छे से निभा सकें और उनकी जरूरतों को पूरा कर सके। इसलिए इंसान दिन रात मेहनत कर रहा है। लेकिन इंसान तो इंसान ही कोई रोबोट तो है नहीं।

सिनेमा पर निबन्ध – Long and Short Essay On Cinema in Hindi

इंसान के कार्य करने की। क्षमता होती है।  ऐसे में दिमाग को आराम देने और तनाव मुक्त करने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता होती है। मनोरंजन के विभिन्न संचार हैं। जिनमें से एक है सिनेमा। सिनेमा देखना बच्चों से लेकर बूढ़े तक सबको पसंद है। जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही सिनेमा के दो पहलू हैं एक लाभकारी है और दूसरा हानिकारक है।

सिनेमा का लाभदायक प्रभाव

सिनेमा सबके लिए मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। सिनेमा का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है। तनाव भरे जीवन में आराम करने और मनोरंजन करने में सिनेमा बहुत ही मददगार साबित होती है। एक अच्छी सिनेमा हमें अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होती है। देशभक्ति पर आधारित सिनेमा हमें देश के प्रति कुछ करने की प्रेरणा देती है। युवा पीढ़ी सिनेमा के प्रति अधिक जागरूकता रखता है। युवा एक देश का भविष्य होता है इसीलिए यह आवश्यक है कि वह एक अच्छी मानसिकता का विकास करें।

आज के युवाओं में सीखने की तीव्र इच्छा होती है। इसलिए वह सिनेमा से नई हेयर स्टाइल, पहनावा, बात करें का तरीका, बाडी लेंग्वेज और फैशन जैसे चीजों से प्रेरित होकर उन्हें अपने जीवन में उतारते हैं ताकि वह लोकप्रिय बन सकें। सिनेमा केवल हमारा मनोरंजन नहीं करती बल्कि जीवन जीने का तरीका भी सिखाती है। वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि लोग देखने से जल्दी सीख जाते हैं। इस दृष्टि से भी सिनेमा का अत्यधिक महत्व है।

सिनेमा का हानिकारक प्रभाव

हर चीज का अपना कुछ फायदा हुआ नुकसान होता है। ऐसे ही सिनेमा का भी है। आज के समय में सिनेमा की छवि खराब हो रही है। उस सिनेमा बहुत ही अश्लील ढंग से पेश की जा रही है। जिसका आज की युवा पीढ़ी पर बहुत ही गलत प्रभाव पड़ रहा है। आज के समय में परिवारिक मूवी कब मनाई जा रही हैं। अश्लीलता पूर्ण मूवी हमारी संस्कृति को खराब करने का काम कर रही हैं। जो युवाओं के मन को अत्यधिक प्रभावित कर रही है।

ऐसा कहा जाता है कि अच्छे काम को सीखने में वक्त लगता है लेकिन बुरे काम को सीखने में नहीं। ऐसा ही हाल है सिनेमा के साथ युवाओं का। सिनेमा में दिखाई गई बुराइयां बच्चों के दिमाग पर जल्दी असर कर देती हैं। कुछ बुराइयां इस प्रकार हैं जैसे – मार पीट, धुम्रपान , झूठ और फरेब, धोखाधड़ी और खून खराबा इत्यादि। सिनेमा का लत लग ना बहुत ही बड़ी समस्या है। कुछ लोगों को सिनेमा की लत इस कदर लगी हुई है कि वह अपना सारा समय सिनेमा में ही गवा रहे हैं। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय की बर्बादी सबसे बड़ा नुकसान है।

निष्कर्ष

सिनेमा हमारे मनोरंजन का साधन है। और हमें इसे मनोरंजन की दृष्टि से ही देखना चाहिए। जहां तक रही बात सीखने की दो यह लोगों की मानसिकता पर आधारित है कि कौन क्या सीखता है। युवाओं को अपने अच्छे विवेक का प्रदर्शन करना चाहिए ना की बुराइयां सीखनी चाहिए।

सिनेमा ऐसी होनी चाहिए जिसे बिना किसी हिचकिचाहट के लोग अपने परिवार के साथ बैठकर देख सकें। अश्लीलता पूर्ण सिनेमा नहीं देखना चाहिए इसको देखने से हम अपनी मानसिकता खो बैठते हैं। और सिनेमा निर्माता को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कि उनकी सिनेमा समाज की संस्कृति को खराब ना करें।