Essay on AIDS in Hindi, AIDS कैसे होता है और इसको कैसे पता करे?

 दोस्तों इस पोस्ट में आपको Essay on AIDS in Hindi एड्स पर निबंध आपके भाषा हिंदी में लिखा गया है, आपको बता दे AIDS का फुल फॉर्म यानि पूरी नाम Human immunodeficiency virus infection and acquired immune deficiency syndrome है तो चलिए AIDS के बारे में अच्छी तरह समझाते है।

एड्स का कोई इलाज नहीं

जिंदगी तेरे है कोई मजाक नहीं

भूमिका (Essay on AIDS in Hindi)

एड्स एक प्रकार का वायरस है जो हमरे शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को क्षीण कर देती है और हम अनेक बीमारयों के शिकार हो जाते है।  शुरुवात में कई बार इस बीमारी का पता नहीं लगता। यह एक ऐसा वायरस है जो यदि शरीर में प्रवेश कर जाये तो उसे रोकना या ख़तम करना भी कई बार मुश्किल हो जाता है।

भले आप कितने भी प्रकार के सर्जन को दिखा ले या अच्छी से अच्छी दवा का इस्तेमाल कर ले परन्तु इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। एड्स यदि किसी गर्भवती महिला को हो जाये तो यह उसके भ्रूण अथवा जन्म लेने वाली संतान के लिए भी खतरनाक हो सकता है।  यही कारण है गर्भवती महिला का यह टेस्ट अत्यंत अनिवार्य होता है ताकि जन्म लेने वाले संतान इस रोग से ग्रस्त अथवा उसका शिकार न बने। चलिए Essay on AIDS in Hindi, आईवी या एड्स के बारे में विस्तार से समझाते है।

एड्स का अर्थ या परिभाषा (Meaning or Definition of AIDS)

एड्स एक प्रकार का सिंड्रोम है जिसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिशेंसी अथार्त एक ऐसा संक्रमण जो पहले से किसी व्यक्ति में विधमान होता है और यदि हम ऐसे व्यक्ति से संपर्क स्थापित करते है तो हम भी उस रोग के शिकार हो जाते है।

एच आईवी या एड्स दो अलग -अलग स्टेज़ है

एच आईवी एक वायरस है जिसका अर्थ है हार्मोन  इमुइनोडेफिशेंसी वायरस जो आपके शरीर में आपके टी-सेल्स पर आक्रमण करता है और एड्स एक प्रकार का सिंड्रोम है जो संक्रमण के तुरंत बाद सिंड्रोम के रूप में आपके शरीर में प्रकट होकर आपकी प्रतिरक्षा क्षमता को क्षीण करने की कोशिश करता है।

कारण

Essay on AIDS in Hindi: एड्स कैसे होता है या इसका प्रमुख कारण क्या है इसके विषय में अलग-अलग मत और धारणाएं है।  यदि आप किसी भी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते है जो HIV पॉजिटिव है तो एच आईवी व्यक्ति के शरीर में यौन तरल पदार्थो में और माता के दुग्ध में हो सकता है।  कुछ कारणों का वर्णन इस प्रकार है :-

असुरक्षित यौन समबन्ध बनाना :– प्रायः देखा जाता है लोग असुरक्षित यौन  समबन्ध बनाते है और इसके अतिरक्त एक से ज्यादा लोगो  के साथ शाररिक सम्बन्ध स्थापित करते है तो हम इस बीमारी के शिकार हो जाते है।

हमारे शरीर के अंदर अनेक प्रकार के हार्मोन होते है और हमारा शरीर हर प्रकार के हमें के साथ तालमेल नहीं बिठा सकता।  यही कारण है जब कोई व्यक्ति एक से अधिक लोगो के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित करता है तो वह इस रोग की चपेड़ में आ जाता है और इस बीमारी को अपने अंदर नियोयता देने का खुद ही जिम्मेदार होता है.

गर्भवती स्त्रीं अथवा महिला से जन्म लेने वाली संतान को :– एक माता से उसके संतान को भी यह रोग हो सकता है। एक गर्भवती महिला से एच आईवी उसके जन्म लेने वाली संतान को गर्भावथा के दौरान , संतान के जन्म के समय और स्तनपान के दौरान भी हो सकता है। यदि कोई गर्भवती महिला एड्स से पीड़ित है.

और एच आईवी पोस्टिव है तो कुछ दवाओं के उपचार से उसकी जन्म लेने वाली संतान में आने वाली इस बीमारी को को हद तक रोका जा सकता है परन्तु जन्म के बाद माँ को संतान को स्तनपान कराने पर रोक लगा दी जाती है।  इसका कारण है कि स्तनपान के जरियेएड्स के विषाणु शिशु के शरीर में प्रवेश कर सकते है और उन रोगाणु से लड़ने में शिशु का शरीर परिपकव नहीं होता।

रक्त का संक्रमण अथवा स्थनानान्तरण :- यदि एक अस्वस्थ व्यक्ति का रक्त एक स्वस्थ शरीर में स्थनांतरित किया जाता है तो भी या रोग हो सकता है।  प्रायः देखा गया है कभी कभी अल्पकालीन स्थति में बिना रक्त की जाँच किये केवल ब्लड ग्रुप मैच करकर , अस्वस्थ  व्यक्ति का रक्त स्वस्थ व्यक्ति में स्थनानान्तरित कर दिया जाता है.

जिसके कारण केवल लापरवाही के कारण एक स्वस्थ व्यक्ति भी इस बीमारी का शिकार हो जाता है। कभी कभी असुरक्षित सिरिंज या नीडल का प्रयोग करने से भी यह रोग स्वस्थ व्यक्ति को हो सकता है।  इसलिए कभी भी पहले से प्रयोग में लाए गए  सिरिंज या नीडल को तरुंत डस्टबिन में डाल देना चिहिए ताकि कोई लापरवाही न हो।

एड्स को दूर करने के उपाय :- एड्स जैसी भयंकर महामारी को दूर करने और ख़तम करने का एकमात्र उपाय है कि लोगों में उसके प्रति जागरूकता उत्पन्न हो जाये।  अभी भी कई हज़ार मिल्यन लोग इस बीमारी के शिकार है।  एड्स एक ऐसा वायरस है जो जंगल में आग की तरह है जो एक बार अगर फैलना शुरू हो तो आपके प्राण ले लेता है।

इसलिए इस महामारी का निदान और नियंत्रण अति आवश्यक है। एड्स या एच आईवी एक ऐसी बीमारी जिसका कोई इलाज नहीं है।  इसको फैलने से रोकने का एक तरीका यह भी है एंटीरेट्रोवायरल थेरपी।  इस थेरपी के अंतर्गत वायरस को शरीर के अंदर फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है या इसके फैलने के सीमा को धीमा किया जा सकता।  कहते है यदि किसी भी बीमारी का शुरुवाती चरण में ही इलाज़ कर लिया जाये तो बीमारी को जड़ से ख़तम भी किया जा सकता है।

 सरकार का योगदान :– इस बीमारी को नियंतरण में लाने लिए सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।  सरकार को इसके लिए जगह -जगह सभाएं आयोजित करनी चाहिए।  इसका कारण यह है कि ग्रामीण वर्ग जो विशेषकर पूर्ण रूप से इस बीमारी के प्रति सजग व जागरूक नहीं है।  आज के तकनीकी युग सरकार कई प्रकार के ऑनलाइन सेमिनार आयोजित करके भी लोगो में इस बीमारी के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर सकते है।

वैसे तो सयुक्त राष्ट्र व भारत सरकार तथा अनेक प्राइवेट संस्थओं के द्वार्रा समय -समय पर इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाय गए है और नए निर्देश भी जारी किये गए है।  पर सरकार द्वारा किये गए प्रयास तभी सफल होंगे जब हम सर्कार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करे।

अपने सहयोगी या पार्टनर के साथ सद्व्यव्हार :- यदि आपका पार्टनर इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित है तो आपको उसके साथ सहनशीलता व उदारता का आचरण अपनाना होगा।  इसका कारण यह है कि अभी आपका पार्टनर खुद को भी इस बीमारी के कारण आ रहे बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाया है।

आपका किया गया दुर्व्यवहार उसके अंदर हीन भावना का संचार कर सकता है और उसका जीवन और दुर्लभ हो सकता है।  यदि आपके पार्टनर को या आपको उसका टेस्ट करवाने में थोड़ा भी संकोच का अनुभव होता है तो इसके लिए कई प्रकार के किट उपलब्ध है जिनकी सहायता से आप अपने स्वास्थ्य की जाँच कर सकते है और सही चिक्स्त्सक की सलाह और इलाज से अपने पार्टनर की जान बचा सकते है।

लक्षण

प्रायः देखा गया है इस बीमारी के अंतर्गत व्यक्ति के शरीर में इस प्रकार लक्षण दीखते हैं – बुखार , अधिक पसीना आना  , वजन घटना , शरीर पर लाल धब्बे पढ़ना इत्यादि।  हलाकि इस प्रकार के लक्षण किसी अन्य बीमारी में भी हो सकते हैं परन्तु यदि हमारे शरीर में किसी भी तरह के बदलाव दिखाई दे तो हमें तुरंत चिकत्सक से उचित जाँच करवाकर इस बीमारी से लड़ने के उपाय अपनाने चाहिए।

निष्कर्ष

जब किसी व्यक्ति को इस बीमारी का पता लगता है तो वह खुद को गुनेहगार समझने लगता है और अलग-अलग प्रकार की हींन भवनाये उसके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।  इसलिए हमें ऐसे व्यक्ति के साथ नम्रतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए तभी वह अपने जीवन में सकरात्मक दृष्टिकोण अपनाकर अपने जीवन को सही दिशा में जी सकेंगे।

फैलता नहीं हूँ स्पर्श से ,

फिर  को नहीं रहते लोग मेरे साथ हर्ष से ,

विष में हु पर नहीं किसी के वश में ,

आखिर मैं भी तो इसी दुनियाँ का ही अंश हूँ।

उम्मीद करता हु Essay on AIDS in Hindi, एड्स पर निबंध की पूरी जानकारी आपको अच्छी तरह से मिल गयी होगी, अगर आपको हमारे ब्लॉग पसंद आते है तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है. धन्यवाद!