बाल दिवस पर निबंध – Child Rights Essay in Hindi

इस दुनियां में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे का यह मौलिक अधिकार है की उसे उचित परवरिश मिले , इसी उपक्रम में प्रत्येक माता पिता भी अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए यथा संभव प्रयास करते हैं।

बाल दिवस पर निबंध – Long and Short Child Rights Essay in Hindi

माता पिता द्वारा किये गए प्रयासों के बावजूद प्रायः वो लोग अनजाने में या अनुकूल परिस्थियाँ ना होने की स्थिति में बच्चों के न जाने कितने अधिकारों का हनन कर देते हैं। प्रत्येक बच्चे को संतुलित भोजन , शिक्षा , सुरक्षा के साथ साथ एक सकारात्मक तथा खुशनुमा माहौल की भी आवश्यकता होती है.

जहाँ उसका समुचित विकास हो सके। 20 नवंबर को मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के माध्यम से पालकों को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करके उन्हें यथास्थितियों से अवगत करने का प्रयास किया जाता है।

दूसरे पहलु पर ध्यान दिया जाये तो गरीबी और शिक्षा के अभाव में परिवार के भरण पोषण के लिए उचित आयु न होने के बावजूद भी मजदूरी का मार्ग अपनाना पड़ता है। कही कहीं तो नाबालिग बच्चो को काम पर रखा जाता है तथा उनकी क्षमता से अधिक कार्य ले कर उन्हें मजदूरी भी कम दी जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के माध्यम से ऐसे बच्चो के हो रहे अधिकारों के हनन के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा बाल श्रम रोक कर उन बच्चों को उचित भोजन के साथ साथ उचित रखरखाव व् शिक्षा दीक्षा का प्रबंध करने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। देश के संविधान के अनुसार बाल अधिकार देश के प्रत्येक बच्चे को प्राप्त वो अधिकार हैं जिसमें उन्हें उचित शि‍क्षा तथा घर-परिवार के साथ साथ समाज में रहने और संतुलित स्वास्थय के विकास के लिए दिए गए अधिकारों के बारे में जागरूकता का प्रावधान है।

 बाल अधिकार दिवस का आरम्भ

प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की स्थापना सन 1954 में की गई थी।  यह दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बच्चों के कल्याण को तथा उनमें आपसी एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है| हमारे भारत देश में भी इस दिन को बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है|

सर्वप्रथम इस दिवस का आरंभ एक भारतीय नागरिक वी के कृष्ण मेनन ने किया था। 20 नवंबर को ही मैं 1959 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में बाल अधिकारों की घोषणा की गई थी इसलिए इस दिवस की महत्ता और बढ़ जाती है। बच्चों की उचित देखभाल तथा समुचित सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने मार्च 2007 में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा के लिए एक संवैधानिक संस्था  की स्थापना की ।

 बाल अधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य

प्रत्येक वर्ष बाल अधिकार दिवस मनाने का मुख्य बच्चों के अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करना है। इस दिवस के माध्यम से बच्चों के पूर्ण विकास और सुरक्षा के लिए जागरूकता को बढ़ावा देना तथा बाल अधिकार के कानून , नियमों और निर्धारित लक्ष्य का पालन करना है।  विभिन्न योजनाओं के द्वारा इस कानून को प्रचलित कर के बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है लोगों को बालश्रम न करवाने के लिए भी जागरूक किया जाता है।

इस दिवस को मनाने के अन्य उद्देश्य भी है , उदाहरणस्वरूप बच्चों के विकास में अभिभावकों की सहायता , 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की  जिम्मेदारी के लिए  पलकों को जागरूक करना , बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा , दुर्व्यवहार इत्यादि को रोकना , बच्चों के शोषण , उनका व्यापर रोकने के लिए जागरूकता को बढ़ाना इत्यादि।

 बाल अधिकार दिवस मनाने के लाभ

बाल अधिकार कानून के बनने के बाद से यह देखा गया है कि बाल मजदूरी तथा बाल हिंसा जैसे कार्यों में गिरावट आयी है। इसके अतिरिक्त स्कूल तथा कॉलेजों में की जाने वाली मानसिक प्रताड़ना या मानसिक दबाव दबाव में भी कमी आई है।  बच्चों के साथ मारपीट की समस्या भी अब धीरे धीरे कम हो रही है।

अनाथ बच्चों को सुरक्षा देने के लिए एक चाइल्ड वेलफेयर कमिटी भी बनाई गई है जहां पर 18 साल से कम उम्र के लड़के लड़कियों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है तथा अपराध के अनुसार दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान भी है।  अभी भी देखा जा सकता है कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों खत्म नहीं हुए हैं किंतु लोग जागरूक जरूर हुए हैं और इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही यह अपराध खत्म भी हो जाएंगे जिससे बच्चे एक सुरक्षित वातावरण महसूस कर सकेंगे और अपने विकास के मार्ग में आगे बढ़  सकेंगे।

बाल श्रम के साथ-साथ होने वाले यौन शोषण में गैरकानूनी रूप से बच्चों की खरीद-फरोख्त की जाती है किन्तु बाल अधिकार कानून के बनने के बाद से उसने भी कमी आई है| सरकार द्वारा द्वारा चलाए गए उपक्रमों में 8 से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा का भी अधिकार प्राप्त हुआ है जो उनके सर्वांगीण विकास में मदद करेगा।  सरकारी स्कूलों में दोपहर के भोजन का भी प्रावधान है जिस से गरीब बच्चों को कम से कम रोज भोजन मिल सके तथा उनका स्वास्थय सही रहे।

 उपसंहार

समाज में बच्चों के प्रति बढ़ते उपेक्षा , दुर्व्यवहार तथा बाल श्रम जैसे निंदनीय कार्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना अति आवश्यक था जिसके कारण बाल अधिकार कानून बना।  जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो दुनियादारी का बिलकुल भी ज्ञान उन्हें नहीं होता है उस समय एक शिक्षित तथा जागरूक नागरिक होने के नाते हमारा कर्त्तव्य बनता है की हम उन्हें सही मार्गदर्शन दें तथा यथासंभव सहायता प्रदान करें,

किन्तु हमारे समाज में ऐसे भी लोग पाए जाते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए कम वेतन दे कर बच्चों से मजदूरी करवाते हैं।  इन्ही प्रकार के निंदनीय कार्यों से निजात पाने के लिए बाल अधिकार दिवस की स्थापन हुई तथा बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए बाल अधिकार कानून भी बना।

जिसके फलस्वरूप ऐसे कार्य हमारे समाज में कम हुए हैं। किन्तु जबतक यह पूर्णतया समाप्त नहीं हो जाता हमें जागरूक रहना चाहिए तथा ऐसे कार्यों का विरोध कर के देश के भविष्य बच्चों के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।