ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – Essay On Pollution in Hindi

ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध –  Long and Short Essay On Pollution in Hindi

दोनों की प्रकृति स्वास्थ्य और व्यवहार जैसी होती है। पसंद न की जाने वाली ध्वनि को ध्वनि शोर-शराबा कहा जाता है। यह अवांछित ध्वनि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है। ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख हैं, जबकि कर्णक्ष्वेड स्मृति खोना, गंभीर अवसाद और कई बार असमंजस के दौरे पैदा कर सकता है।

शोर-शराबा के प्रति लगातार प्रदर्शन से ध्वनि प्रजनित श्रवण शक्ति का ह्रास हो सकता है। गंभीरव्यावसायिक शोर-शराबा की प्रतिछाया में आने वाले पुरूषों में इससे दूर रहने वाले पुरूषों की तुलना में श्रंवण संवेदनशीलता का गंभीर ह्रास होता है, हालाँकि श्रवण संवेदनशीलता में अंतर समय के साथ-साथ कम होने लगते हैं और 79 वर्ष की आयु होते होते दोनों समूहों के पुरूषों में अंतर की पहचान करना कठिन हो जाता है।

घूमने फिरने अथवा औद्योगिक शोर-शराबे के संपर्क में अधिक आने वाली माबान जनजाति की तुलना अमरीकी की आदर्श जनसंख्या से करने पर ऐसी जानकारी मिली है जिससे ज्ञात होता है कि पर्यावरणीय शोर श्राबे के हल्के उच्च स्तर के संपर्क में आने पर श्रवण शक्ति का ह्रास होता है।

शोर-शराबा का उच्च स्तर ह़दय संबंधी रोगों को जन्म दे सकता है तथा आठ घंटके की एकल अवधि के दौरान माध्यमिक उच्च स्तर केप्रभाव में आने से रक्त चाप में पांच से दस बिंदुओं तक की वृद्धि तथा तनाव एवं वेसोकन्सट्रिक्शन में बढोतरी हो सकती है। जिससे उच्च रक्तचाप के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी रोग हो सकते हैं।

शोर प्रदूषण चिड़चिड़ेपन का भी एक कारण है। स्पेन के शोधकर्ताओं द्वारा 2005 में किए गए एक अध्ययन में पाया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले घरेलू लोग ध्वनि प्रदूषण में कमी लाने के लिए प्रति वर्ष लगभग चार यूरोस खर्च करना चाहते हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव

शोर-शराबा पशुओं में तनाव पैदा करने, प्रीडेटर/शिकार की पहचान तथा बचाव एवं प्रजनन एवं नेवीगेशन के संबंध में सम्प्रेषण के समय ध्वनि के उपयोग के साथ हस्तक्षेप द्वारा नाजुक संतुलन कोपरिवर्तित करते हुए जानवरों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अधिक देर तक ध्वनिक प्रतिछाया में बने रहने से अस्थायी या स्थायी तौर पर श्रवण शक्ति का ह्रास। हो सकता है।

पशु जीवन पर शोर-शराबे का प्रभाव उपयोग हेतु आवास में कमी ला सकता है जो शोर शराबे वाले क्षेत्रों के कारण हो सकता है तथा जो खतरे में पड़ी प्रजातियों के मामले में विलुप्तीकरण के मार्ग का एक भाग हो सकता है।.ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाली क्षति के सर्वोत्तम ज्ञात मामलों में से एक समुद्री व्हेल की कुछ विशेष प्रजातियों की मृत्यु होती है जिन्हें सेना की तोपों की भंयकर गर्जना अर्थात सोनार द्वारा समुद्र के किनारे ला दिया जाता है।

शोर-शराबा प्रजातियों को तेज आवाज में वार्ता करने में सक्षम बनाता है जिसे लोम्बार्ड स्थानीय प्रतिक्रिया कहते हैं। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने एसेऐसे प्रोग्राम आयोजित किए हैं जिनसे व्हेल के गुनगुनाने की अवधि की लंबाई उस समय अधिक होती है जब पनडुब्बी डिटेक्टर ऑन होते हैं यदि प्राणी ऊंचे आवाज में ठीक प्रकार से ” बात ” नहीं करते हैं तब अपनी आवाज ध्वनि के द्वारा नकाबपोश कर दी जाएगी।

ये अनसुनी आवाजें चेतावनियां भी हो सकती हैं जो अपना शिकार खोजने अथवा बुदबुदाने की तैयारी कर रही हों। जब एक प्रजाति तेज आवाज में बातें शुरू करती है तब यह दूसरी प्रजाति की आवाज की नकल करती है जिससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र स्वत: ही तेज गूंजने लगता है।

जेब्रा फिंच यातायात के कारण पैदा होने वाले शोर शराबे के संपर्क में आते समय अपने सहयोगियों के साथ तुलनात्मक रूप से कम विश्वस्नीय रह जाता है। यह बदल सकता है विकासवादी की आबादी के पथ को चुन कर ” सेक्सी ” गुण, संसाधनों को आम तौर पर अन्य गतिविधियों के लिए समर्पित है और इस तरह का नेतृत्व करने के लिए आनुवंशिक और गहरा विकासवादी परिणाम हैं।

सड़क पर होने वाले शोर शराबे को शांत करने के लिए विभिन्न रणनीतियां हैं जिनमें ध्वनि अवरोधक, वाहनों की गति पर प्रतिबंध, सड़क के धरातल में परिवर्तन, भारी वाहनों पर प्रतिबंध यातायात नियंत्रण का उपयोग जो ब्रेक और गति बढाने को कम करे तथा टायरों की डिजाईन शामिल हैं।

इन रण्नीतियों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण कारक सड़क पर होने वाले शोर शराबे के लिए कम्प्यूटर मॉडल है जिसमें स्थानीय जलवायु,, यातायात संचालन तथा संकल्पनात्मक शमन को परिभाषित करने की क्षमता होती है। शमन – निर्माण की लागत को कम किया जा सकता है बशर्ते ये उपाय सड़कमार्ग परियोजना के नियोजन चरण में उठाए गए हों।

कम शोर करने वाले जैट इंजनों  की डिजाइन के द्वारा भी कुछ सीमा तक वैमानिक शोर-शराबे  को कम किया जा सकता है। इसकी पहल १९७० और १९८० के दशक में की गई थी। इस रणनीति ने शहरी ध्वनि स्तर में हालांकि सीमित ही सही लेकिन उल्लेखनीय कमी लाई है।

संचालन पर पुनविचार, जैसे उड़ान पथ और दिन का समय रनवे के उपयोग में फेरबदल हवाई अड्डे के पास रहने वाली आबादी के लिए लाभ प्रदर्शित है। 1970 में एफएए द्वारा प्रायोजित आवासीय इनसुलेशन प्रोग्रामों ने भी संपूर्ण अमरीका के हजारों घरों के आवासीय शोर शराबें को कम करने में प्राप्त सफलता का आनंद उठाया है।

औद्योगिक शोर के प्रति श्रमिकों का संपर्क में आने को १९३० से ही संबोधित किया जाता रहा है। इन परिवर्तनों में औद्योगिक उपकरण और झटके सहन करने वाले संत्र एवं कार्यस्थल पर भौतिक बाधाओं की डिजाईन शामिल है।