महात्मा गाँधी पर निबन्ध – Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines

चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर

गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गये कोटि दृग उसी ओर,

जिसके सिर रक्षक हाथ धरा, उसके सिर रक्षक कोटि हाथ,

जिस पर निज मस्तक झुका दिया, झुक गये उसी पर कोटि माथ।।

महात्मा गाँधी पर निबन्ध  – Essay On Mahatma Gandhi in Hindi 10 Lines

यह दिव्य और खूबसूरत पंकितया हमारे देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधी को सम्मानित करने के लिये गांधी अभिनंदन ग्रन्थ में लिखी गयी है। सम सभी जानते है की महात्मा गाँधी जी को हम बापू कह कर संबोधित करते है। महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस को ही देश भर में गाँधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश भर में राष्ट्रीय अवकाश होता है और विश्व भर में अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी यह दिन  मनाया जाता है। इस दिन सभी कार्यालयों, स्कूलों की छुट्टी रहती है।

भारतवर्ष के सभी राज्यों में इसे मनाया जाता है। इस दिन नई दिल्ली में गाँधी स्मारक पर राजघाट पर समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि दी जाती है। इस स्थल को गाँधी जयंती के दिन फूलों से सजाया जाता है और सभी नेता यहाँ आकर महात्मा गाँधी जी को श्रद्धांजलि देते है। इस दिन सभी स्कूलों, सामाजिक स्थलों और कॉलेजों में नाट्य मंचन, भाषण, निबंध लेखन, चित्रकला, शांति पर स्तुति, कविता पाठन इत्यादि करवाई जाती है जिससे बच्चों में महात्मा गाँधी जी के भावनाएं और गुण आये। गाँधी जी का प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम का भी गान इसी दिन किया जाता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता का नाम मोहनदास करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधीजी के पिता ब्रिटिश काल के दीवान थे।

गांधीजी का सरल जीवन उनकी माता से प्रभावित था। गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण हुई। इसके बाद वे अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई करने लंदन गए और पढ़ाई पूर्ण कर भारत लौट आये। उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था। उनकी पत्नी ने हर कार्य मे उनका साथ दिया।

महात्मा गाँधी एक देशभक्त नेता रहे है और अहिंसा के पथ पर चलते हुए उन्होंने भारतीय जनों का आंदोलन में नेतृत्व किया। उनका कहना था की ब्रिटिशों के शाशन से स्वतंत्रता में लड़ने के लिए अहिंसा और सच्चाई की ज़रूरत है। देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त करवाने के लिये वे कई बार जेल भी जा चुके है फिर भी उन्होंने देश को आज़ादी दिलाने में कभी हार नहीं मानी।

गाँधी जी एक समाज सुधारक भी थे, उन्होंने किसानों की आर्थिक स्तिथि को सुधारने के लिये, महिलाओं के सम्मान के लिए, दूसरी समाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए अनेक कार्य किये है। अंग्रेज़ो से आज़ादी दिलाने के लिए के लिए भी इन्होंने कई आंदोलन किये, जिनमें से कुछ प्रमुख आंदोलन रहे है १९२० में किया गया असहयोग आंदोलन जिसमे उन्होंने सभी भारतीयों को सभी विदेशी चीज़ों का बहिष्कार करने को कहा और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा डरने की कोशिश की जिससे ब्रिटिश सरकार को आर्थिक रूप से बहुत घाटा का सामना करना पड़ा।

१९३० में दांडी मार्च आंदोलन शुरू किया जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते है , इसके अंतर्गत उन्होंने नामक में जो कर लगे था उसका विरोध किया और कई मिलो की पदयात्रा पूर्ण करके दांडी पहुचे ताकि स्वयं नामक का उत्पादन कर सके और १९४२ में भारत छोड़ो आंदोलन किया। इन आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

उनकी अहिंसावादी सोच ने पूरे विश्व के हृदय में अमिट छाप छोड़ दी। कोई सोच भी नई सकता था कि अहिंसा के पथ पर इतनी शक्ति हो सकती है कि वह ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने पर मजबूर कर सकती है। इसके अतिरिक्त उनके चरित्र की एक और बात अत्यंत प्रभावशाली है वो है हमेशा सत्य बोलने और सत्य की राह पर अडिग रहना। इस राह में चलते हुए उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा बावजूद इसके वे सदा सत्य के पथ पर अड़े रहे।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भी गोर और काले का रंग भेद खत्म करने के लिए सविनय अविज्ञा अपनाया। ट्रेन में सफर करते समय उन्हें अस्वेत होने का कारण वैद्य टिकट होने के बावजूद दूसरे डब्बे में जाने को कहा गया जिसका उन्होंने विनम्रता पूर्वक पालन करने से इनकार कर दिया। इसके पश्चात ट्रेन सहकर्मियों ने उन्हें ट्रैन से धक्का मार के बाहर फेंक दिया। इस अपमान के पश्चात उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में हो रहे रंग भेद को समाप्त कार्नर का निश्चय कर लिया।

महात्मा गांधी को ‘गाँधी’ की उपाधि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दी थी। महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। महात्मा गांधी का सहयोग भारत को स्वंतंत्र करने मे अविस्मरणीय है तथा गांधीजी इतिहास के पन्नो में और हम सबके दिलों में सदा के लिए अमर हैं और रहेंगे।