होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? Holika Dahan Kyu Manaya Jata Hai

क्या आप होलिका दहन क्यों मनाया जाता है (Holika Dahan Kyu Manaya Jata Hai)  इसके बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको पूर्ण रूप से इसके बारे में बताया है ताकि आप इस पोस्ट को एक बार पढ़े तो आसानी से आपको समझ में आ जाये. आपने बचपन में रामायण तो जरुर देखा होगा उसी में होलिका का भी विवरण किया गया है, अगर आपको नहीं पता होलिका दहन क्यों मनाया जाता है तो चलिए इसको विस्तार से समझते है.

होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? Holika Dahan Kyu Manaya Jata Hai

होली हिंदू समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, होलिका दहन। इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंग-गुलाल से होली खेली जाती है। इसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि भी कहा जाता है।

आज होलिका दहन क्यों मनाया जाता है: होली हिंदू समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, होलिका दहन। इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंग-गुलाल से होली खेली जाती है। इसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि भी कहा जाता है।

कई अन्य हिंदू त्योहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन की तैयारी त्योहार से 40 दिन पहले शुरू हो जाती हैं। लोग सूखी टहनियां, पत्ते जुटाने लगते हैं। फिर फाल्गुन पूर्णिमा की संध्या को अग्नि जलाई जाती है और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। दूसरे दिन सुबह नहाने से पहले इस अग्नि की राख को अपने शरीर लगाते हैं, फिर स्नान करते हैं। होलिका दहन का महत्व है कि आपकी मजबूत इच्छाशक्ति आपको सारी बुराइयों से बचा सकती है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

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होलिका दहन की पौराणिक कथा

होलिका दहन का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार को लेकर सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। वहीं, हिरण्यकश्यप भगवान नारायण को अपना घोर शत्रु मानता था। पिता के लाख मना करने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा।

असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र को मारने की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। उसने अपने भाई से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि की चिता पर बैठेगी और उसके हृदय के कांटे को निकाल देगी। वह प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठी भी, पर भगवान विष्णु की ऐसी माया कि होलिका जल गई, जबकि प्रह्लाद को हल्की सी आंच भी नहीं आई।

होलिका दहन से जुड़ी एक कहानी

होलिका दहन से जुड़ी एक कथा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। श्री राम के एक पूर्वज रघु, के राज में एक असुर नारी थी। वह नगरवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार करती। उसे कोई मार भी नहीं सकता था, क्योंकि उसने वरदान का कवच पहन रखा था। उसे सिर्फ बच्चों से डर लगता।

एक दिन गुरु वशिष्ठ ने बताया कि उस राक्षसी को मारने का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि अगर बच्चे नगर के बाहर लकड़ी और घास के ढेर में आग लगाकर उसके चारों ओर नृत्य करें, तो उसकी मौत हो जाएगी। फिर ऐसा ही किया गया और राक्षसी की मौत के बाद उस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

होलिका दहन पर नरसिंह मंत्र-1

नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः शिला-टङ्क-नखालये
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये

नरसिंह मंत्र-2

उग्रं वीरं महा विष्णुम ज्वलन्तम सर्वतो मुखम्
नृसिंहं भीभूतम् भद्रम मृत्युर्मृत्युम् नाम: अहम्
उग्र वीरम महा विष्णुम ज्वालां सर्वतो मुखम्
नृसिंहमं भेशंम् भद्रं मृत्योर्मित्यं नमाम्यहम्

होलिका दहन पर महालक्षमी मंत्र का जाप

मस्तेस्तु महामाये श्री पीठे सुर पूजिते!
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते!!

नमस्तेतु गरुदारुढै कोलासुर भयंकरी!
सर्वपाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!!

सर्वज्ञे सर्व वरदे सर्व दुष्ट भयंकरी!
सर्वदुख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!!

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवी भक्ति मुक्ति प्रदायनी!
मंत्र मुर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!!

इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको पूरी जानकारी दे दी है, उम्मीद  करता हु आपको होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? (Holika Dahan Kyu Manaya Jata Hai) समझ में आ गया होगा. अगर आपको हमारे पोस्ट पढने में पसंद आते है तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले. इस पोस्ट को पढने के लिए आपका धन्यवाद!

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