मैं कौन हूँ पर निबंध – Essay On Who I Am in Hindi

एक इंसान को अगर कोई सबसे अच्छे से जानता है तो वह है स्वयं वह इंसान। जितना अच्छे से वह स्वयं को जानता होगा उतना अच्छे से उसे कोई नहीं जान सकता है।उसकी कमज़ोरियों से,उसकी ताकत से,उसकी अच्छाईयों एवं बुराईयों से वो स्वयं ही भलीभांति परिचित होता है।अपने सही गलत के फैसलों को लेने में वह पूर्ण रूप से सक्षम होता है। परंतु इस निबंध में मैं किसी दूसरे व्यक्ति के चरित्र का विवरण नही कर रही हूं अपितु अपने चरित्र पर प्रकाश डालने का प्रयत्न कर रही हूँ।

मैं कौन हूँ पर निबंध – Long and Short Essay On Who I Am in Hindi

शुरुवात तो नाम से ही होनी चाहिए,मेरा नाम प्रकृति शुक्ल है।मेरी उम्र इकीस साल है।मैं कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार की लड़की हूँ। मेरा जन्म पश्चिम बंगाल के कलकत्ता सहर में सोलह अगस्त 1999 को हुआ था। मेरा निवास स्थान खड़गपुर है।मेरी शिक्षा-दीक्षा यही से हुई है। स्कूलीय शिक्षा मैन केंद्रीय विद्यालय से की है और उसके बाद स्नातक की डिग्री विद्यासागर विश्वविद्यालय के अंतर्गत खड़गपुर कॉलेज से प्राप्त की है।

मेरे परिवार में सात लोग है दादा जी,दादी,पिता,माता और मेरी दो बड़ी बहने।मेरे पिता का नाम नरेंद्र कुमार शुक्ल है और माता का नाम मीता शुक्ल है।मेरे दादाजी का देहांत साल  2015 में हो गया था। मेरी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। अब हमारे परिवार में पांच लोग है। मैन अपनी स्नातक की डिग्री हिंदी में प्राप्त की है,हिन्दू परिवार से होने के कारण बचपन से ही हिंदी से मेरा बहुत लगाव रहा है। हिंदी साहित्य ,हिंदी की कविताएं मेरे मन को बहुत भांति है। बचपन में में अपने दादाजी से पौराणिक एवं धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त किया था विशेषकर हमारे महाकाव्य रामायण और महाभारत। मुझे भगवान राम का चरित्र अत्यधिक प्रभावित करता है। जीवन जीने और हर संघर्ष का सामना करने की सक्ति मुझे इनके द्वारा ही प्राप्त होती है। ब्राह्मण परिवार से संबंध होने के कारण ईश्वर पर मेरी आस्था बहुत है।

ईच्छाओं की बात की जाए तो मेरे पास अपनी इच्छाओं का वर्णन करने के लिए शब्द काम पड़ जाएंगे और वैसे भी मनुष्य सदैव ही कुछ न कुछ पाना चाहता है,उसकी इच्छाएँ कभी समाप्त नही होती है। मेरी सबसे बड़ी इच्छा है सरकारी नौकरी में अपना स्थान बनाना। इसके दो मुख्य कारण है पहला मुझे आत्मनिर्भर बनना है,स्वाभीलम्बी बनना है ,अपने पैरों पर खड़ा होना है जिससे कि मैं इस पुरुष प्रधान समाज में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकू। दूसरा कारण है कि मुझे अपने माता-पिता की ढाल बनना है ,उनके लिए जीवन में कुछ करना है।

मेरा यह मानना है कि सम्पूर्ण विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनने चाहिए विशेष रूप से लड़कियों को और मैं उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत् बनना चाहती हूं जिन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है। अब यदि मैं अपनी दूसरी इच्छा का वर्णन कर तो निश्चित रूप से मज़ाक और हसी का केंद्र बनूँगी परंतु फिर भी इसका वर्णन करना अनिवार्य है अन्यथा मेरे जीवन का वर्णन अधूरा रह जायेगा। सामान्य रूप हर व्यक्ति किसी न किसी बड़ी हस्ती को पसंद करता है और मैं भी ऐसी ही एक बड़ी हस्ती को पसंद करती हूँ या यूं कहूँ की उसकी फैन हूँ हूँ और वह है शाहरुख खान।मैं बचपन से ही इन्हें बहुत पसंद करती हूँ ।इनकी फिल्मे मुझे बहुत प्रभावित करती है। मेरी इनसे मिलने की इच्छा अत्यधिक तीव्र है।

इसके अतिरिक्त मुझे किताबे पढ़ना पसंद है विशेषकर हिंदी किताबें,गाना सुन्ना पसंद है,घूमना पसंद है। अब जैसा कि हम जानते है कि मनुष्य को अपने जीवन में किसी न किसी चीज़ का भय अवश्य होता है ऐसे ही मुझे भी है इंजेक्शन का भय और यह भय इतना है कि मेरी स्तिथि बेहोश होने के समान हो जाती है। यह सब तो हुआ मेरे जीवन का सार परंतु एक दूसरे नाज़ियें से देखा जाए तो मैं इस देश की एक नागरिक हूँ जिस प्रक्रार बाकी सब है हो न हो पर इस देश के प्रति मेरा भी कुछ न कुछ कर्तव्य है जिसका निर्वाह मुझे करना है ।

इन सबसे ऊपर मैं एक भरतीय हूँ और इसका मुझे बहुत गर्व है । अपने देश के लिए आमतौर पर भी कुछ कर सकू इसके बढ़कर गिराव की बात मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती है।