कारगिल विजय दिवस पर निबंध – Essay On Vijay Diwas in Hindi

विजय दिवस 1971 और 1999 99 में पाकिस्तान पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष में मनाया जाता है। एक अक्षर में इसमें पाकिस्तान को पराजित करके पूरी पाकिस्तान को स्वतंत्र करके बांग्लादेश बनाया और 1999 के कारगिल युद्ध में पराजित करके दुनिया के सामने पाकिस्तान की फोर खोल दी। 16 दिसंबर और 26 जुलाई को विजय दिवस के रुप में मनाया जाता है। 1971 के भारत पाक युद्ध में करीब 3900 भारत के जांबाज सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे जब की 9800 सावन सैनिक जख्मी हुए.

कारगिल विजय दिवस पर निबंध – Long and Short Essay On Vijay Diwas in Hindi

पूर्वी पाकिस्तान से कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ना जीने भारत के पूर्वी सेंड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल संजीव सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था फलस्वरुप दिसंबर 17 को 93 हजार पाकिस्तानी सैनिक बंदी बना लिए गए।

गीता के श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पाँव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। जुलाई 26 1999 को भर्ती सेना ने कारगिल युद्ध में चलाएं ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और भारत के वीडियो को दूर खदेड़ दिया। इसी की याद में ‘26 जुलाई’ अब हर वर्ष कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

यह दिन है उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का, जो हँसते-हँसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन समर्पित है उन्हें, जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया।

1971 युद्ध

3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी तत्कालीन कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। इसी दिन शाम के वक्‍त पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार करके पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराना शुरू कर दिया। इंदिरा गांधी ने उसी वक्‍त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की।

यूज़ आरंभ होते ही पूर्व में बड़े ही शिव गति से आगे बढ़ती रुपए भारतीय सेना ने जैसे और तुलना पर अपना कब जा कर दिया। भारतीय सेना ने यह रणनीति बनाया कीमती कानों को छोड़ते हुए पहले आगे की और बड़ा जाए युद्ध में मनीषा खुलना और चट गांव पर ही कब्जा करने के लिए जो देते रहे पर ढाका बॉस को एक गुप्त संदेश के माध्यम से  भारती सेना ने जाना कि  गवर्नमेंट हाउस पर  होने वाली महत्वपूर्ण मीटिंग पर हमला करने का प्लान बनाया।बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों ने भवन पर बम गिरा कर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी। गवर्नर मलिक ने लगभग कांपते हाथों से अपना इस्तीफ़ा लिखा।

कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था।

लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।

कारगिल युद्ध

सन 1998 व 99 दिसंबर जनवरी महीने में पाकिस्तान में चोरी चुपके सियाचिन को अपने कब्जे में करने का प्लान बनाया  और फली सैनिक टुकड़ी भेजना आरंभ कर दिया  भारत के पूछने पर कहां की हे  इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादी है।प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा।

लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। तत्पश्चात भारत सरकार में ऑपरेशन विजय के नाम से अपने दो लाख सैनिकों को भेजा अधिकारी ग्रुप से यह युद्ध 26 लाइव 1999 को इसमें भारत के 550 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 1400 करीब घायल हुए।

भारत ने निडर होकर उनका सामना किया और जल्द ही बढ़ते भारतीय फ़ौज के दबाव और अमेरिका के दबाव के कारण पाकिस्तान को अपने फ़ौज को पीछे हटाना पड़ा। इसके साथ ही भारतीय सेना ने उन इलाकों पर फिर से कब्ज़ा कर लिया जिस पर पाकिस्तान कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था।

भारतीय फ़ौज द्वारा किये गए इस संघर्ष को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया और यह युद्ध आखिरकार कुल 2 महीनों बाद 26 जुलाई 1999 को ख़त्म हुआ और भारत ने विजय पायी और तभी से यह दिन कारगिल विजय दिवस के नाम से मनाया जाता है। कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ भारतीय सेना, मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो ने 26 जुलाई 1999 को चौकी पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी, जिसमें पाकिस्तान का दबदबा था।हर साल का 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन भारत के प्रधान मंत्री अमर जवान ज्योति पर सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। हम हर जगह देशभक्ति महसूस करते हैं। शहीदों और भारतीय सेना की शक्ति को श्रद्धांजलि देते हुए सेना के स्टंट और परेड को अंजाम दिया जाता है।

भारतीय सेना देश के लिए हमेशा तैयार रहती है, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमले या कर्फ्यू से लड़ने की कोई भी स्थिति या स्थिति हो। कारगिल युद्ध एक ऐसी घटना है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भारतीय सेना एक माँ की तरह है जो निस्वार्थ भाव से काम करती है और बदले में कभी नहीं मांगती है। हमारी सेना के इस वीर बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है, और यह हमें हमेशा प्रेरित करेगा।