यह तो सामान्य ही है कि बचपन से ही हर बालक अपने अंदर कुछ बनने का सपना लिए हुए रहता है और अपनी पूरी शिक्षा उसी के आधार पर तय करता है। १०वी कक्षा के बाद वह उसी विषय का चयन करता है जिसके द्वारा वह अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सके। किसी का सपना होता है डॉक्टर बनना,किसी का इंजीनियर तो किसी का वास्तुकला करना।
वास्तुकला क्या है? (Vastukala in Hindi)
आज यहाँ हम यह जानेंगे कि वास्तव में वास्तुकला क्या है और वास्तुकार का क्या कार्य होता है? आज जो हम इतनी बड़ी-बड़ी इमारते,किले,स्मारक व आम फ्लैट या कोई छोटा घर भी देखते है यह सब वास्तुकला का ही परिणाम है। इसमे कई वास्तुकारों की मेहनत है। ताज महल हो या लाल किला सब में इन्ही वास्तुकारों ने अपनी योग्यता दिखाई है।
किसी इमारत,स्मारक,व किसी भी घर को डिज़ाइन करना, उसका निर्माण करना,उसके निर्माण हेतु योजना बनना इसी को वास्तुकला कहते है और जो व्यक्ति यह सारे कार्य करता है उसे हम वास्तुकार कहते है।
यदि हमे किसी फ्लैट अथवा बिल्डिंग का निर्माण करवाना है तो उसके लिए सर्वप्रथम हमे वास्तुकार से सलाह लेनी होगी उसके पश्चात ही हम वास्तुकला का कार्य प्रारंभ कर सकते है। वास्तुकला के अंतर्गत किसी भी इमारत के निर्माण के पहले उसका डिज़ाइन बनाया जाता है और वास्तुकार हमे दिखाते है कि बनने के बाद वह इमारत इस प्रकार दिखेगी वास्तव में यह मूल इमारत एक नकल या डुप्लीकेट मात्र होता है।
किसी भी इमारत के निर्माण के पहले उसका एक नक्शा त्यार किया जाता है उसमे देखा जाता है कि इमारत बनाने के लिए कितने गज ज़मीन की आवश्यकता है,इमारत के आस-पास की जगह कैसी है और भी कई बातों को ध्यान में रखने के बाद ही इमारत का निर्माण होता है। इस पूरी क्रिया को वस्तुकला या आर्किटेक्चर कहा जाता है।
एक वास्तुकार के बहुत से कार्य होते है पहले उसे इमारत की डिज़ाइन त्यार करनी पड़ती है फिर एक प्लान बनना होता है है और आगे उसी प्लान का अनुसरण करना पड़ता है।
- सर्वप्रथम तो वास्तुकार या आर्किटेक्ट किसी भी इमारत की डिज़ाइन को तैयार करता है । जिस किसी व्यक्ति को बिल्डिंग या इमारत बनवाना है वह अपनी इच अनुसार डिज़ाइन बताता है कि उसे कहाँ पर खिड़की चाहिए,दरवाज़ा कैसा होना चाहिए,कमरे किस तरह के होंगे आदि। फिर इसी डिज़ाइन के आधार पर आर्किटेक्ट निर्माण कार्य शुरू करता है।
- उसके बाद आर्किटेक्ट द्वारा महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार किये जाते है जिसमे बिल्डिंग की पूरी डिज़ाइन के साथ-साथ बिल्डिंग का निर्माण करवाने वाले व्यक्ति का बजट,उसकी सुविधा,आवयश्कता आदि सब दर्ज रहता है।
- निर्माण का कार्य शुरू करने से पहले उसकी भूमिका निर्धारित की जाती है फिर उसे निर्माण विशेषज्ञों द्वारा रूपांतरित किया जाता है। जब पूर्ण रूप से ये सारे कार्य हो जाते है तब ही निर्माण का कार्य प्रारंभ होता है ।
इस समय आर्किटेक्ट का काम होता है कि उस जगह की दिन में दो तीन बार दौर करे और उसकी देख-रेख करे और यह ध्यान दे कि सभी कारीगर सही से कार्य कर रहे है या नहीं साथ ही उसका यह भी कार्य होता है कि इस काम अथवा प्रोजेक्ट से संबंधित जितने भी दस्तावेज है उनको वह ध्यान से पढ़े और हस्ताक्षर करे, जहां इससे संबंधित बैठक हो उसमे वह शामिल रहे।
आर्किटेक्ट बनने के लिए आर्किटेक्चर का कोर्स करना पड़ता है जिसके लिए १२वी के बाद नाटा की परीक्षा देनी पड़ती है और यदि उस परीक्षा में हम सफल सिद्ध होते है तो आगे अर्चिटेक्टर का कोर्स कर सकते है।
यह नाटा की परीक्षा नेशनल स्तर पर आयोजित की जाती है। आर्किटेक्चर के कोर्स का नाम है बी.आर्च कोर्स इसके लिए गणित के विषय में उत्तीर्ण होना अति आवश्यक है साथ ही इस कोर्स के लिए १२वी में ५०% अंक भी अनिवार्य होता है। दूसरी ओर नाटा की परीक्षा के लिए हमे गणित,जनरल नॉलेज और कला के क्षेत्र से मापा जाता है। यह परीक्षा वास्तव में तो कठिन होती है परंतु मेहनत करने से सब आसान हो जाता है।
आर्किटेक्चर अथवा वास्तुकला का कोर्स विश्व विख्यात है साथ ही आर्किटेक्चर की कारण ही आज सम्पूर्ण विश्व में इतनी विशाल इमारतों, स्मारकों, बिल्डिंग का निर्माण सम्भव हो पाया है। खूबसूरती से भरे इन आर्किटेक्चर के उदाहरण में जितने भी दूं कम ही पड़ेंगे।अतः यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कोर्स है और आर्किटेक्ट बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है।