पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध – Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

अगर आज हम स्वतंत्र भारत में रह रहे हैं अपनी इच्छा अनुसार जी पा रहे हैं जो मन हो वह कर पा रहे हैं तो इन सारी बातों का श्रेय उन महान पुरुषों को जाता है जिन्होंने इस देश को आजाद कराने के लिए अपनी जी जीवन का बलिदान दे दिया है। और आज भी यह देश उन महापुरुषों की बलिदान की गाथाएं गाता है।

इन महापुरुषों में से एक महापुरुष हैं जिन्हें हम पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से जानते हैं। बच्चे ने प्यार से चाचा नेहरू भी बोलते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस देश को आजादी दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। इस पोस्ट में हम पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन पर प्रकाश डालेंगे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध – Long and Short Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को भारत में स्थित इलाहाबाद में हुआ। भारत में उस समय ब्रिटिश शासन था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू जी एक कश्मीरी पंडित और बैरिस्टर भी थे।

मोतीलाल नेहरू जी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार  अध्यक्ष चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरू जी के माता का नाम स्वरूप रानी थुस्सू था।

लाहौर में बसी एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी। और यहां मोतीलाल नेहरू जी की दूसरी पत्नी थी। क्योंकि मोतीलाल नेहरू जी की पहली पत्नी प्रसव के दौरान इस दुनिया से चल बसी थी। मोतीलाल नेहरू जी के तीन बच्चे थे जिनमें से जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े पुत्र थे और इनके अलावा दो पुत्रियां थी।

जवाहरलाल नेहरू की पड़ी है विजयालक्ष्मी बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। और उनकी छोटी बहन कृष्णा हठी सिंग एक उल्लेखनीय लेखिका बनीं जिन्होंने अपने परिवार से संबंधित कई सारी पुस्तकें लिखी। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी शिक्षा दुनिया के कुछ विशेष स्कूलों और विश्वविद्यालयों से पूरी की। इन्होंने अपना ग्रेजुएशन लंदन से पूरा किया।

और अपने लॉक की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। लोकगीत डिग्री प्राप्त करने के बाद 1912 में लहरों से भारत वापस लौटे और उन्होंने अपने वकालत शुरु कर दी।

इसके बाद 1916 में नेहरू जी की शादी कमला नेहरू से हो गई। सन 1917 में नेहरू जी  होम रुल लीग शामिल हो गए। 1919 में नेहरू जी महात्मा गांधी के संपर्क में आए तब इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी असली दक्षिता दिखाई। जब नेहरू जी कासमपुर महात्मा गांधी से हुआ तो उस समय महात्मा गांधी जी रोलेट अधिनियम के खिलाफ अभियान शुरू किए हुए थे।

नेहरू जी ने महात्मा गांधी के उपदेशो के अनुसार अपने आप को बदल दिया। 1920 – 1922 में असहयोग आंदोलन में नेहरु जी ने हिस्सा लिया। और इस आंदोलन में उन्हें पहली बार जेल का मुंह देखना पड़ा हालांकि कुछ महीना बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। 26 जनवरी 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरु जी ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत

आजादी के बाद प्रधानमंत्री के लिए चुनाव किया गया। जिसमें कांग्रेस के मतदान के अनुसार सबसे ज्यादा वोट सरदार वल्लभभाई पटेल को और आचार्य कृपलानी को मिला लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल और कृपलानी जी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू जी को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बना दिया।

पंडित जवाहरलाल नेहरु जी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। स्वतंत्रता के समय अंग्रेजों ने करीब 500 रजवाड़ों को एक साथ आजाद किया था। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि कैसे इन सब को एक झंडे के नीचे लाया जाए। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस चुनौती का बहुत ही समझदारी के साथ सामना किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लगातार तीन पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया।

इस तरह से इन्होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया। जवाहरलाल नेहरू को 1935 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। नेहरू जी ने भारत की स्वतंत्रता और आधुनिक भारत को बनाने में बहुत दिमाग पूर्व भूमिका निभाई लेकिन यह पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंध को सुधारने में असमर्थ रहे। इन्होंने चीन के साथ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने धोखे के साथ भारत पर आक्रमण कर दिया और इसी आक्रमण ने नेहरू जी इस दुनिया से दूर कर दिया। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू जी को दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई।

निष्कर्ष

जवाहरलाल नेहरु जी ने इस देश को आजाद करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने कई सारी पुस्तकें भी लिखी हैं। नेहरू जी ने महा ग्रंथों का में अध्ययन किया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत अधिक स्नेह और लगाव था इसीलिए इन्हें बच्चे प्यार से चाचा बुलाते थे।