मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध – Essay on My Favourite Festival in Hindi

Essay on My Favourite Festival in Hindi: भारत विविधताओं में एकता प्रदर्शित करने वाला देश है। यहां कई धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते हैं, और प्रेम पूर्वक त्योहारों को भी एक साथ मनाते है। हम सब एक साथ मिलकर पूरे जोश और हर्ष के साथ त्योहार को मनाते है और आपसी प्रेम और खुशी को सब में बांटते है।

सभी त्योहार हमारे लिए खास होते है पर इनमें से हमारे कुछ पसंदीदा त्योहार होते है, जो हमको सबसे अधिक पसंद होते है। हम इस त्योहार का भरपूर आनंद लेते है। मैंने नीचे अपनी पसंदीदा त्योहारों की चर्चा की है, जो आपको भी रोमांचित करेगी।

1. मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध – Essay on My Favourite Festival in Hindi

त्योहार हम सभी के लिए एक रिफ्रेशमेंट की तरह हैं। हम सभी पूरे दिन अपने-अपने कामों में व्यस्त रहते हैं और यही त्योहार हमें अपने कामों के बोझ से थोड़ा आराम दिलाते हैं। त्योहारों के माध्यम से हमें अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ समय बिताने का मौका मिलता हैं। बच्चों के लिए यह समय आनंद से भरा होता हैं।

मेरा प्रिय त्योहार

सभी त्योहारों में से जो त्योहार मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, वो है “ईद-उल-फितर”। यह दुनिया भर में मनाये जाने वाले इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार की शुरुआत एक महीने पहले ही रमजान के रोजे के साथ हो जाती है। रमजान के आखिरी में जब आकाश में चाँद और तारा एक सीध में दिखाई दे देता है तो उसके अगले दिन ईद-उल-फितर या ईद का त्योहार मनाया जाता है।

लोग मस्जिदों में इस दिन एक साथ नमाज़ अदा करते हैं और एक दूसरे से गले मिल ईद की मुबारकबाद और शुभकामनाएं देते हैं। सभी इस त्योहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन सभी नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे से मिलने और मुबारकबाद देने जाते हैं। सभी के घरों में अनेक प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं। लोग एक दूसरे से मिल उपहार देते है और लजीज भोजन का आनंद एक साथ लेते हैं।

मुझे यह त्योहार बहुत ही पसंद है क्योंकि इसमें विशेष रूप से तैयार की गई सेवइयां, मिठाइयां और पकवान मुझे बेहद पसंद है। मैं ऐसे लजीज खाने का बहुत शौखिन हूं। इस दिन मैं अपने दोस्त के बुलावे पर मैं उसके घर जाता हूं। वह मेरा बड़े ही आदर के साथ स्वागत करता है और खाने के लिए कुछ नमकीन और स्नैक्स लाता है और बाद में वो मुझे सेवइयां और अन्य पकवान भी खिलाता हैं।

इस त्योहार की एक खाश प्रथा

इस त्योहार की एक खाश प्रथा है, लोग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों में दान देते हैं। इस प्रथा को “ज़कात” के नाम से जानते है। दान में लोग पैसे, कपड़े, खाने की चीजें, इत्यादि देते है। इसका मुख्य उद्देश्य उन लोगों में खुशी और प्यार बाटना हैं।

रमजान का महत्त्व

रमजान के पवित्र मौके पर लोग उपवास रखते है, और यह उपवास सुबह से लेकर रात तक की जाती है। रमजान के पावन अवसर पर उपवास रखने की प्रथा धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हमारे पूरे शरीर को विषहरण (डिटॉक्स) करने में मदद करता है। यह मोटापे से हमारे शरीर का रक्षा करता है और हमारे पाचन तंत्र को भी नियंत्रित करता है।

निष्कर्ष

ईद-उल-फितर मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। सब इसे मिलजुलकर बड़े ही प्यार और सौहार्द के साथ मनाते है, जिसके कारण चारों ओर केवल खुशी और भाईचारे का वतावरण हमेशा बना रहे।

2. मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध – Essay on My Favourite Festival in Hindi

त्योहार हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे कई त्योहार है जो देश के साथ-साथ पूरे विश्व भर में मनाये जाते हैं। त्योहारों के माध्यम से हम खुद को आनंदित और ताजगी भरा महसूस करते हैं, इसलिए हम सभी त्योहारों को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। होली का त्यौहार उनमें से ही एक है जिसे हम बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है, और यह मेरा पसंदीदा त्योहारों में से एक है।

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है और हम इसे बड़े ही धूमधाम से मनाते है। होली रंगों का त्योहार है, इसलिए इसे रंगोत्सव भी कहा जाता है। यह त्योहार फरवरी-मार्च के महीने में पड़ता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह फाल्गुन महीने में मनाया जाता है।

होली का इतिहास

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। वह अपने बल के कारण तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था, और वह चाहता था की दुनिया उसे भगवान माने और उसकी पूजा करें। मृत्यु की डर से लोग उसकी पूजा किया करते थे, पर उसके ही बेटे प्रहलाद ने उसे भगवान मानने से इंकार कर दिया। वह भगवान विष्णु का भक्त था और उन्हीं की आराधना करता था।

प्रहलाद अपने पिता के आदेश को नहीं माना और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। जिसे देख हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ और वह उसे मारना चाहता था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी, जिसे वरदान था की उसे अग्नि जला नहीं सकती।

इसलिए हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका ने प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। पर विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल गई। प्रहलाद सुरक्षित बच निकला फिर बाद में विष्णु ने नरसिम्हा के अवतार में हिरण्यकश्यप को मार डाला। तब से होली का यह पर्व मनाया जाता है।

होली मनाने के तरीके

होली के त्योहार पर लोग सफेद या पुराने कपड़ो को पहन के घर से बाहर निकलते हैं और होली के रंगों का आनंद लेते हैं। लोग आपस में मिलजुलकर एक-दूसरे को रंग लगाते है और होली की शुभकामनाएं और बधाइयां देते हैं। कुछ स्थानों पर होली खेलने का अलग ही अंदाज़ होता है लोग फूल, मिट्टी, पानी आदि से भी होली का त्योहार मनाते है।

होली में भांग पिने की भी एक प्रथा हैं। होली का त्योहार बच्चों के लिए बहुत ही आनंद दायक होता हैं। वह अपने हम उम्र के साथ होली खेलते हैं और लोगों पर रंगों भरा गुब्बारा भी फेंकते हैं।

दोपहर के बाद लोग अपने ऊपर लगे रंगों को साफ कर नहाते हैं और नए कपड़े को धारण करते हैं। इस खास अवसर पर बने मिठाई गुझिया का सभी आनंद लेते है। घरों में अनेक प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते हैं। लोग होली की शुभकामनाएं और बधाइयां देने एक-दूसरे के घरों पर जाते हैं।

होली के इस उत्सव को मैं अपने स्कूल में जमकर मनाता हूं। हम सभी होली के उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, हम एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और सबको खाने के लिए मिठाईयां और नमकीन दिए जाते हैं। सभी मिलकर नाच-गाने और गीत-संगीत का आनंद लेते हैं।

सुरक्षित होली

आजकल के रंगों में केमिकल मिले होते है, इसलिए हमें ऐसे रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे त्वचा में जलन और चेहरे खराब हो जाने का डर होता हैं। पानी के बचाव और जैविक रंगों की होली हमें खेलनी चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण के साथ-साथ हम भी सुरक्षित रहें।

निष्कर्ष

होली का यह त्योहार हमें आपसी मतभेद को भूलकर एकजुट होकर एक रंग में रंग जाने का सन्देश देता हैं। यह आपसी प्यार, सौहार्द और भाईचारे का एक प्रतिक है।

3. मेरा प्रिय त्योहार पर निबंध – Essay on My Favourite Festival in Hindi

त्योहार हमारे जीवन के एक अंग हैं। यह हमारे जीवन में खुशियां लाते हैं। त्योहारों को मनाने के पीछे इतिहास और अपना एक महत्त्व होता है।

दीवाली का त्योहार मेरे पसंदीदा त्योहारों में से एक है। हर वर्ष मैं दीवाली के त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करता हूं। दीवाली के 4-5 दिन बहुत ही आनंददायी और दिलचस्प होते हैं। यह अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है और यह हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीवाली की तैयारियां

दीवाली के नजदीक आने के साथ ही घरों और दुकानों की साफ-सफाई और उसकी रंगाई की जाती है। कमरों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और उसे सजाया जाता है, क्योंकि पुरानी मान्यता है की इस दिन देवी लक्ष्मी घरों में आती है और अपने आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। इस दिन हम सभी मिट्टी के दीयों में सरसो के तेल से दिये जलाते हैं।

इस दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती हैं। इन दिनों बाजार नए सामानों से भरे पड़े होते है और बाजारों में इन दिनों काफी भीड़ होती है। लोग अपने अपने पसंद की चीजें खरीदते हैं और वही बच्चे अपने लिए पटाखे और नए कपड़े लेते हैं और दिवाली को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है।

दिवाली का पर्व

दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस का त्योहार पड़ता है। धनतेरस के दिन बाजारों में काफी रौनक देखने को मिलती है और लोग बर्तन, सोने, चांदी इत्यादि खरीदते हैं। दिवाली के दिन हम अपने घरों के दरवाजे पर रंगोली बनाते है और फूलों के मालाओं से घर को सजाते हैं। लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और शाम को लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं।

घर के दरवाजे और खिड़कियां खुली रखी जाती हैं ताकि देवी लक्ष्मी हमारे घरों में आये। बाद में प्रसाद ग्रहण करने के बाद हम छतों और कमरों में दिये जलाते हैं। चारों ओर दिये जलाने के बाद हम छत पर जाकर पटाखे फोड़ने का आनंद लेते हैं।

यह त्योहर मुझे बेहद पसंद है क्योंकि इस त्योहर में एक सादगी होती है। जब सारा परिवार एक साथ मिलकर प्रार्थना करता है तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। हमें प्रसाद के रूप लड्डू खाने को मिलता हैं। चारों तरफ बस प्रकाश ही प्रकाश होता है जो बहुत ही मनमोहक होता है।

दिवाली के अवसर पर मेरे स्कूल में रंगोली प्रतियोगिता

दीवाली के अवसर पर रंगोली बनाने का प्रचलन बहुत ही आम है। दिवाली की छुट्टियों से पहले मेरे स्कूल में रंगोली बनाने की एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। रंगोली बनाने का शौख रखने वाले छात्र इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन रंगोली बनाकर करते हैं।

रंगोली की प्रतियोगिता एकल या समूह के रूप में आयोजित की जाती है। छात्र इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत ही उत्साहित रहते है और छात्र फूल, रंग, चावल, आटा, इत्यादि के सहारे अपनी कला का प्रदर्शन करते है। छात्र अपने हुनर से तरह-तरह के रंग-बिरंगे रंगोली बनाते है। सबसे अच्छी रंगोली बनाने वाले छात्र को पुरस्कृत किया जाता है।

त्योहार को लेकर यह हमारे अंदर एक अलग उमंग पैदा करती है और यह एक अच्छा तरीका भी है जिससे हमारे अंदर की प्रतिभा को बाहर निकालने का एक मौका मिलता है। इस प्रतियोगिता के बाद हम सभी छात्रों में मिठाइयों का वितरण भी किया जाता हैं।

त्योहार मनाने के पीछे धार्मिक विश्वास

दिवाली के त्योहार को मनाने के पीछे कई धार्मिक कहानियां हैं। भारत विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का देश है, इसलिए दीवाली के पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक विश्वास भी हैं। इन सभी मान्यताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय मान्यता भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास को पूरा कर अयोध्या लौटने की है।

वनवास के दौरान राक्षस रावण ने माता सीता का हरण कर लंका ले गया था, और भगवान राम ने रावण का वध कर सीता को आजाद करा कर इसी दिन अयोध्या वापस लौटे थे। राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में लोग इस दिन को बड़े ही खुशी और हर्षोल्लास के साथ दियों से अयोध्या को सजाया था। लोगों ने बड़े ही उदार मन से अयोध्या नगरी में राम का स्वागत किया था।

इस पर्व की सारी मान्यताओं को देखा जाये तो हम कह सकते हैं कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिक हैं। दियों या प्रकाश की रोशनी का त्योहार अंधेरों और बुराइयों पर विजय और खुशियों का त्योहार हैं। यह त्योहार हमें एक सन्देश भी देता हैं कि हमें हमेशा सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलना चाहिए।

प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाने पर जोर

हम हर साल दिवाली के पर्व को बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते है। इस दिन बहुत से लोग पटाखे भी जलाते हैं। पटाखों से ढेर सारे धुएं निकलते है जिसके कारण हमारा वातावरण बहुत ही प्रदूषित होता हैं।

पटाखों से निकले धुओं में कई हानिकारक तत्व शामिल होते हैं। इससे हमारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AIQ) खराब होती है, जो हमारी सेहत को बहुत भारी नुकसान पहुंचाती हैं। पटाखों के इन धुओं की वजह से हमारा वातावरण भी काफी जहरीला हो जाता है, जिससे जीव-जन्तुओं को काफी हानि होती हैं। पटाखों के द्वारा होने वाला शोर हमारे बच्चों, बुजुर्गों और पशुओं पर गहरा असर करता हैं।

निष्कर्ष

दिवाली के इस पर्व पर सारी दुकाने, घर, मंदिर और आसपास के सभी जगह रोशनी से जगमगाते हैं, जो हमें बहुत ही मनमोहक दृश्य देते हैं। हिन्दुओं के इस प्रमुख त्योहार को देश और विदेश के सभी धर्मों के लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। यह पर्व अंधेरों पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक के रूप में भी मनाया जाता है।