मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

Essay On Mela in Hindi: भारत में तकरीबन हर बड़े उत्सव पर मेला लगता है। गाँव और शहरों में भी आये दिन मेले लगते रहते है। मेला हमेशा एक बड़े मैदान पर आयोजित किया जाता है। उत्सवों पर ख़ास तौर पर हमारे देश में मेला लगता है। ज़्यादा से ज़्यादा लोग मेला देखने के लिए यहाँ सम्मिलित होते है।

उदाहरण 1. मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

सभी लोग अपने परिजनों के साथ मेला देखने आते है। यहाँ विभिन्न तरह के खेल आयोजित किये जाते है। बच्चो को मेले में जाना सबसे अधिक पसंद है। मेला उत्सवों की जान होती है।यहाँ विविध तरह के मनोरंजन से भरे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

मेले से उत्सवों में चार चाँद लग जाते है। हमे मन को लुभाने वाले मनोरंजन दृश्य यहाँ देखने को मिलते है। मनुष्य प्रत्येक दिन अपने कार्य में व्यस्त रहता है। मनुष्य की थकान को मेला चुटकियों में दूर कर देता है।

थोड़े समय के लिए हम अपने परेशानियों को भूलकर एक अलग ही दुनिया में खो जाते है। कभी कभी तो हम अपने बचपन के दिनों को भी मेले द्वारा याद कर लेते है। मेले का हमारे देश में विशेष महत्व है।

मेले में सैकड़ों दुकानें होती हैं, जो विभिन्न उत्पादों को बेचती हैं। जो लोग मेला देखने के लिए एकत्रित होते हैं, वह अपने मनपसंद चीज़ो को खरीद सकते है। गाँव के मेले में आमतौर पर खिलौने, फेरीवालों की दुकाने, बच्चो के लिए खेल और मिठाई बेचने वाले जैसे चीज़ें आयोजित किये जाते है।

हमारे राज्यों में आमतौर पर त्योहारों के समय मेले का आयोजन किया जाता है। कुछ मेले जैसे पुस्तक मेला, यात्रा मेला, व्यापार मेला आदि त्योहारों के बिना भी हो सकते हैं। मेले को हम दो प्रकारों में बांट सकते हैं, सिटी फेयर और विलेज फेयर।

शहरों का मेला यानी सिटी फेयर

शहरों का मेला आमतौर पर पूरे वर्ष में निर्धारित तिथि में आयोजित किया जाता है। भारत में कई व्यापार मेले यानी ट्रेड फेयर में अद्वितीय कलाकृतियों, शिल्प, गहने, फर्नीचर आदि बेचने के उद्देश्य से आयोजित किये जाते हैं।

यह व्यावसायिक और मनोरंजन गतिविधियों को ध्यान में रखकर आयोजित किये जाते है। नए साल के दौरान ट्रेड फेयर कुछ राज्यों में आयोजित किया जाता है। दूसरी ओर उत्सव मेला, उतसवो के दौरान आयोजित किये जाते है।

उदाहरण के लिए, एक शहर में दुर्गा पूजा मेला, दुर्गा पूजा उत्सव के समय आयोजित किया जाता है और दक्षिण भारत में पोंगल मेला, पोंगल त्योहार के समय आयोजित किया जाता है। होली के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई मेले भी लगते हैं। सभी लोग पूरे जोश के साथ उत्सवों के मेले में भाग लेते है।

शहरों में किताबो का मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ हर विषय की किताबें मिलती है। जो लोग किताबें पढ़ने के शौक़ीन है और विद्यार्थी पुस्तकों के मेले में अवश्य शामिल होते है। कुछ किताबो की दुकानों पर डिस्काउंट इत्यादि दिए जाते है।

इतिहास, भूगोल, विज्ञान, कहानियां इत्यादि तरह के किताबो की दुकाने होती है। मेले में कई लोग शामिल होते है, इसलिए सुरक्षा का खास प्रबंध रखा जाता है।

शहर का मेला आमतौर पर शहर के अंदर एक खुले मैदान में आयोजित किया जाता है। मेले के लिए मैदान छोटा या बड़ा हो सकता है, जो मेले के ऊपर निर्भर करता है। शहर के मेले में लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाता है।

मेले के बाहर कोई व्यक्ति लाउडस्पीकर के माध्यम से विभिन्न व्यावसायिक और मनोरंजन गतिविधियों को सुन सकता है। अपने उत्पादों को बेचने वाले विक्रेता, उत्सुक बच्चों को बुलाने वाले एक जादूगर, दर्शकों के लिए एक स्टंट प्रदर्शन और अन्य गतिविधियों को एक साथ लाउडस्पीकर द्वारा सुना जा सकता है।

मेरे गाँव का मेला

दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों के दौरान गाँव में मेला आयोजित किया जाता है। लोगों के धार्मिक विश्वासों को ध्यान में रखकर उत्सव के दौरान प्रतिवर्ष मेला आयोजित किया जा सकता है।

गाँव का मेला आमतौर पर शहरों के मेले से छोटा होता है। भारतीय स्थानीय ग्रामीण मेले में दुकानदार जो दुकाने लगाते है, वो ज्यादातर खिलौने और मिठाइयाँ बेचते हैं। गांव के मेले के मुख्य आकर्षण है बच्चों के लिए मिठाई, विभिन्न प्रकार के झूले, खेल और घरेलु वस्तुओं और खिलौनों के दुकान।

एक विशिष्ट देसी गांव के मेले में विभिन्न मिठाइयों की खुशबू का वर्चस्व होता है, जो विक्रेताओं द्वारा ताज़ी बनाई जाती है। एक गांव के मेले का आकर्षण है समोसा, कचोरी, गोलगप्पे और नमकीन। मेले में जरुरत के घर के सामान, जैसे बर्तन, कपडे इत्यादि की दुकाने लगती है। ऐसे दुकानों पर लोगो की भीड़ लगी होती है और वह मोलभाव करके खरीदारी करते है।

मनोरंजक खेल

मेले में विभिन्न तरह के खेल आयोजित किये जाते है। मेले में जादूगर भी होते है, जो अलग अलग जादू दिखाते है। जिससे बच्चो को काफी मज़ा आता है। मेले में बड़े बच्चे अपने मित्रो के साथ आते है और इसका भरपूर आनंद उठाते है।

मेले में जो खेल आयोजित किये जाते है, अगर उसे हम जीतते है तो हमे इनाम मिलता है। मेले में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। कुछ दुकानदार चिल्लाकर अपने वस्तुओं को बेचते है। ऐसा वह इसलिए करते है ताकि ग्राहक उनके पास आये। दुकानदार आइसक्रीम और खाने की चीज़ो को बेचते है और लोग उन्हें बड़े मन से खाते है।

रामलीला का मेला

गाँव और शहरों में भी रामलीला का मेला लगता है। गाँव में रामलीला के मेले बड़े ही चर्चित है। हमारे देश में हर त्योहार पर मेला लगता है। कई गाँव में रामलीला के मेले कई दिनों तक चलते है। लोग त्योहारों की ख़ुशी में नए कपड़े पहनते है। अपने परिवार के साथ मेला घूमकर सभी लोगो को ख़ुशी मिलती है।

मेले के वह खूबसूरत और खुशियों भरे दिन

मेला देखने के लिए गाँव में कई किलोमीटर तक लोगो को पैदल जाना पड़ता है। मेले में जाने की ख़ुशी में लोग सब कुछ भूल जाते है। बच्चे अपने अभिभावकों से थोड़े पैसे मांगते है, ताकि वह गोलगप्पे और समोसे खा सके, अपने पसंद के खिलौने खरीद सके।

मेले में लोग हर चीज़ का आनंद उठाते है। बच्चे गुब्बारे, गुड़िया, सीटी, चश्मे, बासुरी जैसे चीज़ें खरीद कर ले जाते है। इसके अलावा मेले में मदारी के खेल और पशुओं की शानदार सवारी लोग करते है।

कुछ लोग बन्दूकबाज़ी भी करते है। इन सभी कार्यक्रमों को लोग एक साथ एकत्रित होकर देखते है। सभी लोग मेले में जाकर इतने खुश होते है कि उन्हें लौटकर आने का मन नहीं करता है।

मेले में काफी अधिक लोग आते है, इसलिए भीड़ ज़्यादा होती है। राजस्तानी मेला भी बहुत खूबसूरत होता है। वहां विभिन्न प्रकार के भोजन इत्यादि का प्रबंध रहता है। ऐसे मेले शहरों में जब लगते है, तब जो भी व्यक्ति जाता है उसे प्रवेश शुल्क देना पड़ता है।

उसके बाद राजस्तान शहरों की खूबसूरत संस्कृति, नाच और गाने का आनंद लोग उठाते है। ऐसे मेले में लोग ऊंट पर चढ़कर भी वहां के रेगिस्तान से जुड़े भावनाओ का आनंद ले सकते है। मेले में अलग अलग तरह के झूले होते है, जिसका मज़ा सभी उठाते है।

मेले में पहुंचकर हमे शोरगुल का पता चलता है। मेले में जाकर पहले लोग एक चक्कर लगाकर सब कुछ देख लेते है। फिर कुछ समय के पश्चात लोगो को भूख लग जाती है। मेले में हमे चटपटे चाट और गोले खाने को मिलते है। बच्चो से लेकर बड़े सभी मेले में घूमकर और खरीदारी करके खुश होते है। शाम होते ही लोग अपने घर पर लौट आते है।

भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन

विभिन्न राज्यों और उत्सवों पर जो भी मेले आयोजित किये जाते है, वह हमारी संस्कृति को दर्शाते है। सभी राज्य अपने उत्सवों के अनुसार मेले का आयोजन करते है। इससे विविध और गहन संस्कृति का पता चलता है।

कुम्भ का प्रसिद्ध मेला हर साल देश में लगता है। ऐसे मेले महीनो तक चलते है। देश में ऐसा कोई नहीं, जिसे इलाहाबाद के कुंभ मेले के बारे में ना पता हो। इस मेले का अपना धार्मिक महत्व है। यह बड़ा ही भव्य और सुन्दर मेला होता है। कुंभ मेले का आयोजन अंतराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। कुछ छोटे मेले कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाते है।

लोगो में मेले को लेकर उत्साह

मेले में जाने से पहले लोग काफी उत्साहित रहते है। मेले में जाने से पूर्व ही लोग काफी उत्साहित रहते है। मेले की तैयारियां लोग पहले से ही करने लग जाते है। काफी दूर से दुकानदार अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मेले में अपने स्टाल लगाते है। उत्सवों के आखरी दिन, जैसे दुर्गा पूजा के दौरान विशाल मेले का आयोजन पश्चिम बंगाल में देखा जाता है।

मेले में लोगो का सतर्क होना आवश्यक

मेले में अक्सर हम इतने बेसुध हो जाते है और कुछ जेब कतरे इसी चीज़ का फायदा उठाते है। कुछ लोग अपना मोबाइल और पैसे का बैग खो बैठते है और बाद में अफ़सोस करते है। मेले में अगर चीज़ें खोती है, तो मेले को आयोजित करने वाले इसकी जानकारी लाउडस्पीकर पर देते है और खोये हुए सामान को वापस करते है।

सरकार द्वारा आयोजित किये जाने वाले मेले में इस तरह की जिम्मेदारी सरकार उठाती है। शाम को मेले में रंग बिरंगे लाइट जलती है, जो मन को मोह लेती है। जब शाम के वक़्त लोगो की तादाद बढ़ती है, तो पुलिस प्रशासन सुरक्षा के लिए तैनात रहते है।

निष्कर्ष

मेला मनोरंजन से भरी हुयी जगह है। मेले में जाकर हम मोल भाव करके छोटी बड़ी सामग्री लेते है। भाई, बहनो और परिवार के संग अच्छा समय व्यतीत करते है। सावन के मेले से लेकर पुष्कर के मेले तक सभी लोकप्रिय मेलो में लोग हिस्सा लेते है।

मेले में आनंद लेने के साथ हमे अपने नैतिक कर्तव्यों के बारें में भी जागरूक रहना चाहिए। हमारे देश में मेले इतने सुन्दर होते है कि उसकी याद हमारे दिलो में सदा के लिए बस जाती है।

उदाहरण 2. मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

भारत मेलों का देश है यहां पर हर रोज कहीं ना कहीं मेला लगा ही रहता है. मुझे मेले में जाना बहुत अधिक पसंद है हमारे गांव में हर साल दशहरा के दिन मेला भरता है. मेला दशहरा के दिन सुबह लगता है और रात 10:00 बजे तक मेले में चहल पहल रहती है.

दशहरा के दिन हमारे विद्यालय की छुट्टी होने के कारण हम पूरे दिन मेले में ही रहते है. मेले वाले दिन हम सुबह-सुबह नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं फिर मैं अपने दोस्तों के पास जाता हूं फिर हम सब मिलकर मेले में जाते है. मेले में जाने के बाद हम खूब मस्ती करते हैं झूला झूलते हैं समोसे, कचोरी, गोलगप्पे खाते है.

मेले में कई प्रकार के कार्यक्रम होते है. उन सभी कार्यक्रमों को हम बड़े चाव से देखते है. मेले में कई जादूगर आते हैं जो कि जादू दिखाते है. पूरा मेला देखने के बाद हम शाम को घर लौट आते है.

उदाहरण 3. मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

हमारे देश में मेलों और त्योहारों की कोई कमी नहीं है. हमारे गांव में भी साल में दो बार रामलीला मैदान में मेला लगता है. मुझे और मेरे दोस्तों को मेला देखना बहुत पसंद है इसलिए हम हर बार मेला देखने जाते है. मेले की एक दो दिन पहले से ही हम बहुत खुश हो जाते है. मेले वाले दिन हम नए कपड़े पहन कर सुबह सुबह तैयार हो जाते है.

पिताजी से मेले में खर्च करने के लिए कुछ रुपए मिल जाते है. इसके बाद मैं अपने दोस्तों के साथ मेला देखने निकल पड़ता हूं. मेला रामलीला मैदान में लगता है जो कि हमारे घर से 1 किलोमीटर दूर पड़ता है. हम मेले में पैदल ही जाते हैं और आने जाने वाले हो लोगों और हमारे जैसे बच्चों को देखते है वे वह मेले से खरीदारी करके लौट रहे होते हैं खूब खुश होते हैं और गुब्बारे और सीटियां लेकर आते हैं यह देख हमारा उत्साह और बढ़ जाता है.

मेले में पहुंचते ही सभी जगह शोरगुल होता रहता है और बहुत ही भीड़ भाड़ रहती है. मेले में भीड़ भाड़ होने की वजह से कुछ लोग धक्का-मुक्की भी करते है. हम मेले में पहुंचते हैं पूरे मेले का एक राउंड लगाते हैं और फिर झूला झूलते है कबड्डी का मैच, जादूगर का खेल देखते है. कुछ समय बाद हमें भूख लगती है तो हम समोसे, कचोरी और गोलगप्पे खा कर अपना पेट भरते है.

इसके बाद हम कुछ खिलौने खरीदते है और एक बार फिर से मेले का एक राउंड और लगाते है. हम दिन भर मेले में रहकर उस का आनंद उठाते है. जैसे ही शाम होती है हम सब खुशी-खुशी घर लौट आते है.

उदाहरण 4. मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

मेले भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करते है मेलों के कारण लोग एक दूसरे से उत्साह से मिलते हैं और कुछ समय आनंद के साथ व्यतीत करते है. भारत में बड़े कुंभ के मेले से लेकर छोटे मेले हर साल लगते है कुछ मेले महीनों तक चलते हैं और कुछ एक-दो दिन और कुछ एक ही दिन तक चलते है.

भारतीय लोगों में मेलों को लेकर बहुत उत्साह रहता है वह मेले से 2 दिन पूर्व की इसकी तैयारियां करने लग जाते है. मेलों को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह है बच्चों में होता है क्योंकि उनको वहां उनको मनपसंद खिलौने एवं आइसक्रीम झूले झूले को मिलते है.

मेलों में दुकानदार दूर-दूर से अपना सामान बेचने आते है. आज मैं आपको मेरे द्वारा मेले में किए गए भ्रमण का वर्णन करता हूं. हमारा गांव हरिद्वार से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है हमारे गांव में हर साल दुर्गा पूजा के अंतिम दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला एक बहुत बड़े मैदान में आयोजित किया जाता है जहां पर हम रोज क्रिकेट भी खेलते है.

इस मेले का आयोजन इतना भव्य होता है कि आस-पास के गांव वाले भी इस मेले को देखने आते है. इस दिन हमारे गांव में बहुत चहल पहल रहती है. हम मेले वाले दिन सुबह उठकर अपना दैनिक कार्य करके मेले में जाने के लिए तैयार होते है. मैं, मेरा पूरा परिवार और मेरे दोस्त एक साथ मेला देखने के लिए जाते है.

हम जैसे ही मेले में प्रवेश करते हैं वहां पर बहुत भीड़ भाड़ रहती है लोग एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए चलते हैं क्योंकि वहां पर इतनी भीड़ होती है कि चलने की जगह ही नहीं होती है. इतनी भीड़ भाड़ होने के बावजूद भी लोग बड़े उत्साह से मेले का भरपूर आनंद लेते है. हम मेले में जाकर सबसे पहले मां दुर्गा के दर्शन करते है इसके बाद वहां हो रही सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते है.

कुछ समय बाद हम मेला देखने निकल जाते हैं मैं और मेरे मित्र हर दुकान पर जाकर मोल भाव करते हैं और कुछ जरूरी सामान खरीदते है साथ ही अपने छोटे भाई बहनों के लिए खिलौने भी खरीदते है. इसके बाद हम छोटे बड़े झूलों में झूला झूलते है. मेले में कुछ दुकानदार चिल्ला-चिल्लाकर आइसक्रीम और खाने की वस्तु में भेजते रहते हैं हम उनसे कुछ आइसक्रीम और चाट खरीदकर बड़े चाव से खाते है.

मेले में बहुत शोर शराबा होता है क्योंकि सभी लोग चिल्ला-चिल्लाकर कुछ ना कुछ बेच रहे होते हैं और साथ ही वहां पर कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं तो वहां से DJ की आवाज आती रहती है. वहां पर जादूगर अपना खेल दिखाता है कभी कबूतर को खरगोश बनाता है तो कभी किसी को गायब कर देता है यह देखने में बहुत ही मजा आता है.

इसके बाद हम मेले में धीरे धीरे चलते हुए पूरा मेला देखते है. मेले में बहुत सी प्रदर्शनियां लगी हुई होती है जो कि अलग-अलग विषयों पर होती हैं जैसे की कोई प्रदर्शनी जल बचाने का संदेश देती है तो कोई प्रदूषण कम करने का यहां पर बड़े ही रोचक ढंग से प्रदर्शनियां प्रदर्शित की जाती है दोपहर होते-होते हम थक जाते हैं इसलिए घर की ओर निकल पड़ते है.

उदाहरण 5. मेला पर निबंध – Essay On Mela in Hindi

भारत में मेलों का प्रमुख स्थान है भारतीय मेले उत्साह और मनोरंजन के लिए जाने जाते है. भारत के किसी भी शहर या गांव में जब भी मेले का आयोजन किया जाता है तो वह किसी न किसी कारण से किया जाता है. कुछ मेले किसी धर्म के देवी देवताओं से जुड़े हुए होते है तो कुछ देश के बड़े त्योहारों पर आयोजित होते है.

आजकल शहरों में लोगों के मनोरंजन के लिए कुछ मेले ऐसे भी आयोजित करती हो जाते है जिससे शहर के लोग अपनी चिंता भरी जिंदगी से चिंता मुक्त होकर मनोरंजन कर सकें. बहुत से मेले का आयोजन होता है उनमें से कुछ प्रमुख मिले इस प्रकार हैं कुंभ का मेला, पुष्कर का मेला, सावन मेला, सोनपुर का मेला, हेमिस गोंपा मेला आदि है.

भारत में तरह-तरह के मेलों का आयोजन किया जाता है जिसमें पशु मेला, विज्ञान मेला, पुस्तक मेला, बाल मेला, कृषि मेला, मनोरंजन के लिए मेला, घरेलू सामान का मेला, किसी धर्म या देवी देवताओं से जुड़ा हुआ मेला और आजकल तो वाहनों का मेला भी लगने लगा है.

भारत में मेलों का आयोजन पुराने जमाने से ही किया जाता रहा है इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि इस दिन लोग आपस में मिलजुल सकते हैं और अपने जीवन की समस्याओं को भूलाते हुए जीवन का आनंद ले सकते है.

हमारे गांव में भी हर साल दो से तीन मेलों का आयोजन होता है इसमें प्रमुख रुप से हमारे लोक देवता रामदेव जी का मेला लगता है. इस मेले का आयोजन बहुत ही बड़े मैदान में किया जाता है क्योंकि यह मेला करीब 10 दिनों तक चलता है जिसके कारण इसमें आसपास के शहरों और गांवों के लोग भी इस मेले को देखने आते है.

मैं और मेरे मित्र मेले वाले दिन सुबह ही मेले में नए कपड़े पहन कर और तैयार होकर मेले में पहुंच गए. यहां पर मेरे कुछ दोस्तों ने मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पानी पिलाने की व्यवस्था की थी वहां पर जाकर हमने शाम तक श्रद्धालुओं को पानी पिलाया और शाम होने पर हम मेले में घूमने के लिए निकल पड़े.

मेले में बहुत भीड़ भाड़ थी और संध्या का समय होने के कारण अधिक लोग मेले में आ रहे थे इसलिए वहां पर धक्का-मुक्की बहुत बढ़ गई थी. हमने सबसे पहले मेले में जाकर हमारे लोक देवता रामदेव जी के दर्शन किए और फिर मेला घूमने के लिए निकल पड़े.

मेले में चारों चारों तरफ दुकानदार चिल्ला-चिल्लाकर लोगों को अपना सामान खरीदने के लिए लुभा रहे थे. कुछ लोग बड़े झूले पर झूल रहे थे जैसे ही झूला ऊपर जाता हूं लोग जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और हंसी खुशी झूले का आनंद ले रहे थे.

बच्चों के लिए घोड़े वाले, मछली वाले और साधारण चकरी वाले झूले लगे हुए थे जिन पर बच्चे झूलकर बड़े खुश हो रहे थे. झूलो को देखकर हमारा मन में झूला झूलने को करने लगा इसलिए हमने भी बड़े वाले झूले की टिकट ली और झूले में बैठ गए झूला जैसे ही ऊपर जाता हमें बहुत अच्छा लगता लेकिन जैसे ही गांव नीचे की ओर आता हूं तो डर भी लगता लेकिन झूला झूलकर बहुत आनंद आया.

मेले में बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू हमारा मन ललचा रही थी. हम भी मेले का आनंद लेते हुए चाट की दुकान पर पहुंचे और बहुत से स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाया. इनमें मुझे सबसे स्वादिष्ट समोसे और कचोरी लगी. इसके बाद हमने कुछ गोलगप्पे खाए और रंग बिरंगी आइसक्रीम खाकर बहुत मजा किया.

मेले में एक तरफ सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे उनका भी हमने खूब उत्साह से आनंद उठाएं. इसके बाद मेले में एक तरफ पहलवानों की कुश्ती चल रही थी जिसमें एक पहलवान सभी पहलवानों को मात दे रहा था और आखिरकार वह जीत गया उसे जीतने पर 5100 रुपए का इनाम मिला. हमें भी कुश्ती देखकर एक अलग सा जोश आ गया.

मेले में एक तरफ प्रदर्शनी लगी हुई थी जहां पर कल ही लोग जा रहे थे लेकिन हमने प्रदर्शनिया जाकर देखी वहां पर अलग-अलग विषयों प्रदूषण, जल बचाओ, स्वच्छता अभियान आदि पर प्रदर्शनियां लगी हुई थी जो कि बहुत ही रोचक ढंग से सजी हुई थी.

संध्या के समय होने के कारण मेले में अधिक भीड़ हो गई थी इसलिए स्कूल के NCC के विद्यार्थी व्यवस्था संभालने में लगे हुए थे और अगर कहीं किसी का झगड़ा हो रहा होता तो वहां पर पुलिस भी व्यवस्था संभालने के लिए लगी हुई थी.

मेले में शाम को रंग बिरंगी लाइट जला दी गई थी जिसके कारण यह दृश्य बहुत ही मनोरम लग रहा था. हम मेले में आगे बढ़ रहे थे तभी हमें बहुत से खिलौनों की दुकान दिखाई दी वहां से मैंने अपने छोटे भाई बहनों के लिए कुछ गुब्बारे और कुछ खिलौने खरीदे.

आगे जाने पर एक जादूगर अपना जादू का खेल दिखा रहा था वह कभी फूल से कबूतर बनाता तो कबूतर से खरगोश हमें यह देख कर बहुत अच्छा लगा और हमने उत्साह से जादूगर का मनोबल बढ़ाते हुए तालियां बजाई. जादूगर ने भी खुश होते हुए हमें एक और जादू का खेल फ्री में दिखाया.

कुछ और आगे बढ़ने पर मेले में घरेलू सामान की दुकानें लगी हुई थी मैंने वहां से मां के लिए एक चिमटा और कुछ बर्तन खरीदें. शाम को लोग मेले में नाचते गाते हुए आ रहे थे और लोक देवता रामदेव जी के दर्शन कर रहे थे. मेले में बहुत देर घूमने के कारण हम बहुत थक गए थे इसलिए हम वहां एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और सुस्ताने लगे.

कुछ देर बाद हम मेले का एक राउंड और लगाने निकले तो हमने देखा कि खिलौने वाले दुकानदार रंग-बिरंगी लाइटों वाले खिलौने बेच रहे थे कुछ खिलौनों तो लाइट की चमक के साथ आसमान की ओर जाते हैं और फिर नीचे घूमते हुए आते हैं यह देख हमें बहुत ही अच्छा लगा और हम सब ने एक-एक लाइट वाला खिलौना खरीद लिया.

धीरे-धीरे अब रात होने लगी थी और मेले में भीड़ भी कम होने लगी थी हम भी बहुत थक गए थे इसलिए हमने मेले से घर जाने का निश्चय किया और कुछ समय बाद हम घर पहुंच गए मैंने अपने भाई-बहनों को उनके खिलौने दिए और मां को मेले के बारे में बड़े उत्साह से बताया. ऐसा मेला मैंने कभी नहीं देखा था यह मेला सदा के लिए मेरी यादों में बस गया है.