मदर टेरेसा एक बहुत ही महान और अद्भुत महिला थी। उनके जाबाज कार्यों की वजह से पूरे विश्व मे उन्हे बहुत सम्मान दिया जाता है। व एक ऐसी महिला थी जिनके अद्भुत कार्यों से ना जाने कितने लोग प्रेरित ही हैं। यह एक सत्य है की मानवता लिए हैं ये दुनिया बहुत तरह के लोगों से भरी ही है और इनमे ज्यादतर लोग ऐसे हैं जो बहुत आगे बढ़ सकते हैं पर उन्हे थोड़ी प्रेरणा की ज़रूरत होती है। 26 अगस्त 1910 को मदर टेरेसा का जन्म हुआ था।
उनका वास्तविक नाम जन्म से पहले ही अग्रेसे गोनक्शे बोजशीयु था परंतु उनके अद्भुत कार्यों और जीवन मे मिले उपलब्धियों के बाद से ही पूरी दुनिया ने उन्हे एक नया नाम दिया मदर टेरेसा। असल मे मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन एक मा की तरह बीमार लोगों की और गरीबों की सेवा मे लगा दिया था। मदर टेरेसा गटरों की संत के नाम से भी जानी जाती है।
मदर टेरेसा पर निबंध – Long and Short Essay On Mother Teresa in Hindi
मदर टेरेसा अपने माता पिता की एकलौती औलाद थी। अपने माता पिता को दान करते देख उन्हे उनसे काफी प्रेरणा मिली थी। उनके पिता राजनीति मे थे और उनके गुजरने के बाद उनके आर्थिक स्तिथि खराब हो चुकी थी।
मात्र 18 साल की उम्र मे उन्हे यह पता चला की धार्मिक जीवन की तरफ से बुलावा आया है और उसके बाद मदर टेरेसा दुब्लिन के लौरेटो सिस्टर से जुड़ गयी। इसी तरीके से उन्होंने गरीबों की सेवा करनी शुरू करी।
वह पूरे विश्व की बहुत महान शक्षसियत थी। हर भारतीय के की जरूरतमंद और पिछड़े गरीब लोगों के लिए व हमेशा ही पूरी निष्ठा और प्रेम से और कई सेवा देने केलिए वह हमेशा एक सच्ची माँ की तरह हमारे सामने अपनि पूरी ज़िंदगी उन्होंने औरों के भले मे लगा दी। उन्हे हमारे टाइम की संत और फरिश्ता, यां अंधेरे की दुनिया का एक उजाला के रूप मे जान जाता है।
अपने शुरुआती समय से ही उन्होंने अपनी ज़िंदगी देश के नाम सौंप दिया था। एक बार वह अपना कार्य समाप्त करके वापिस घर को लौट रही थी और उन्होंने देखा की कोलकाता की झोपड पट्टियों मे लोग काफी दुख झेल रहे थे और या देखकर उन्हे बहुत ज्यादा तकलीफ हुई,
और उसके बाद कई रातों तक वह ठीक ढंग से सो भी नही पाईं थी, और कुछ समय बाद उन्होंने झोपद् पट्टी मे रहने वाले लोगों के लिए कुछ अच्छे कदम उठाये और ईश्वर से उन लोगों के लिए प्रार्थना करने लगीं।