पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

इस पोस्ट में पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। पुस्तकालय (Library) में पुस्तकों का संग्रह होता है, इसलिए इसे पुस्तकों का संग्रहालय भी कहते है। पुस्तकालय में तमाम तरह की किताबों का संग्रह होता है। लाइब्रेरी में हर विषय वस्तु से संबंधित किताबें मिलती है। चाहे किताब राजनीति, इतिहास से प्रेरित हो या फिर गणित और विज्ञान को बताती हो, हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकें मिल जाती है।

यहां पर मनोरंजन की पत्रिका, उपन्यास, कहानियां भी पढ़ने को मिलती है। “पुस्तकालय” शब्द पुस्तक और आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। इसलिए पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का घर”। लाइब्रेरी में ज्ञानवर्धक पुस्तकें होती है जो ज्ञान का रसपान करवाती है। किसी भी विषय का श्रेस्ठ ज्ञान पाने का स्थान पुस्तकालय है। एक अच्छा पुस्तकालय साफ सुथरा और व्यवस्थित होता है। तो चलिए पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) के बारे में अलग अलग विचार को समझते है।

उदाहरण 1. पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, स्रोतों आदि का जमावड़ा(संग्रह) रहता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी [library] शब्द का हिंदी रूपांतर है। लाइबेरी शब्द की उत्पत्ति लेतिन शब्द ‘ लाइवर ‘ से हुई है, जिसका अर्थ है पुस्तक। पुस्तकालय का इतिहास लेखन प्रणाली पुस्तकों और दस्तावेज के स्वरूप को संरक्षित रखने की पद्धतियों और प्रणालियों से जुड़ा है।

पुस्तकालय यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- पुस्तक + आलय। पुस्तकालय उस स्थान को कहते हैं जहाँ पर अध्ययन सामग्री (पुस्तकें, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, एव अन्य पठनीय सामग्री) संगृहीत रहती है और इस सामग्री की सुरक्षा की जाती है। पुस्तकों से भरी अलमारी अथवा पुस्तक विक्रेता के पास पुस्तकों का संग्रह पुस्तकालय नहीं कहलाता क्योंकि वहाँ पर पुस्तकें व्यावसायिक दृष्टि से रखी जाती हैं।
मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है। मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है।

इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है। इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय। वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है। यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है। पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं।

एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती है। इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं। कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है।

सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। यहां हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं।

इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं।

इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा सचल पुस्तकालय सेवाएं चलाये जा रहे हैं। यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं। हमारा युग ज्ञान का युग है। वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है व शक्ति है।

पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है। इस भाग में आपको पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) के बारे में जनकारी छोटे शब्दों में दिया गया है आपको कैसा लगा अपनी सुझाव कमेंट के माध्यम से जरुर दे।

उदाहरण 2. पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

जिस प्रकार संतुलित आहार से हमारा शरीर हस्टपुस्ट होता है। उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए अध्ययन तथा स्वास्थ्य का बड़ा महत्व है। इस संसार मे ज्ञान से बड़कर कोई अन्य वस्तु पवित्र नही हो सकती।

ज्ञान के अभाव में मानव था पशु में कोई अंतर नहीं होता। ज्ञान ही ईशवर है। ज्ञान प्राप्त करने के अनेक साधन है। जिसमें सत्संग, देशाटन तथा सद्ग्रन्थों का अध्धयन है। इन सब मे पुस्तक को ज्ञान पताप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन मना गया है। पुस्तकें ज्ञान राशि के अथाह भंडार को अपने मे संचित किये रहती है। इनके द्वारा घर बैठे हजारो वर्षो के सद्ग्रन्थों की प्राप्ति होती है। जो हमें पुस्तकालयों से होती है। जिनमे हम विज्ञान से परिचित हो सकते है।

पुस्तकालय की उत्पत्ती

पुस्तकालय दो शब्दों के योग से बना है। पुस्तकों का घर। केवल पुस्तको को एक स्थान पर एकत्रित करने अथवा एक कमरे में भर देने से पुस्तकालय नहीं बन जाता। पुस्तकालय तो एक ऐसा स्थान है। जिसके उपयोगादी का सुनियोजित विधान होता हैं।

पुस्तकालय का महत्व

पुस्तकालय वह स्थान है। जहाँ पुस्तकों का समूह होता है। यह पुस्तकें पाठकों को कुछ समय के लिए पढ़ने के लिए उधार दी जाती है। जब समय समाप्त हो जाता है, तो वे पस्तकें वापस कर देते है और नई पस्तकें उधार ले लेते है। प्रत्येक जो पुस्तकालय से पुस्तक उधार लेता है, उसे मासिक या वार्षिक शुल्क चुकाना पड़ता है। फिर वह पुस्तकालय का सदस्य बन जाता है और पुस्तक उधार लेने का अधिकार प्राप्त कर लेता है।

पुस्तकालय सबका सच्चा दोस्त

पुस्तकालय उनको एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। जो पुस्तके क्रय नही कर सकते है। हमारे देश मे प्रत्येक पाठक प्रत्येक पुस्तक खरीद नही सकता है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते है। पुस्तकालय सार्वजनिक सम्पत्ति है। सरकार कस्बो, नगरों, गाँवो में पुस्तकालय खोलती है और उनकी भी मद्त हो जाती है। जो पुस्तक खरीदने में असमर्थ होती है। लेकिन शिक्षा प्राप्त करना चाहते है। इसलिए पुस्तकालय गरीब हो या कोई अमीर व्यक्ति सभी की एक सच्चा मित्र के समान होती है।

पुस्तकालय में पुस्तकों के प्रकार

पुस्तकालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें होती है। पाठक अपनी पसंद की पुस्तकें उधार लेते है। पुस्तकालय में उपन्यास, जीवनी, आत्मकथाएं, कविताएं, कहानियां आदि से सम्बंधित पुस्तके होती है। कुछ पुस्तकालयों में समाचार पत्र और पत्रिकाएं भी मिलती है।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है। इनमें से प्रथम प्रकार के पुस्तकालय वे है। जो विद्यालयों, महाविद्यालयो तथा विशवविद्यालय, में विधमान है। दूसरे प्रकार के निजी पुस्तकालय है। जिनके स्वामी तथा उपयोग करने वाले प्रायः एक ही व्यक्ति होते है। अध्यपको, वकीलों, डॉक्टरों, साहित्यकारों राजनीतियो तथा अन्य ज्ञान पिपासुओं एवं धनाढ्यों के पुस्तकालय इसी श्रेणी में आते है।

तीसरे प्रकार के पुस्तकालय वर्गगत होते है। इनका स्वामी कोई सम्प्रदाय या वर्ग होता है। इन पुस्तकालयो का प्रयोग केवल इन्ही सम्प्रदायो अथवा संस्थानों से सम्बद्ध व्यक्ति कर पाते है। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते है। ये भी प्रायः संस्थागत अथवा राजकीय होते है। इनका सदस्य कोई भी हो सकता है। ये भी दो प्रकार के हो सकते है।

स्थायी एवं चलते फिरते। इनके अतिरिक्त चल व्यापारिक पुस्तकालय भी होते है। जो बसों या रेलगाड़ी में होते है। इनके अतिरिक्त राजकीय पुस्तकालय भी होते है। जिनकी व्यवस्था सरकार द्वारा होती है तथा इनका प्रयोग विशेष व्यक्तियों तक सीमित होता है। ये जन साधरण की पहुँच से बाहर होते है।

पुस्तकालय के लाभ

पुस्तकालय से अनेक लाभ है। ये ज्ञान का सक्षम भण्डार है। पुस्तकालय एक ऐसा स्त्रोत है। जहाँ से ज्ञान की निर्मल धारा सदैव वहति रहती है। रामचन्द्र शुक्ल ने ठीक कहा है।

“पुस्तकों के द्वारा हम किसी महापुरुष को जितना जान सकते है। उतना उनके मित्र क्या पुत्र तक भी नही जान सकते”

एक ही स्थान पर विभिन्न भाषाओं, धर्मो, विषयों, वैज्ञानिको, आविष्कारो ऐतिहासिक तथ्यों से सम्बंधित पुस्तकें केवल पुस्तकालय मे ही उपलब्ध हो सकती है।

पुस्तकालय के द्वारा हम आत्मबुद्धि तथा आत्म परिष्कार कर सकते है। पुस्तकों से एक ऐसी ज्ञान धारा बहती है। जो हमारे ह्रदय और हमारे मस्तिष्क का विकास करती है। एकान्त तथा शांत वातावरण में अध्ययनशील होकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान की अनेक मणियो को प्राप्त कर सकता है। इस स्थान पर विभिन्न देश तथा कालो के अमूल्य अप्राप्य ग्रन्थ, सुलभता से मिल सकते है पुस्तकों के ज्ञान से हमारा सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है।

आधुनिक महंगाई और निर्धनता में प्रत्येक व्यक्ति के लिये अधिक गर्न्थो का क्रय करना सम्भव नही है। पुस्तकालय में नाममात्र का शुल्क देकर अथवा मुफ्त सदस्यता प्राप्त करके अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तकालय में जाकर हमारा पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। यहाँ हम अपने अवकाश के क्षणों का सदुपयोग कर सकते है। पुस्तकालय में बेठने से अध्ययन व्रती को बढ़ावा मिलता है तथा गहन अध्ययन सम्भव होता है। महात्मा गांधी कहा करतें थे कि – भारत के प्रत्येक घर मे पुस्तकालय होना चाहिए।

पुस्तकालय की पुस्तक का सदुपयोग

पुस्तकालय समाजिक महत्व की जगह है। अतः यहाँ के ग्रन्थों को बर्बाद नही करना चाहिए। पुस्तकें समय पर लौटानी चाहिए तथा उनके पृष्ठो को गंदा नही करना चाहिए और न ही पृष्ठ फाड़ने अथवा चित्र काटने चाहिए। पुस्तकालय में बैठ कर शांतिपूर्ण अध्ययन करना चाहिए। पुस्तक जहां से निकली है। अध्यनोपरांत पुस्तक वहीं रख दी जानी चाहिए।

उपसंहार

पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi): आज हमारे देश मे अनेक पुस्तकालय है। परंतु अभी भी अच्छे पुस्तकालय की बहुत कमी है। इस अभाव को दूर करना सरकार का कर्त्तव्य है। अशिक्षा, निर्धनता, अधिकारो की उपेक्षा आदि के कारण हमारे देश मे पुस्तकालय की हिन दशा है। पुस्तकालय का छात्रों के लिए विशेष महत्व है। अच्छे पुस्तकालय राष्ट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अतः सरकार तथा अन्य संस्थानों को चाहिए कि अच्छे पुस्तकालय की स्थापना करें व पुस्तक के महत्व पर लोकमान्य तिलक ठीक ही कहा करते थे। इस भाग में आपको पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) के बारे में जनकारी छोटे शब्दों में दिया गया है आपको कैसा लगा अपनी सुझाव कमेंट के माध्यम से जरुर दे।

उदाहरण 3. पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

जहाँ ज्ञान का भण्डार एक साथ हमें मिल जाये, जहाँ ज्ञान की बढ़ोतरी होती है, जहा हम हमारे समय का सदुपयोग करते है, उसे हम पुस्तकालय कहते है। पुस्तकालय में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तके पड़ने को हमे मिलती है। जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है।

पुस्तकालय में जाकर आप अपने ज्ञान में व्रद्धि कर सकते है। पुस्तक वो कीमती धन है, जिसमें हमे ढेरों काम की चीजें मिल जाती है। प्रत्येक समस्या का हल पुस्तक होती है और ये पुस्तके हमें पुस्तकालय में आसानी से मिल जाती है।

पुस्तकालय में पुस्तक संग्रह

पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार के पुस्तकों का संग्रह होता है। पुस्तकालय नाम से ही हमे समझ में आता है की पुस्तकों का बहुत बड़ा संग्रह पुस्तकालय कहलाता है, जहां विभिन्न विषयों जैसे हिंदी, गणित, इतिहास, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, दर्शन शास्त्र, ग्रह विज्ञान आदि विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती है ।

हिंदी के पुस्तकालय में काव्य, कहानियां, कविता, गीत, लेखकों का परिचय आदि जानकारियां प्राप्त होती है। हिंदी के पुस्तकालय में जाने माने ऐतिहासिक कारको की जीवनियां पड़ने को मिल जाती है।

पुस्तकालय का महत्व

पुस्तको में वह ज्ञान का भंडार होता है, जिसे हम पड़ कर अपने ज्ञान को और अधिक बढ़ा सकते हैं। एक ही विषय की कई पुस्तकें और उनके लेखक भी अलग-अलग होते हैं। सब का ज्ञान पुस्तक में ही लिखित होता है। पुस्तक पढ़ने वाला कई ढेर सारी जानकारी, शब्दों का उच्चारण, विषयों की गहराई आदि जानकारी पुस्तकों से प्राप्त करता है।

पुस्तकालय के रूप

पाठशाला का पुस्तकालय

पाठशाला पुस्तकालय में विद्यार्थियों को अपने समय का सही उपयोग, एकांत वातावरण, ध्यान चित विषयो को सही और समझ से पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। विद्यार्थी नोट्स बनाने जैसे आदि कामो के लिए पुस्तकालय में पुस्तकों से ज्ञान ओर समय का सही उपयोग कर सकते है। विद्यार्थी पुस्तकालय के साथ से सभी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते है।

विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का विद्यार्थि समय- समय पर उपयोग करते हैं और इसका महत्व समझते हैं। कई विषयों के कई लेखक होते है और एक विषय के अनेक लेखक होते है, जिससे विद्यार्थी अपने नोट एक ही विषय की अलग अलग किताबे पढ़ कर बनाते है।

परीक्षा परिणाम में पुस्तकालय की मद्त से अधिक अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। पुस्तकालय में विद्यार्थियों के अलावा शिक्षकगण भी जाते है ओर उनके लिए वो सभी पुस्तके उपलब्ध हो जाती है।

शिक्षकों को वह सारी किताबे मिल जाती है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। जो पुस्तके हमे बहार ढूढ़ने पर भी नही मिलती, वो हमे पुस्तकालय में आसानी से मिल जाती है। इसलिए विद्यार्थीगण पुस्तकालय का प्रयोग करते हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिए समाचार पत्र, कहानियां, रोजगार के अखबार प्रदान किये जाते है।

फैक्ट्री

बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में भी पुस्तकालय की सुविधा रहती है। पुस्तकों के ज्ञान के भंडार से आम व्यक्तियों और उनके कर्मचारियों को, जिन्हे पढ़ने और लिखने का शौक होता है, वह इसका समय- समय पर उपयोग करते हैं।

सामाजिक संस्था

सामाजिक संस्था में कई उच्चगण पुस्तकालय का संग्रह कर पुस्तकालय खोल देते है। जिससे समाजिकगण पुस्तकालय का उपयोग करते हैं। कई नाटक, उसका चित्रात्मक अभिनय जैसे रामलीला, रामायण, महाभारत, महापुरुषों के बारे में वर्णन, देश को आजाद कराने वाले क्रांतिकारियों के बारे में वर्णन आदि जानकारी पुस्तकों के द्वारा ही प्राप्त की जाती है।

आज हम अपने इतिहास के बारे में जानते है तो उसका सबसे बड़ा श्रेय पुस्तकों को ही जाता है। क्युकी हमारे इतिहास के बारे में हमे पुस्तकों और हमारे बड़ो से ही पता चल पाया है।

पुस्तकालय के भाग

सामान्यतः पुस्तकालय में दो भाग होते हैं। पुस्तकालय में एक भाग किताबो को पढ़ने के लिए और दूसरा भाग किताबों को जारी करने के लिए होता है। यहां लाइब्रेरियन होता है जो लाइब्रेरी में आने वाले लोगों की सूची की जानकारी रखता है। पुस्तकालय के भाग कुछ इस प्रकार है।

प्रथम भाग

सर्वप्रथम पुस्तकालय में प्रवेश करने से पूर्व पुस्तकालय के बाहर एक रूम होता है, जिसमें कई अलमारी या खाने बने होते हैं। इन अलमारियों में या फिर खानो में बैग, थैला या अन्य चीजों को रख दिया जाता है।

इनकी देखभाल के लिए एक कर्मचारी भी होता है, जो समान का ध्यान रखता है। पुस्तकालय में प्रवेश के लिए कलम, लिखने के लिए कॉपी, पेज को लेकर जाने की अनुमति होती है।

किताबे जारी करने का भाग

इस कक्ष में सभी पुस्तकालय की देख-रेख के लिए लाइब्रेरियन होता है। लाइब्रेरियन द्वारा लाइब्रेरी में रखी गई किताबें, लाइब्रेरी में आने जाने वाले व्यक्तियों की सूची, उनके द्वारा जारी की गई किताबों का रिकॉर्ड रखा जाता है।

कौन -कौन से व्यक्ति पुस्तकालय में आ रहे हैं तथा उनके द्वारा पढ़ने के लिए चुनी गई किताबों की लिस्ट किताबे जारी करने के भाग में लाइब्रेरियन द्वारा रख रखाव कि जाती है।पुस्तकालय में जाने के लिए एक कार्ड होता है, जिसमें फोटो या पहचान पत्र होता है।

लाइब्रेरियन उसे देखकर अपने रिकॉर्ड में हस्ताक्षर करवाता है तथा कार्ड अपने पास रख लेता है। एक रजिस्टर में आने का समय, तारीख और दिन का विवरण व हस्ताक्षर करना होता है। वहा अनुचित सामग्री को ले जाना वर्जित है।

आप पुस्तकालय में कोपी ओर कलम के अलावा कुछ नहीं ले जा सकते है। पुस्तकालय के बाहर निकलते वक्त समय, तारीख, दिन और हस्ताक्षर कर आई कार्ड वापस ले लिया जाता है।

रीडिंग सेक्शन व राइटिंग सेक्शन

इस कक्ष में एक लंबा टेबल, किताबें, अखबार, मासिक दैनिक पत्रिकाये (मैगजीन्स) रखी होती है जिन्हे आप पढ़ सकते है। साथ ही इस कक्ष में बैठने के लिए कुर्सियां होती है। कॉपी में कुछ नोट करना हो तो टेबल पर रख कर नोट किया जाता हैं।

किताबों के पेजो को सावधानीपूर्वक व किताबों को संभाल कर पढ़ा जाता है व नोट किया जाता है। इस भाग में विभिन्न विषयों पर आधारित ढेर सारी पुस्तकें रखी जाती है। कोई भी व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार उस विषय पर रखी हुई पुस्तकों को इस कक्ष में आराम से बैठ कर पढ़ सकता है।

निगरानी कक्ष या कर्मचारी

पुस्तकालय में कैमरे लगे रहते हैं। वह एक कर्मचारी होती है, जो व्यक्ति गण व शिक्षार्थियों पर नजर रखते है। यहाँ से पुस्तकालय में हल्ला या शोर ना हो और शांत वातावरण बना रहे आदि बातों पर ध्यान दिया जाता है।

पुस्तकालय का सदस्य बनने के सामान्य नियम

वैसे तो अलग-अलग पुस्तकालय के अपने -अपने नियम होते हैं। परंतु फिर भी कुछ नियम प्रत्येक पुस्तकालय में लागू किए जाते हैं। पुस्तकालय में आने जाने के लिए कुछ सामान्य नियम बना दिये गए है।

पुस्तकालय का सदस्य बनने के लिए पुस्तकालय में मासिक रूप से कुछ शुल्क देय करना होता है। साथ ही ऐसे कही पुस्तकालय है जहा आपको कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती है।

एक बार पुस्तकालय का सदस्य बनने के बाद व्यक्ति पुस्तकालय में उपलब्ध अपनी मनचाही कोई भी किताब पढ़ सकता है। किसी भी पुस्तकालय का सदस्य बनते समय शुल्क जमा करवाना होता है, ये शुल्क किताबो की देखरेख के लिए लिया जाता है।

पुस्तकालय में समय सीमा के अंदर किताबो को लौटना होता है। किताब जमा करवाने तथा उन्हें लौटाने के अलग-अलग पुस्तकालय के अलग-अलग नियम होते है।

पुस्तकालय के प्रकार

सार्वजनिक पुस्तकालय

सार्वजनिक पुस्तकालय ऐसा पुस्तकालय है, जो सभी वर्ग के लोगो के लिए उपलब्ध रहता है। इस पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी मनचाही किताब पढ़ सकता है। आपको सार्वजानिक पुस्तकालय कही जगह देखने को मिल जायेंगे।

निजी पुस्तकालय

कुछ विशेष वर्ग के लोग जैसे वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, इंजीनियर आदी के पेशे से जुड़े पहलुओं को जानने और समझने के लिए अलग-अलग किताबों की आवश्यकता होती है। इसलिए वे अपने पेशे से जुड़ी किताबों का संग्रह कर स्वयं का पुस्तकालय बना लेते हैं और ऐसे पुस्तकालय को ही प्राइवेट या निजी पुस्तकालय कहा जाता है।

पुस्तकालय के लाभ

अगर आपको अपने ज्ञान के भंडार को बढ़ाना है तो पुस्तक ही सहायक होती हैं। जब कभी किसी विषय में महारत हासिल करनी होती है, तो पुस्तक ही आपको मदद कर सकती है।पुस्तकालय में जाकर पढ़ने से पढाई में ध्यान लगता है।

ऐसा इसलिए होता है, क्योकि पुस्तकालय में शांत वातावरण रहता है। शांत वातावरण होने से हमारा ध्यान पढ़ने पर केंद्रित रहता है। पुस्तकालय के शांत वातावरण से एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है।

अगर आप पुस्तकालय में पढ़ने या लिखने नियमित रूप से जाते है, तो आपके उच्चारण व पढ़ने में सुधार होता है। ये सुधार आप अपने घर पर पढ़ कर भी कर सकते है, परन्तु पुस्तकालय में इसकी बात ही कुछ और होती है।

जब विद्यार्थी नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करते है और पुस्तकालय में पढाई करते है, तो उन्हें अच्छे अंक प्राप्त होते है। इसका कारण पुस्तकालय में रहने वाला शांत वातावरण होता है।

पुस्तकालय हमारे राष्टीय धरोहर

पुस्तकालय में हमारे पूर्वजों की लिखी हुई कई अच्छी किताबे है। जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, ए पी जे अब्दुल कलम, ऐसे कई महान व्यक्ति है, जिनकी लिखी पुस्तके हमे पुस्तकालय में उपलब्ध हो जाती है। जिन्हें पड़कर हम हमारे ज्ञान में बढ़ोतरी करते।

पुस्तकालय में कई अच्छे लेखकों की भी पुसतको का संग्रहण किया जाता है। जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है। जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीँ खरीद सकता, वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में वह पुस्तक पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है।

पुस्तकालय का असर पुराने काल से

पुस्तकालय का असर हमारे उप्पर पुराने काल से ही है। क्योंकि प्राचीन काल मे प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण, जो भी लिखना रहता था वो पुस्तकों में हाथो से ही लिखा जाता था। जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक रखा जाता था।

हाथो से लिखे जाने के कारण किताबे भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी, क्योंकि हस्तलिखित पुस्तक का निर्माण बहुत कम होता था। इसी को देखकर पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।

पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबे पड़ने का इक्छुक होता था, वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबे पढ़ सकता है। इससे गरीब वर्ग के लोगो को अधिक फायदा हुआ, क्योंकि वो लोग अधिक मूल्य की पुस्तक पड़ नही सकते थे।

पुस्तकालय में सावधानियां

पुस्तकालय एक ज्ञान का मंदिर है, जहा हमे कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है। हमे पुस्तकालय के नियमों का पालन करना चाहिए। पुस्तकालय में हमे कभी भी शोर और आवाज नही करना चाहिए।

पुस्तकालय में अक्सर देखा गया है की कुछ लोग किताबें चोरी या पेन चोरी करते है, जो बिलकुल भी अच्छी बात नहीं होती है। कही लोग तो पुस्तकालय के पुस्तको को भी फाड़ते है, ऐसे में वो ना सिर्फ दुसरो का और देश का नुकसान कर रहे है बल्कि खुदका भी नुकसान कर रहे है।

हमे पुस्तकालय में जाकर चोरी, किताबे फाड़ना जैसे काम नहीं करना चाहिए। जब भी हम पुस्तकालय में जाते है, तो हमे अनुशासन का पालन करना चाहिए। क्युकी बिना अनुशासन के पुस्तकालय में पढ़ने का वातावरण नहीं बन सकता है। सभी पुस्तकालयों के नियम अलग अलग होते है, इसलिए हमे लाइब्रेरियन के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। इस भाग में आपको पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) के बारे में जनकारी छोटे शब्दों में दिया गया है आपको कैसा लगा अपनी सुझाव कमेंट के माध्यम से जरुर दे।

उपसंहार

पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi): किताबों से ही पुस्तकालय बनता है, उन्हें पढ़कर ही विषयों में समझ ओर ज्ञान के भंडार में बढ़ावा होता है। अनुशासित जीवन शैली, एकांत व एकाग्रचित वातावरण, आराम से किताबो को पढ़ना ये सब पुस्तकालय से पाप्त होता है।

पुस्तकालय हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्त्व रखता है, जो लोग पुस्तकालय का नियमित रूप से इस्तेमाल करते है वे इस बात को भले भाती समज़ते है। अगर आप एक विद्यार्थी है या फिर किताबे पढ़ने में रूचि रखते है, तो आपको पुस्तकालय में एक बार जरूर जाना चाहिए।

उम्मीद करता हु पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi) आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा, अगर आपको कुछ पूछना या जानना चाहते है तो तो आप हमरे फेसबुक पेज पर जाकर अपना सन्देश भेज सकते है, इस पोस्ट को पढने के लिए धन्यवाद!

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