हरयाणा शहीद दिवस हर साल 23 सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस को हरयाणा के उन शहीदों के मान किया जाता है जिन्होंने इस देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण की बलिदान दे दिया। इस दिन हरयाणा के राज्य में बहुत सी रैली निकाली जाती है। स्कूलों में भाषण प्रतियोगिता की जाती है।
हरियाणा शहीद दिवस पर निबंध – Long and Short Essay on Haryana Shahid Diwas in Hindi
उपायुक्त डॉ. गरिमा मित्तल ने बताया कि सरकार की हिदायतोंनुसार इस वर्ष 23 सितम्बर का दिन हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस को गरिमापूर्ण ढग से मनाया जाएगा। डा. गरिमा मित्तल ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल 23 सितम्बर को जिला रेवाड़ी मुख्यालय (रेवाड़ी) में हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय समारोह के मुख्यातिथि होंगे।
उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर 23 सितम्बर को हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के अवसर पर जनसभाएं समारोह एवं गोष्ठियां आदि आयोजित करके शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। इसके अलावा शहीदों के परिवारों तथा युद्ध में वीरता पुरस्कार पाने वालों को स्मृति चिन्ह भेंट कर यथावत सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ साथ जिला स्तर पर आयोजित समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों एवं कारगिल के योद्धाओं को भी सम्मान से आमंत्रित किए जाएगा।
शहीद दिवस भारत में उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जो भारत की आजादी, कल्याण और प्रगति के लिए लड़े और अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इसे हर वर्ष 30 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है। भारत विश्व के उन 15 देशों में शामिल हैं जहाँ हर वर्ष अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है।
शहीद दिवस के दिन देश के पिता मोहनदास करमचंद गाँधी की मृत्यु की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है, उनकी हत्या 30 जनवरी को 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। गोडसे ने गांधी को भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया इस प्रकार उन्होंने गाँधी जी को गोली मार दी। इस बुराई के लिए गोडसे को 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गई थी।
शहीदों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश की संप्रभुता की रक्षा करते हुए सैनिकों की शहीदता को 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर याद किया गया और इससे 30 जनवरी को शहीद दिवस का नाम दिया गया।
इस दिन न केवल प्रधानमंत्री बल्कि सशस्त्र बलों के प्रमुख अधिकारी भारत के गेट पर शहीदों को सलाम करते हैं। इस दिन आम आदमी भी कुछ समय के लिए अपनी समान्य गतिविधियों को छोड़ कर 2 मिनट के लिए मौन होकर उनके प्रति कृतज्ञता दिखाते हैं। सुबह 11 बजे हर सरकारी प्रतिष्ठान में सायरन की आवाज होती है।
उस समय हर कोई, औद्योगिक इकाइयों या सरकारी कार्यालयों में जहाँ भी हो, यहाँ तक कि आम आदमी भी अपने काम को रोक देते हैं और शहीद आत्माओं कि याद में दो मिनट के लिए मौन करते हैं। फिर दो मिनट के बाद साइरन फिर से बजता है, यानी लगभग 11:2 बजे लोगों को अपना काम करने की इजाज़त होती है।
यह दिन विजयी उत्सव होता है, सैन्य शक्ति नवीनतम हथियार उपलब्धि और विज्ञापन का प्रदर्शन करते हैं। महात्मा गाँधी के अनुयायी उनकी पूजा करते हैं और उद्धरण देते हैं-वह इस धरती पर अबतक के सबसे बड़े इंसान हैं। बापू गुणों और महानता का प्रतीक थे। धन्यवाद!