जिस प्रकार देश का सैनिक हमारे मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देता है वैसे हे एक डॉक्टर भी अपने सारे सगे – सम्बन्धियों से दूर रहकट देश की सेवा में हमेशा तत्पर रहता है। वह देश क नागरिको की बीमारियों से दूर करने व् उनका इलाज करने तथा अपने मरीज को जल्द से जलद करने बेहतर उपचार खोजिता रहता है। डॉक्टर हमारे जीवन में एक अहम् भूमिका निभाते है.
डॉक्टर पर निबंध – Long and Short Essay On Doctor in Hindi
डॉक्टर के अन्य नाम :- डॉक्टर को चिकत्सक भी कहा जाता है। वास्तव में डॉक्टर का हिंदी रुपतनराण चिकत्सक है। पुराने समय में डॉक्टर को वैध कहा जाता था और आधुनिक योग में उसे डॉक्टर के नाम से जाना जाता है। डॉक्टर को सर्जन भी कहा जाता है।
डॉक्टर दिवस :– डॉक्टर दिवस हर साल जुलाई माह में मनाया जाता है। वैसे तो डॉक्टर दिवस पुरे विश्व में मनाया जाता है पर अलग -अलग तारीख व अलग -अलग महीने में। जैसे :- सयुक्त राज्य अमेरिका में यह 30 मार्च , क्यूबा में 3 दिसंबर और ईरान में यह 23 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन एक अति प्रसिद्ध डॉक्टर बिधान चन्द्र रॉय को सम्मान देने के लिए उनके जयनाती के दिन मनाया जाता है जिनका जनम 1882 में बिहार के एक जिले पटना में हुआ था तथा जिनके मृत्यु भी उनके जन्म तारिख के दिन हुई थी। 04 फेब्रुअरि सन 1961 को उन्हें भारत रतन पुरस्कार दिया गया था और उन्हें सर्वश्रेष्ठ चिकासक का दर्जा दिया गया था।
भगवान का दर्जा :- एक अल्ल्हा , भगवान, प्रभु, जीसस अथवा साईं की संज्ञा दी जाती है। किसी भी डॉक्टर का यह कहना आप सभ्र रखिये सब ठीक हो जायेगा यह भी वास्तव में किसी उम्मीद से बढ़कर होता है।
- काहे पढू मैं गईं ज्ञान और कुरान ,
- जब स्वयं अअवतरित समक्ष मेरे भगवान।
- मजहब नहीं है जिसका कोई ,
- बस फरिश्ता बन कर आ जाते है।
- और बचा लेते है प्राण ,
- चाहे माहि हो कार्तिक का या रमजान।
डॉक्टर के प्रकार :– डॉक्टर कई प्रकार के होते है। मुखयतः चार प्रकार के डॉक्टर विशेष है :-
- ऐलोपैथिक डॉक्टर
- होम्योपैथिक डॉक्टर
- आयुर्वेदिक डॉक्टर जिन्हे वैध भी कहा जाता है।
- यूनानी डॉक्टर जिन्हे हाकिम कहा जाता है।
संघर्षमय जीवन :- डॉक्टर का जीवन अत्यंत संघर्षमय होता है। वह अपने सुख दुःख की चिंता किये बिना दिन-रात अपने मरीज के इलाज के लिए चिंतित रहता है। उसकी हमेशा यह कोशिश रहती है उसके पास आने वाला हर व्यक्ति जल्दी से ठीक होकर एक स्वस्थ जीव का निर्वाह करे जिसके लिए वह अपनी नींद की भी परवाह नहीं करता। जब भी डॉक्टरी की शिक्षा ग्रहण की जाती है या दी जाती है तो हर डॉक्टर को से यह शपथ ली जाते है वह अपने सब सुख -दुःख को चोर कर पहले अपने फर्ज के प्रति सतर्क रहेगा। कहते है :-
न कोई संडे और न ही कोई मंडे ,
कोई नहीं मेरा फंडे।
वह डॉक्टर है कोई भगवान् नहीं ,
पर उसके जैसा जिगरा रखना आसान नहीं।।
डॉक्टर जीन रक्षक है :– हम दिन प्रतिदिन अनेक स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों से चिंताग्रस्त रहते है जिसके इलाज के लिए हमें डॉक्टर की सलाह की आवश्यक्ता होती है ताकि हम सही उपचार करके अपने अस्वस्थ शरीर को स्वस्थ रख सके। अलग अलग बीमारी के लिए अलग-अलग चिकत्सक होते है जैसे सामान्य बुखार के लिए अलग चिकत्सक तो कैंसर जैसी भयंकर बीमारी के लिए उससे योग्य चिकत्सक की सहायता लेनी होंगे जो उसका भली भांति ज्ञाता हो और उसे अपने पेशे का भली भांति ज्ञान हो। जैसे सामान्य बीमारी खासी , जुकाम का ईलाज कर लेता है पर यदि किसी भयंकर बीमारी का इलाज़ करना है जैसे नेत्र रोग, कैंसर , हैजा , हिर्दय रोग , टी.वी. आदि।
अंधेर नगरी :- वर्तमान स्थति पहले की तुलना में एक दम अलग है यहाँ आधे से ज्यादा डॉक्टर पैसे कमाने की होड़ में अपने पेशे का गलत इस्तमाल करने लगे है जिसके करण वे मरीजों से मनमानी फीस वसूल करते है और अपना लोभ सार्थक करते है। उनके इस रवैए से उच्च वर्ग को किसी भी प्रकार की हानि महसूस नहीं होते पर माध्यम वर्ग अपने प्रियजन के इलाज को कराते -कराते अपनी जीवन भर की कमाई को खो देता है। पर इसके साथ यह भी सत्य है की हर डॉक्टर एक सामान है। आज भी कॉफ़ी डॉक्टर ऐसे है जो मुफ्त मरीजों का इलाज करते है। इस पर मुझे एक कहानी याद आ गई जो मैंने कुछ समय पहले ही कही पढ़ी थी।
एक डॉक्टर रोज़ अपना दवा खाना खोलता इस उम्मीद के साथ आज का गुजरारा जैसे कैसे हो जायेगा ऊपर वाले की मर्जी होगी तो आज के दिन के जरुरत की चीजे मैं भी खरीद पाऊंगा। उसकी पत्नी रोज़ सुबह उसकी टेबल पर स्लिप रख देती थे जिसमे दिन की जरुरत का सामान लिखा होता था। बस रोज़ इस तरह वे दोनों अपनी आजीविका का निर्वाह करते थे। पर एक दिन उनके पत्नी ने पर्ची पर जो सूचि बनाई उसमे बेटी की शादी की जरुरत के सामान भी लिख दिए।
सूचि को पार्द कर डॉक्टर बहुत चिंतिति थे। इसका कारण वह अपने किसी भी मरीज से फीस नहीं लेता था जो जितना दे जाता चुप चाप ले लेता। पर उस दिन उसने बेटी की शादी की सूचि के आगे लिख दिया इसका दायित्व भगवन पर चोर देता हु। इतना सब कुछ करके वह हर रोज़ की तरह अपने काम में व्यस्त हो गए और तभी एक अमीर व्यक्त उनके पास आया और उनको धन्यवाद किया। इसका कारण उसके द्वारा दी गए दवाई से उसे दम्पति जीवन का सुख प्राप्त हुआ था।
उस व्यक्ति ने काफी जगह इलाज कार्य था पर कुछ फर्क न पड़ने की वजह से वह सारी उम्मीद खो चुका था। पर इस सर्जन की मदद से उसका या सुख भी मिल गया पर उस समय इस सज्जन ने उस अजनबी इंसान से कोई फीस नहीं ली थी सिर्फ इतना कहा ईश्वर पर भरोसा रखो वह सबका भला करता है , तुम्हारा भी कल्याण होगा। इसके बाद वह व्यक्ति इंग्लॅण्ड चला गया और काफी आरसे के बाद जब लोटा तो उसे सब स्मरण था। उसे दिन उसने फैसला कर लिया था की वह इस इंसान की मदद अवशय करेगा। वह हर दिन ईश्वर से मांगता था मुझे भी उस इंसान की मदद करने का पात्र बना दे ताकि मै स्वयं को उसके ऋण से मुक्त कर सकू. इस तरह उसने उसके सहायता की।
निष्कर्ष :- आज भी लोग डॉक्टर पर बहुत विश्वास करते है। लोगो के मन में यह विश्वास रहता है की हम डॉक्टर कि हम डॉक्टर के पास जा रहे है मेरा प्रियजन अवशय ठीक हो जायेगा। वास्तव में डॉक्टर का व्यवसाय या पेशा बहुत ही जिम्मेदारियों का होता है। अंत में बस इतना ही कहना है चाहे कितने भी अच्छे आप सर्जन बन जाये अपना व्यव्हार हमेशा कोमल रखे उसमे शिष्टाचार की झलक हो।
अगर निकट आये कोई रोग
मेरे पास चले आते है लोग
हैजा , मलेरिया या हो बुखार
मैं करता हूँ सबका उपचार
आ जाये कोई फ़कीर या अमीर
मेरा कर्म यही रहे ठीक होकर जाये वो इस बार