भ्रष्टाचार पर निबंध- Essay on Corruption in Hindi

हमारे समाज के वह पड़े जिसके बारे में हर व्यक्ति जानता है। शायद बच्चे तक तक इस चीज से अवगत होंगे। यानी हम बात कर रहे हैं “भ्रष्टाचार” की। ऐसा कहा जाता है कि राजनेताओं ने देश को भ्रष्टाचार सिखाया है। राजनीतिक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार ज्यादा होता है लेकिन ऐसा मानना गलत है।

भ्रष्टाचार पर निबंध- Long and Short Essay on Corruption in Hindi

आज समाज में भ्रष्टाचार को कई दायरों में देखा जाता है। कोई भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रह गया है नहीं ऐसी कोई जगह है जहां भ्रष्टाचार ना होता है। इसलिए भ्रष्टाचार का कोई एक खास दायरा नहीं है जहां यह कहा जा सके कि यहां भ्रष्टाचार ज्यादा होता है। भ्रष्टाचार एक अवैध तरीका है धन उपार्जन का।

लेकिन हमारे समाज को भ्रष्टाचार की बीमारी बहुत बुरी तरह से लग चुकी है। भ्रष्टाचार आज की सबसे बड़ी समस्या है। अपने लाभ के लिए लोग जानबूझकर अपने कर्तव्यों से चोरी कर बैठते हैं। कहीं-कहीं हमारे समाज में भ्रष्टाचार को मजबूरी का भी नाम दिया जाता है। लेकिन ऐसा कहना बिल्कुल गलत है। भ्रष्टाचार कोई मजबूरी नहीं होती। इसमें लोगों का अपना स्वार्थ होता है।

भ्रष्टाचार की परिभाषा कुछ इस प्रकार से दी जाती है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने लाभ के लिए जानबूझकर अपने कर्तव्य का पालन ना करना भ्रष्टाचार कहलाता है।

अगर आसान भाषा में कहें तो वह मानवीय नकारात्मक मनोवृति जिसका मूर्त रूप अपने कर्तव्यों और शक्तियों के अनैतिक और अनुचित प्रयोग द्वारा व्यक्तिवाद, उपभोग वाद और स्व की भावना को स्थापित करते हुए सार्वजनिक धन का गैरकानूनी अर्जन और स्थानांतरण के रूप में परिलक्षित करना होता है।

जिस प्रकार जीव में रखी शक्कर का स्वाद लेने से नहीं रोका जा सकता है उसी प्रकार राजस्व का अपहरण करते हुए अधिकारी को भी नहीं रोका जा सकता है।

अर्थात अगर कोई अधिकारी यह बोले कि वह ईमानदार है तो उसका यह बोलना शायद अविश्वसनीय होगा। भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें व्यक्ति अपने पद और अपनी शक्तियों का प्रयोग अपने लाभ के लिए या गैरकानूनी तरह से धन अर्जन के लिए करते हैं। हमारा समाज भ्रष्टाचार की परत से पूरी तरह लिपटा हुआ है। अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए लोगों ने नैतिक मूल्यों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है।

भ्रष्टाचार की वजह

व्यक्तिवाद

व्यक्तिवाद हमारे समाज की सबसे बड़ी चुनौती है। आज समाज में हर कोई अपनी प्रतिष्ठा बनाने में लगा हुआ है। हर कोई अपने आप को सबसे बड़ा साबित करने में कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार जैसा अपराध कर ही दे रहा है। अगर आज एक व्यक्ति कलेक्टर है तो उसकी वजह से उसके पूरे परिवार की अहमियत बढ़ जाती है। जैसे मानो पूरा परिवार ही कलेक्टर बन गया हो। इसे ही व्यक्तिवाद कहते हैं।

स्वार्थ

लोग अपने स्वार्थ के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। अपनी मान प्रतिष्ठा बढ़ाने, सामाजिकता बढ़ाने और अपना सम्मान बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है। अपनों के हित के लिए भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।

भ्रष्टाचार के प्रकार

  • ऐसे बहुत सारे तथ्य जो भ्रष्टाचार की वजह बने हुए हैं।
  • चुनाव के समय भ्रष्टाचार एक भयानक रूप में देखने को मिलता है चुनाव में जीतने के लिए देश के नेताओं के द्वारा लोगों में पैसा कीमती उपहार और मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। जिससे लोग इनको अधिक से अधिक वोट दें और इस तरह से राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • सरकारी नौकरी करने वाला तो कोई व्यक्ति अगर गीता पर हाथ रखकर कसम खाए और कहे कि वह भ्रष्ट नहीं है तभी उस पर विश्वास करना कठिन होगा। सरकारी चपरासी से लेकर उच्च अधिकारी तक हर कोई आपसे काम के लिए पैसे लेते हैं। और देश के नागरिक भी पैसा देकर अपना काम निकलवाने की जल्दी में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
  • भ्रष्टाचार की छवि दो शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी देखने को मिलती है जहां पैसा लेकर मेधावी छात्र की जगह बेच दी जाती है यह नहीं देखा जाता कि इस जगह का असली हकदार कौन है।
  • देश के नागरिकों द्वारा टैक्स की चोरी करना भी भ्रष्टाचारी है।

भ्रष्टाचार रोकने के उपाय

  • कई प्रकार से देश के हर छोटे बड़े क्षेत्रों में भ्रष्टाचार हो रहा है। इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास भी किया जा रहा है।
  • भ्रष्ट कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। पुलिस विभाग अफसरों अथवा किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा घूसखोरी करते हुए पकड़े जाने पर उसे तुरंत अपने पद से हटा दिया जाता है।
  • चुनावी क्षेत्रों में समाधान लाने की कोशिश की जा रही है। वोटों को खरीदने की कोशिश करने वाले राजनेताओं पर रोक लगाया जा रहा है।
  • आज हर काम ऑनलाइन करवाया जा रहा है ताकि घूसखोरी को रोका जा सके।
  • अवैध और गैर कानूनी संस्थाओं एनजीओ और कंपनियों को पूरी तरह बंद करवा दिया गया है।
  • हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि वह हमारे देश से भ्रष्टाचार को अधिक से अधिक दूर कर सकें।

निष्कर्ष

भ्रष्टाचार केवल हमारे ही देश में नहीं बल्कि सभी जगहों पर किए जाते हैं। हमें खुद इसे बंद करना होगा। भ्रष्टाचार लोग अपने स्वार्थ के लिए करते हैं। इसीलिए भ्रष्टाचार को अगर कोई रोक सकता है तो वह स्वयं हम हैं। इसीलिए हमें खुद अपने देश को इस समस्या से मुक्त करना चाहिए। अगर हम आज खुद घूसखोरी कर रहे हैं।

तो कल हमारे बच्चे भी करेंगे वह एक गलत राह पर चलेंगे और शायद इसकी वजह से हम का भविष्य भी खतरे में पड़ जाए। इसीलिए हमें खुद भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जागरूक होना चाहिए। इस देश के नागरिक होने के नाते हम सब का यह कर्तव्य बनता है।