Bond Kya Hota Hai? भारत में बांड कितने के प्रकार के होते है व इन्हे कैसे खरीदते है?

बॉण्ड  क्या होता है , भारत में बॉन्ड कितने प्रकार के होते हैं और उनको कैसे खरीदते हैं। बॉन्ड एक प्रकार का निवेश है , इसका मिलताजुलता रूप शेयर्स या म्यूचअल फंड्स है।  जब भी आप किसी बांड्स में निवेश करें तो मार्किट सर्वे अवश्य करें। उसके बारे में पूर्ण जानकारी एकत्रित करें क्योंकि आपकी पूंजी जिसे आप निवेश करने जा रहे है उसे बिना जाँच पड़ताल के लगाना मूर्खता होगी। बांड्स की अवधि 01 , 02 , 03 , 05 , 10 और 30 साल तक हो सकती है।  सरकारी बांड्स मुख्यतः 30 साल के होते हैं।

बांड्स क्या है? Bond Kya Hota Hai?

बांड्स एक निश्चित आय है और एक प्रकार का निवेश है।  इसके अंतर्गत आप अपने पास जमा पूंजी को उधार देते है और उसके फलस्वरूप आपको ब्याज मिलता है। ये पूंजी आप निजी कंपनी  या सरकार दोनों में से किसी को भी दे सकते हैं। बांड्स को हिंदी में ऋणपत्र अथवा प्रतिभूति कहा जाता है। जिसका अर्थ है ऋण से सम्बन्धी कागज। प्रायः सरकार , निजी कम्पनियाँ नए नए प्रोजेक्ट के लिए धनराशि एकत्रित करती है जिसके लिए वह अनेक प्रकार के दस्तावेज़ , ऋणपत्र और ऑफर निकलती है ताकि लोग उनके प्रोजेक्ट में पैसा निवेश करके उनकी मदद करें और इसके बदले में कम्पनी या सरकार उन्हें ब्याज के रूप में धनराशि देती है।

फेस वैल्यू

बांड्स को खरीदते समय उसकी फेस वैल्यू  पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है।  फ़ेस वैल्यू एक बॉण्ड की वह कीमत है जो बांड्स जारी करने वाली कंपनी के द्वारा  निवेशक को बांड्स की परिपक्वकता अवधि पूरी होने के बाद अदा की जाती है। फेस वैल्यू यदि अधिक है तो उसकी प्रीमियम बिक्री अधिक होगी।

बांड्स के प्रकार :- बांड्स कई प्रकार के होते है और हर बांड्स की अवधि और ब्याजदर भी अलग अलग हो सकती है।

  • सरकारी बांड्स :- सरकार द्वारा जारी किया गया बांड सरकारी बॉन्ड कहलाता है।  सरकारी बॉन्ड को ट्रेजेरी बांड्स या जोखिम मुक्त बांड्स भी कहते है।  कभी-कभी सरकारी बैंक नई शाखाएं खोलने के लिए बांड्स जारी करते हैं ताकि शाखा खोलने के लिए धन जमा कर सकें। सरकार द्वारा जारी किये गए बांड्स इसलिए जोखिम मुक्त होते हैं क्योंकि सरकार के प्रोजेक्ट में लगाया गया पैसा डूबता नहीं है , इसका अर्थ है यदि आपने सरकार द्वारा लागू किसी योजना में पैसा लगाया है तो आपका पैसा सुरक्षित है।
  • म्युनिसिपल बॉन्ड्स :- म्युनिसिपल बांड्स मुख्यतः राज्ये सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं। इनकी अवधि 03 साल होती है। इनमें किया गया निवेश सुरक्षित होता है।
  • जीरो कूपन बॉंड :- जीरो कूपन बॉन्ड्स में आपको किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं मिलता। जो अंकित मूल्य बॉन्ड का होता है उससे कम कीमत पर निवेशक , बॉन्ड कर्ता से खरीदता है।
  • कूपन :- पहले से निर्धारित ब्याज दरों पर जिन बांड्स में निवेश किया जाता है , उन्हें कूपन बांड्स कहा जाता है। इनकी ब्याज दर में कभी भी बदलाव नहीं होता है  चाहे निवेश काम समय के लिए हो या ज्यादा अवधि के लिए।  एक निश्चित ब्याज दर क आधार पर भी निवेशक को ब्याज की रकम अदा की जाती है।
  • कॉर्पोरेट बॉण्ड :- कोर्पोर्टे बॉन्ड्स बड़ी वित्तीय कंपनियो द्वारा जारी किये जाते हैं। इनमे जोखिम की मात्रा अधिक होती है। इस प्रकार के बांड्स में निवेश करने से पहले कम्पनी के बारे में जाँच पड़ताल कर लेनी चाहिए। इनमे यदि जोखिम अधिक होता है तो लाभ भी ज्यादा होता है और इनकी अवधि 12 साल तक हो सकती है। इस प्रकार के बांड्स में आपका जमा किया गया पैसा यानि कि मूलधन ब्याज सहित परिपक्वता अवधि के बाद ही मिलता है।
  • टैक्स सेविंग बांड्स :- लोग कभी-कभी टैक्स बचत के लिए भी बांड्स में निवेश करते है। टैक्स सेविंग बांड्स में म्यूच्यूअल फंड्स आते हैं।
  • परपेचुअल बॉन्ड्स :– इस बांड्स को कंसोल बॉन्ड या प्रीप भी कहा जाता है। इस बॉन्ड्स की कोई मचुरिटी डेट नहीं होती है। यह मुख्यतः मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा या बैंको द्वारा जारी किया जाता है। इसका लाभ मुख्यतः यह है कि इसमें निवेशकर्ता को कम्पनी में सांझेदारी मिल जाती है। जितने परसेंट वह निवेश करता है उतने परसेंट का वह कंपनी में भागीदार होता है।
  • जी सेक :- यह एक प्रकार का बांड है जो सरकार द्वारा अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है। पहले इसमें केवल बड़े निवेशक ही निवेश कर सकते थे परन्तु अब इसमें छोटेनिवेशक भी निवेश कर सकते हैं। इस प्रकार के बांड्स की अवधि 30 साल तक होती है।
  • पात्रता या योग्यता :- किसी भी प्रकार का बांड्स खरीदने के लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
  • विदेशी बांड्स अथवा अंतर्राष्ट्रीय बांड्स :- इस प्रकार के बांड्स विदेशी कंपनियों द्वारा जारी किये जाते हैं , जिन्से विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है। इस प्रकार के बांड्स बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा ही जारी किए जाते हैं जिनका विदेशों में व्यापर बहुत फैला हुआ होता है।

किसी भी बांड्स को खरीदते समय तीन बातों का विशेष ध्यान रखें :-

  • सम मूल्य :- सम मूल्य वह अंकित मूल्य है जो आपको यह निश्चित करता है ककि बांड्स की अवधि खत्म होने के बाद आपको कितनी धनराशि प्राप्त होगी।
  • कूपन मूल्य :- कूपन मूल्य कर अर्थ है ब्याज की दर क्या है।
  • परिपक्वकता अवधि :- इससे अभिप्रायः है आपको आपका पैसा कितने समय के बाद वापस मिलेगा। जैसे यदि बांड्स में आपने 01 एक वर्ष के लिए निवेश किया है तो परिपक्वकता अवधि 01 वर्ष होगी।