विश्व धरोहर सप्ताह – World Heritage Week in Hindi

विश्व धरोहर सप्ताह हर साल 19 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे विश्व में मनाया जाता है। ये मुख्यतः स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा लोगों को सांस्कृतिक विरासत के महत्व और इसके संरक्षण के बारे में जागरुक करने के लिये मनाया जाता है। अहमदाबाद नगर निगम की ओर से ऐतिहासिक भारत के ढांचे, भ्रमण स्थलों से और भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का शहर में विश्व धरोहर सप्ताह मनाने के लिये आयोजित किये जाते हैं।

विश्व धरोहर सप्ताह – World Heritage Week in Hindi

ऐसे कई भारतीय ऐतिहासिक धरोहर और भ्रमण स्थल हैं जो प्राचीन भारतीय लोगों की संस्कृति और परंपरा के प्रतीक है। भारतीय विरासत के महत्वपूर्ण स्मारकों और कलाकृतियों में से कुछ दिल्ली दरवाजा, अस्तोदीया गेट, दिल्ली का लाल किला, मानेक बुर्ज, सरदार पटेल की विरासत भवन, तीन दरवाजा, भादरा-गेट, सिद्दी सैय्यद, सारनाथ, काशी, वाराणसी के मन्दिर आदि हैं।

भारत की ये विरासत और स्मारक प्राचीन सम्पति हैं इस संस्कृति और परंपरा की विरासत को आने वाली पीढ़ीयों को देने के लिये हमें सुरक्षित और संरक्षित करना चाहिये। भारत में लोग विश्व धरोहर सप्ताह के उत्सव के हिस्से के रूप में इन धरोहरों और स्मारकों के प्रतीकों द्वारा मनाते हैं।

विश्व धरोहर सप्ताह को मनाने के लिये स्कूलों और कॉलेजों के छात्र बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। नगर निगम के स्कूल से करीब 500 छात्र संस्कार केन्द्र और शहर के संग्रहालय के निर्देशित पर्यटन में भाग लेते हैं। कम से कम 80 छात्र हर सप्ताह पर्यटन में भाग लेते हैं। वो ऐतिहासिक धरोहरों और देश के स्मारकों के संरक्षण के प्रोत्साहन से संबंधित विभिन्न नारे लगाते हैं।

अहमदाबाद शहर की ऐतिहासिक विरासत पर पूरे हफ्ते स्कूली बच्चों के लिए एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और सांस्कृतिक विरासत कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। संस्कृति और पुरातत्व विभाग के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कुछ कार्यक्रम जैसे सेमिनार, फोटो प्रदर्शनी और अन्य प्रतियोगी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

विश्व धरोहर सप्ताह मनाने का कारण

विश्व धरोहर सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य देश की सांस्कृतिक धरोहरों और स्मारकों के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में लोगों को प्रोत्साहित करना और जागरूकता बढ़ाना है। प्राचीन भारतीय संस्कृति और परंपरा को जानने के लिए ये बहुत आवश्यक है कि अमूल्य विविध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्मारकों की रक्षा की जाये और उन्हें संरक्षित किया जाये। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर (12 ज्योतिर्लिंगों में से एक), जिसका निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने सन् 1777 में कराया था, के पत्थर की संरचना के मूल रुप को बचाने और संरक्षित करने के लिये लखनऊ की राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला के द्वारा एक महान प्रयास किया गया। जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के द्वारा शहर के 2,000 मंदिरों के आसपास की रक्षा के लिए योजना बनाई गयी है।