मनुष्य के जीवन में अन्य आवश्यक आवश्यकताओं के साथ – साथ पशु पक्षियों की भी अहम् भूमिका होती है। ये बेजुबान प्राणी बिना कुछ बोले हुए भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हमारे जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो किसी न किसी रूप में पशुओं की सेवाओं से सेवित ना हो या उनके प्रदयों से लाभान्वित ना हो तथा किसी भी रूप में उपयोग न करता हो।
अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस – World Animal Day in Hindi Language
यहाँ तक की धनवान से धनवान व्यक्ति भी इनका ऋणी है व योगदान से कृतज्ञ है। परन्तु अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर अधिक से अधिक लाभ कमाने हेतु मनुष्य पशुओं के साथ दुर्व्यवहार करने लगा है। पशुओं के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार को दूर करने हेतु तथा उनकी स्थिति में सुधार लाने हेतु विश्व पशु दिवस की शुरुआत हुई और प्रत्येक वर्ष इसे ४ अक्टूबर को मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस की शुरुआत
सर्वप्रथम पशु दिवस की शुरुआत २४ मार्च सन् १९२५ को जर्मनी के बर्लिन में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ हेनरिक ज़िमरमन ने की थी। उन्होंने इस कार्यक्रम का आयोजन जर्मनी के स्पोर्ट्स पैलेस में किया था। लोगों में इस कार्यक्रम के प्रति जागरूकता काम होने के कारण ५००० से ज्यादा लोगों की सहभागिता नहीं हो पायी थी। इस कार्यक्रम की पूर्व निर्धारित तिथि ४ अक्टूबर थी किन्तु उचित स्थान की व्यवस्था न हो पाने की वजह से इसे २४ मार्च को आयोजित करना पड़ा। सन् १९२९ से वर्तमान समय तक इस कार्यक्रम को पूर्व निर्धारित तिथि ४ अक्टूबर को मायने जाने लगा। शुरूआती दौर में इस आयोजन को मात्र जर्मनी मनाया जाता था किन्तु समय के साथ – साथ लोगों में बढ़ती जागरूकता क साथ इसे अन्य देशों में भी मनाया जाने लगा तथा वर्तमान समय में यह एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस बन चुका है।
वैश्विक तौर पर पशुओं का महत्व
भारतीय संस्कृति में प्रायः सभी पशुओं की पूजा का विधान है। यही कारण है कि प्राचीन काल से आज तक भारत में पशुधन का महत्व कायम है एवं भारत ही नहीं अपितु वैश्विक तौर पर पशुपालन व्यवसाय निरंतर होता आ रहा है। दुधारू पशुओं से हमें जीवनदायी दूध की प्राप्ति होती है। दूध ही ऐसा खाद्य पदार्थ है जो अपने आप में पूर्ण आहार है। विशेषतः गाय का दूध तो अमृत सामान माना जाता है। इसी प्रकार बकरी के दूध को भी औषधि तुल्य माना जाता है। पशुओं से हमें गोबर की प्राप्ति होती है जिसका उपयोग उर्वरक, ईंधन , एवं गैस बनाने सहित अनेक तरह से किया जाता है। गोबर से बने खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति सदैव बानी रहती है। अनेक उद्योगों की आधारशिला भी पशुओं पर निर्भर है उदाहरणस्वरूप चमड़ा उद्योग, ऊनी उद्योग , वस्त्र उद्योग , मांस उद्योग , डेरी उद्योग इत्यादि। पालतू पशुओं में सबसे वफादार जानवर कुत्ता है जो की न केवल घर की रखवाली करता है अपितु पुलिस तथा सेना के इंटेलीजेंट विभाग में भी एक बड़ी भूमिका निभाता है और यह विभिन्न प्रकार के घातक अपराधों जैसे विस्फोटक पदार्थ को पकड़ने , चोरी , हत्या इत्यादि जैसे अपराधों की गुत्थी सुलझाने में मदद भी करता है। इसीलिए हमें पशुओं के संरक्षण और उनके रख रखाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस कैसे मनाते हैं ?
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों में पशुओं के संरक्षण, रखरखाव , तथा उनके प्रति संवेदनशील व्यव्हार करने हेतु लोगों में जागरूकता को बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष ४ अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस मनाया जाता है। इस दिन आयोजित कार्यक्रम में पशु प्रेमी , पशु कल्याण संगठन इत्यादि विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हैं , उदाहरणस्वरूप:
- सामाजिक स्तर पर विभिन्न सम्मलेन का आयोजन किया जाता है जिसमें भिन्न – भिन्न प्रकार के पशुओं से सम्बंधित मुद्दों पर चर्चाएं होती हैं तथा अपने अपने विचार प्रकट किये जाते हैं
- स्कूलों या कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित कर के बच्चों तथा युवाओं को पशुओं के प्रति संवेदनशील व्यव्हार करने हेतु प्रेरित किया जाता है
- विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पशुओं को गोद लेने पर भी लोगों का ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- पशुओं के लिए उचित आश्रय तथा उचित रखरखाव की व्यवस्था भी इन कार्यक्रमों का उद्देश्य होता है
- पशुओं के लिए उचित चिकित्सा तथा टीकाकरण का आयोजन करना
- विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा पशुपालन के लिए पशु मालिकों के प्रशिक्षण का आयोजन करना
- पालतू जानवरों पर होने वाले अत्याचारों के प्रति जनमानस को जागरूक करना
- गैर कानूनी कार्यो के लिए निर्दोष जानवरों को मारने या इस्तेमाल ना करने हेतु लोगों का ध्यान केंद्रित करवाना
- वन्य जीव संरक्षण के प्रति सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों में लोगों की भागीदारी
- इत्यादि
वैश्विक परिणाम
अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों के फलस्वरूप जनमानस में विभिन्न महत्त्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं उदाहरणस्वरूप पशुओं को पालने से पहले पशु मालिकों में प्रशिक्षण लेने हेतु रूचि देखी गयी , प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भागीदारी लेना , समय समय पर टीकाकरण करवाना तथा स्वास्थ्य सम्भान्धि जांच करवाना इत्यादि। धीरे धीरे समय के साथ साथ लोगों पशुओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है तथा उनका पशुओं के प्रति संवेदनशील व्यव्हार सराहनीय रहा है। पालतू पशुओं के साथ साथ वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति भी लोगों में जागरूकता बढ़ी है सरकार द्वारा वन्य जीव संरक्षण के लिए किये जाने वाले प्रयासों में आम जनता ने भी अपना सहयोग दिया है।
उपसंहार
प्रत्येक वर्ष ४ अक्टूबर को मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों में पशुओं के प्रति संवेदनशीलता तथा उचित रख रखाव के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है और ऐसा देखा गया की पिछले दशकों में लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। सरकार ने वन्य जीवों के संरक्षण हेतु उनके शिकार पर प्रतिबन्ध लगा कर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान रखा है जिसके फलस्वरूप वन्य जीनों का संरक्षण भी संभव हो सका है। इन्ही अब प्रयासों तथा जागरूकता अभियानों के कारण ही अंतर्राष्ट्रीय पशु दिवस मानाने का उद्द्देश्य धीरे धीरे पूर्ण हो रहा है।