भारत मे आने-जाने वाली ऋतुऒ मे शरद ऋतु उनमे से एक है . शरद ऋतु को अंग्रेजी भाषा में ऑटम सीजन कहते हैं। इस ऋतु में दिन छोटे और रातें लम्बी हो जाती है जिसके कारण शाम होते -होते अँधेरा होने लगता है। शरद ऋतु में कभी -कभी वर्षा भी होती है और कभी कभी ओले भी पड़ते है। शरदऋतु में जब वर्षा होती है उस समय को मावट कहते है। शरद ऋतु का प्रकोप अत्यधिक होता है।
शरद ऋतु पर निबंध – Long and Short Winter Season Essay in Hindi
शरद ऋतु मुख्यतः अक्टूबर माह में ही आरम्भ हो जाती है और यह फेब्रुअरी या मार्च महीने तक रहती है। शरद ऋतु का समय शीतकाल कहलाता है। इस ऋतु सम्पूर्ण वातावरण मानो बर्फ की चादर ओढ़े खड़ा हो और ठंडी-ठंडी हवा कानो में सन-सन का राग करती नजर आती है। शरद ऋतू में लोग रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल कम करते है और फल-सब्जियों को बाहर ही रखना पसंद करते है । शरद ऋतु दिसंबर व जनवरी के महीने में चरम सीमा पर होती है। इस समय अत्यधिक ठण्ड पड़ती है। लोग गर्म कपड़ो को इस्तेमाल करना आरम्भ कर देते हैं।
शरद ऋतु के अन्य नाम
शारद ऋतु को अंग्रेजी भाषा में विंटर सीजन कहा जाता है इसके साथ साथ इस ऋतु के अन्य नाम भी है। कुछ लोग इस ऋतु को जाड़े की ऋतु तो कोई इसे शीत ऋतु , तो कोई इसे सर्दी की ऋतु भी कहते है।
प्राकृतिक दृश्य
जहाँ एक तरफ शरद ऋतु में लोग अपने घरों में ही रहना पसंद करतें है वही दूसरी और प्राकृतिक दृश्य अतयंत मोहने वाला होता है। नाना प्रकार के फूल बगीचे के शोभा में चार चाँद लगा देते है और कही पहाडों पर पड़ी बर्फ मानो ऐसे लगती है जैसे किसी ने उन्हें सफ़ेद चादर के मखमली गलीचे से ढक दिया हो और धूप के आते ही चादर ऐसे खिसकती है जैसे मानो कोई अंगड़ाई लेकर सुबह सुबह उठने की कोशिश कर रहा हो। इस तरह यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
कभी कभी बदल आकाश में तैरते नजर आते है उन्हें देखकर लगता हैमानो जैसे नील समुंदर में अनेक खाविये अपनी-अपनी नौका के साथ मुकाबला कर रहे हो और एक दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हो जिसके कारण कभी-कभी बादलों के आपसी टकराव के कारण धरती पर बूंदा-बांदी शुरू हो जाती है और मौसम और अधिक शुष्क हो जाता है।
इस ऋतु में तालाबों के किनारो और आस-पास कमल के पुष्प देखने को मिलते है जो भिन्न-भिन्न रंगो के होते है जैसे गुलाबी व नीले रंग के होते हैं। शारद ऋतु में पेड़ो के पतों का रंग बदल जाता है। जैसे वर्षा ऋतु में पतों का रंग हरा होता है तो शीत ऋतु में उसका रंग सुनहरा हो जाता है।
इस ऋतु में सुबह-सुबह पतों पर पड़ी जल की बुँदे जो ओस होती है ऐसी लगती है जैसे मानो कोई ऊपर से मोती बिखेर रहा है। इस प्रकार सम्पूर्ण प्राकृतिक अत्यंत मनमोहक लगती है। कुछ लोग इस मौसम में ठन्डे प्रदेशो जैसे मनाली , शिमला , मंसूरी , देहरादून जाना पसंद करते है ताकि वहां की प्राकृतिक छठा का आनंद ले सके।
कभी -कभी सूर्य के काफी दिनों तक न निकलने पर ऐसा लगता है मानो कही सूर्य देवता धरती के प्राणियों से नाराज हो कर बैठ गए हो या उस पर किसी ने जादू टोना करके उन्हें अपने वश में कर लिया हो लिया हो। या उनकी शक्ति पर किसी तरह का ग्रहण लग गया हो। सूर्य के काफी दिनों तक न निकलने शीत ऋतु का सारा आन्नद समाप्त होने लगता है और यह अपने उग्र रूप से समस्त प्राणियों और समस्त जीव-जंतुओं के लिए अत्यंत असहनीय हो जाती है।
शरदऋतु में अनेक प्रकार की सब्जियां व व्यंजन
शारद ऋतु में अनेक प्रकार की हरी सब्जियाँ और बढ़िया बढ़िया पकवान खाने को मिलते है। इस ऋतू में ही मूली , गाजर , साग , हरी पत्तेदार सब्जियाँ आती है जो हमारे स्वास्थय के लिए अत्यंत लाभदायक होती है। इसके अतिरिक्त लोग इस ऋतु में मीठा खाना ज्यादा पसंद करते है और गुड़ एयर गन्ना इसी मौसम में आते है। कुछ लोग इस मौसम में गोंद के लड्डू देसी घी के बने हुए खाना पसंद करते है जिसके कारण ठण्ड काम लगती है और शरीर में स्फूर्ति भी रहती है। इस ऋतु में लोग सूप जोकि एक अच्छा पेय पदार्थ है शौक से लेते है। इस मौसम में गाजर का हलवा , मुंग दाल का हलवा मुखयतः शादी पार्टियों में डेजर्ट का प्रमुख हिस्सा होता है। इस मौसम में लोग चाय पीना अधिक पसंद करते है।
शाररिक स्थिति
इस ऋतु में शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है। इसका कारण है कि ठण्ड के कारण हमारे शरीर के अंदर की मासपेशियां सिकुड़ जाती है और अपने हम बहुत आलसी भी हो जाते हैं। इस ऋतु में सूरज की धूप शरीर के सारी शिथलता काम कर देती है। सूरज की धूप के गर्मी शरीर में उपस्थित सारी थकावट को कम कर देती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार कर देती है।
यदि इस ठण्ड के मौसम में यदि किसी दिन सूरज न निकले तो सारा वातावरण में एक संन्नाटा छा जाता है। शीत ऋतु में त्वचा शुष्क हो जाती है जिसके कारण लोग बार-बार त्वचा पर तेल और चेहरे पर कोल्ड क्रीम का इस्तेमाल करते है ताकि त्वचा रूखी और शुष्क न हो।
इस ऋतु में कुछ लोगो को शीत सहन न होने के कारण सर्दी-जुकाम हो जाता है और लोग सर्दी का उपचार करने के लिए अलग अलग प्रकार के काढ़े का प्रयोग करते है। इस मौसम है बालो का झड़ना स्वाभाविक है। इसका कारण यह है इस मौसम में हमारा शरीर आंतरिक और बाह्य रूप से कमजोर हो चुका होता है जिसके कारण शुष्कता के कारण हमारे शरीर में इस तरह का बदलाव स्वाभाविक है। इस ऋतु में सभी लोग ऊनी कपड़ो को पहनते है ताकि शीत ऋतु की ठण्ड से बचा जा सके।
त्यहारो का समय
इस ऋतु में अनेक प्रकार के त्यौहार आते है जैसे दशहरा , दिवाली , छट पूजा , मकर सक्रांति व क्रिसमस ,लोड़ी जो पंजाबियों को प्रसिद्घ त्योहार है। इसी ऋतू में कार्तिक का महीना भी आता है। कार्तिक का महीना बहुत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है जो कार्तिक माह में प्रातः काल उठ कर भगवान् का ध्यान करता है उसका अगला जन्म भी अनेक प्रकार के कष्टों से दूर हो जाता है। पोंगल , गड़तंत्र दिवस भी इसी ऋतु में आते है
तापमान में गिरावट
इस ऋतु में तापमान में अत्यंत गिरावट आती है। कहीं-कहीं तापमान ऋणात्मक में चला जाता है। इस ऋतु में तापमान अधिकतर 15 से 20 डिग्री तक होता है।
जीव-जंतुओं के स्थिति
इस ऋतु में एक तरफ जहाँ मानव जाति शिथलता को समेटे होती है वही दूसरी और जीव जंतु भी सुस्त महसूस करते है और ज्यादा चलना -फिरना नहीं चाहते। जीव-जंतु एक जगह कही दुबक का या छुप का बैठना पसंद करते है। उनके दुग्ध देने के क्षमता भी कम हो जाती है और उनमे भी आलस्य की झलक देखने को मिलती है।
यातायात में असुविधा
कभी-कभी शीत ऋतु इतनी अधिक बढ़ जाते है कि यह कोहरे और पाले का रूप ले लेती है जिसके कारण आयात -निर्यात , यातायात के साधनो में असुविधा का सामना करना पड़ता है और लोग अपने गंतव्य स्थान पर सही समय पर नहीं पहुंच पाते। यही कारण जा अत्यधिक ठण्ड के कारण जब वातावरण में कोहरे के स्थिति बढ़ जाती है तो हवाई यात्राएँ रद्द हो जाती है ताकि यात्री गण किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार न हो। इसके साथ -साथ यातायात के अन्य साधन भी अत्यंत धीमे चलते है। इसका कारण यह है कि कोहरे के कारण कुछ भी सड़को पर कुछ दिखाई नहीं देते।
किसनो को असुविधा
कोहरे के कारण किसानो को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। कोहरे और पाले के कारण किसानो की फसल नष्ट हो जाते है और कोहरे की ठण्ड किसानो के लिए परेशानियां और बढ़ा देती है। इसका कारण यह है कि ठंड के कारण जहाँ एक तरफ उसकी फसल नष्ट हो जाती है वही दूसरी और उसका परिवार ठण्ड से ठिठुर रहा होता है।
निष्कर्ष
शरद ऋतु से गरीब परिवारों के अत्यंत कठिनाईओ का सामना करना पड़ता है और इसके साथ-साथ जो गरीब परिवार झुगी-झोपिडयों या फुटपाथ पर रहते है उनके लिए यह ऋतु अत्यंत दुखदायी हो जाती है। ऐसे लोगो के पास गर्म कपड़ो के व्यवस्था नहीं होती है। अतः हमें ऐसे लोगो की सहायता करकर उनके दुःख का निवारण करना चाहिए।