भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की पूरी जानकारी

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया,ट्राई जिसका शॉर्ट फॉर्म है।भारत में दूरसंचार पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने 1997 में गठित किया बाद में तीन वर्ष के पश्चात इसी अधिनियम के सन् 2000 में संशोधन के द्वारा यथासंशोधित कर की गई। जिसकी नीति भारत में दूरसंचार से जुड़े व्यापार को नियमित करना था। भारत में दूर संचार नेटवर्क बहुत तेज़ी से फैला, वर्तमान समय में ये एशिया में दूसरा और विश्‍व का तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। ट्राई का एक मिशन की भारत में दूरसंचार का विकास हो

जिसके लिए ऐसी नीति तथा गति से परिस्थितियां बनाने तथा उन्हें बेहतर करने का है, जो भारत को उभरते हुए वैश्विक समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने में समर्थ बना बनाए। ट्राई का उद्देश्य है एक ऐसा उचित और पारदर्शी परिवेश देना, जो समान अवसरों के लिए प्रोत्साहित करें। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया: Telecom Regulatory Authority Of India In Hindi

ट्राई के इस संस्था में एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य पूर्ण अवधि के लिए और दो आंशिक अवधि के लिए होते हैं।अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए ट्राई समय-समय पर नए नियम और निर्देश देता रहता है। साथ ही भारतीय दूरसंचार बाजार को बेहतर बनाने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण भी बनाता है। ट्राइ के कॉमन चार्टर ऑफ टेलीकॉम सर्विस, 2005 निर्देशा अनुसार सेवा देने वाले को अपने ग्राहक की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखना होता है। इसे लाइसेंस प्रदाता और लाइसेंस धारक के बीच, दो या दो से अधिक सेवा प्रदाताओं के बीच और एक सेवा प्रदाता तथा ग्राहकों के मध्य विवाद को निपटाने के लिए अधिकार और ट्राई निर्देश, निर्णय या  विरुद्ध अपील की सुनवाई और उसके निपटान का अधिकार है।

अगर उपभोक्ता को अपनी समस्या का हल सेवा देने वाले कॉल सेंटर द्वारा नहीं प्राप्त होता,तो वह अपनी शिकायत नोडल अधिकारी के पास दर्ज करा सकता है। यदि वहां से भी समस्या का उचित हल न मिले तो ग्राहक अपीलेट अथॉरिटी में अपनी शिकायत कर सकता है। केबल  ऑपरेटर किस जिम्मेदारी होती है कि,एक सप्ताह के भीतर उपभोक्ता को टैरिफ योजना के बारे में जानकारी दे। बिना इसकी स्वीकृति के वैल्यू एडेड सर्विस नहीं दी जा सकती हैं।

ट्राई के नये नियम

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने केबल टीवी और डायरेक्ट टू होम कंपनियों के लिए नए नियम बनाए हैं। इन नियमों के आधार पर ब्रॉड कास्टिंग कंपनियों को 15 जनवरी तक अपनी वेबसाइट पर चैनल्स के नए पैक की जानकारी देना होता है। वहीं यह नए नियम 31 मार्च 2020 से लागू हुए।

नए नियमों में ग्राहकों के लिए दो स्लैब्स बने हैं। एक में टैक्स मिलाकर 130 रुपए महीने में 200 फ्री टू एयर चैनल्स दिखाना होता है। पहले 130 रुपए में 100 चैनल ही मिलते थे और उस पर टैक्स अलग से लगता था जिसके बाद यह खर्च 153 रुपए हो जाता था। इसका मतलब है कि उपयोग कर्ता के हर महीने 23 रुपए सीधे बचते हैं। वहीं दूसरा स्लैब 160 रुपए महीने का है जिसमें 200 चैनल्स मिलते हैं।

पहले ग्राहकों को 100 चैनल्स के लिए 130 रुपए और 18 प्रतिशत टैक्स देना होता था साथ ही हर 25 चैनल्स के लिए 20 रुपए जोड़कर देने होते थे।

नए नियमों में यह साफ हो,कि फ्री टू एयर चैनल्स में वो चैनल्स भी शामिल हैं जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अनिवार्य किए हैं। इनमें दूरदर्शन के चैनल्स शामिल हैं जिनकी संख्या 26 है। लेकिन इनके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता।

कोई भी केबल ऑपरेटर फ्री  चैनलों के लिए 160 रुपए महीने से अधिक नहीं ले सकता। तथा ट्राई ने वितरण परिचालकों (डीपीओ) को अधिक समय छह माह या उस से भी अधिक के सब्सक्रिप्शन पर छुट देने की भी अनुमति दे दी है। इसके बाद भी अधिक समय के लिए DTH रिचार्ज करवाने पर कम पैसे देने होते हैं।

संशोधन के बाद TRAI ने ब्रॉडकास्टर द्वारा ऑफर किए जाने वाले बुके में चैनल्स की कीमत में 7 रुपए की कमी के लिए कहा है। इसका मतलब अगर कोई चैनल बुके में ऑफर किया जा रहा है तो उसकी कीमत 12 रुपए महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में कुछ चैनल्स का खर्च 19 रुपए महीना तक है।

ट्रांजेक्शन फेल नहीं होगा

ट्राई ने बुके पर भी नियम दिए हैं और इसके बाद बुके पर मिलने वाला डिस्काउंट 33 प्रतिशत तक होता है। इसमें पहला नियम यह है कि आ-ला-कार्ट चैनल का बुके में चार्ज पूरे बुके का डेढ़ गुना से ज्यादा नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि अगर ब्रॉडकास्टर 10 चैनल का पैक 100 रुपए महीने का ऑफर कर रहा है तो उसके सभी चैनलों के पैक का मूल्य 150 रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।

वहीं दूसरी शर्त के अनुसार किसी भी चैनल का चार्ज पैक में शामिल किसी भी चैनल के औसत चार्ज से तीन गुना से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। उदाहरण के लिए, अगर किसी बुके में चैनल का औसत चार्ज 3 रुपए है, तो किसी भी चैनल का व्यक्तिगत चार्ज 9 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकता।

इस नियम  के साथ ब्रॉडकास्टर्स के लिए यह कठिन होता है कि वो 12 रुपए वाले चैनल को 50 पैसे या 1 रुपए वाले चैनल के साथ रखे। पहले ब्रॉडकास्टर्स अपने ग्राहकों को पैक पर 40-50 प्रतिशत का छुट देते थे। इसी वजह से अलग-अलग चैनल्स की बजाय पैक में चैनल लेना सस्ता पड़ रहा था।

ट्राई ने ब्रॉडकास्टर्स को उसके द्वारा दिए जा रहे चैनल्स के अनुसार पैक बनाने के लिए कहा है। इसके बाद अब अगर कोई ब्रॉडकास्टर 12 चैनल्स ही ऑफर कर रहा है तो वो इतने ही का पैक भी बना सकता है।

एक घर में एक से अधिक कनेक्शन्स को लेकर भी ट्राई ने यह फैसला लिया और इसके मल्टी कनेक्शन को 40 % पर  चार्ज कर दिया गया है। अब तक कंपनियां हर कनेक्शन के लिए मन मर्जी चार्ज लेती थीं। इस लेख के माध्यम से 2020 में ट्राई के द्वारा बनाए गए नए नियम के बारे में जानकारी दी गई हैं।