धूम्र पान पर निबंध – Smoking Essay in Hindi

आज 13 मार्च  यानी धूम्रपान निषेध दिवस है यहां पर उपस्थित प्रधाना अध्यापक एवं शिक्षक गण तथा सभी विद्यार्थी जन मैं आपके ही विद्यालय का छात्र राम गर्ग धूम्रपान से संबंधित कुछ बातें आप सभी के सामने रखना चाहूंगा आशा करता हूं कि आप सभी मेरी बातों को ध्यान पूर्वक सुनेंगे।

धूम्र पान पर निबंध – Long and Short Smoking Essay in Hindi

धूम्र पान या कोई भी नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाए, पर यह जिंदगी की असमय आने वाली शाम का भी मुख्य आधार होता है, जो न जाने कब हमारे आपके जीवन में अंधेरा कर जाए, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।  इसका मजा आपको भले ही दिनभर के कुछ सेकंड के लिए मिलता हो,लेकिन यह मजा, न जानें कब आपके जीवन में जिंदगी भर की सजा बन जाए,इसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते।

पिछले कुछ वर्षो में भारत के साथ ही पूरे दुनिया भर में धूम्रपान करने और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।  धूम्रपान के इस बहुत ही खतरनाक नशे की लखनी कई लोगों को यह कहे कि लाखों लोगों को प्रतिवर्ष मृत्यु के आगोश में सुला देती है दिया। इसके खतरनाक और हानिकारक परिणाम को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हुई है जो जनमानस में धूम्रपान न करने की जागरूकता फैलाती हैं।

तंबाकू और धूम्रपान के दुष्परिणामों को गंभीरता से लेते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन व इसके  सदस्य देशों ने इसके लिए एक प्रस्ताव रखा जिसके बाद प्रति वर्ष 31 मई को तंबाकू व धूम्र पान निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।तभी से 31 मई को प्रतिवर्ष विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।

तंबाकू से जुड़े कुछ तथ्य

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में करीब 130 देशों में धूम्रपान के लिए तंबाकू का उत्पादन किया जाता है
  • दुनियाभर में प्रति वर्ष करीब 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन किया जाता है और एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन किया करते हैं।
  • एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि विश्व के लगभग 80 फ़ीसदी पुरुष धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करते हैं और इसके साथ-साथ यह भी सामने आया कि महिलाओं में भी धूम्रपान करने की चलन काफी बढ़ गई है।
  • दुनियाभर में धूम्रपान करने वालों में करीब 10 फीसदी लोग भारत में है, रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 25 हजार लोग गुटखा, बीडी, सिगरेट, हुक्का आदि के माध्यम से तंबाकू का सेवन किया करते हैं।
  • यदि भारत के संदर्भ में देखा जाए तो प्रतिवर्ष लगभग 10 अरब सिगरेट और 72 करोड़ 5000000 किलो तंबाकू का उत्पादन मात्र भारत में होता है।
  • भारत का तंबाकू निर्यात के मामले में ब्राजील, चीन, अमेरिका, मलावी और इटली के बाद छठवां नंबर माना जाता है।
  • विकासशील देशों में प्रति वर्ष 8 हजार बच्चों की मौत परिजनों के माध्यम से किए जाने वाले धूम्रपान के कारण हो जाती है।
  • विश्व के किसी अन्य देश के मुक़ाबले भारत में तंबाकू से होने वाले रोगों से मृत्यु के आगोश में जाने लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।
  • किसी भी प्रकार का धूम्रपान 90 प्रतिशत से अधिक फेफड़े के कैंसर, ब्रेन हेमरेज और पक्षाघात का एक मुख्य वजह है।
  • सिगरेट व तंबाकू मुंह,रीड की हड्डी, गला और पेशाब के रास्ते के कैंसर के रूप में असर करता है ।
  • सिगरेट व तंबाकू में मौजूद कैंसर वाले पदार्थ शरीर की कोशिकाओं के विकास को रोककर उनके नष्ट होने और कैंसर के हो जाने के लिए सहायक होता है।
  • काफी लंबे समय तक धूम्रपान करने से मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि में कैंसर होने की खतरा बढ़ जाता है।
  • धूम्रपान का सेवन ही नही बल्कि उसके धुंए का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का मुख्य वजह साबित होते है।
  • धूम्रपान के धूएं में मौजूद निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे हानि कारक पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के मुख्य कारण होते हैं।

भारत में वैसे तो सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना है पर लचर कानून व्यवस्था के कारण इसका अमल न के बराबर होता है भारत में आर्थिक मामलों की संसदीय समिति ने बहुत पहले ही राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को मंजूरी दे रखी है इसका लक्ष्य है तंबाकू नियंत्रण कानून को और प्रभावी ढंग से कार्य में लाया जाए ताकि धूम्रपान और तंबाकू से होने वाले हनी से लोगों को बचाया जा सके और उनमें जागरूकता फैलाया जा सके

धूम्रपान से बचाव सम्बंधित सरकारी पहलें

भारत सरकार ने विभिन्न अधिनियम और और कानून के माध्यम से व्यापक तंबाकू नियंत्रण उपाए दिये और लागू किए है, जिनके माध्यम से धूम्र पान पर रोक लगाने की बहुत प्रयास किए जाते है।

भारत सरकार ने वर्ष 1975 में सिगरेट अधिनियम जैसे की उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन बनाया। जिसके अंतर्गत वैधानिक चेतावनी “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है”, इस चेतावनी को सभी सिगरेट के पैकेजों, डिब्बों और सिगरेट के विज्ञापनों पर लिखा जाना अनिवार्य कर दिया गया है जिससे लोग इसके प्रति जागरूक हो सकें और इस पर नियंत्रण कर सके।

तंबाकू व धूम्र पान के हानिकारक प्रभावों और तंबाकू नियंत्रण कानून के बारे में अधिक जागरूकता लाने  के लिए  तंबाकू नियंत्रण कानून कोटपा एक्ट वर्ष 2003 के प्रभावी रूप से काम करने के लिए वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की आरंभ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने की थी।

वर्ष 2018 में भारत में तंबाकू व धूम्रपान के या किसी भी नशेड़ी पदार्थ के लेबल पर या बाहर के पेट पर एक नियम बना दिया गया है कि यह वाक्य जरूर लिखा होना चाहिए कि तंबाकू से कैंसर होता है धूम्रपान से कैंसर होता है जैसी चेतावनी अंकित करना अनिवार्य कर दिया गया और इसके साथ-साथ भारत सरकार ने टोल फ्री नंबर1800-11-2356 भी जारी किया है जो लोग नशा छोड़ना चाहते हैं उसमें और टोल फ्री नंबर सहायक होता है।

मैं अपने भाषण को विराम की ओर ले जाती हुए यही कहूंगा कि आज जो पूरी दुनिया धूम्रपान के नशे या किसी अन्य पदार्थ के नशे में लिप्त होती जा रही है उससे वह मुक्त हो और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो.