ईंधन संरक्षण पर निबंध – Fuel Conservation Essay in Hindi

फ्यूल यानी ईंधन का हमारे ज़िन्दगी के बहूत महत्त्व है। ईंधन एक ऐसा पदार्थ है जो हमे हमारे प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। ज़रा अपने आस पास दृष्टि डालिये और पर्यवेक्षण करिये की न जाने कितने ही कार्य आप ईंधन की मदद से कम समय में कर सकते है। अब बताइये, क्या आप अपने जीवन की कल्पना ईंधन के बिना कर सकते है ?

ईंधन संरक्षण पर निबंध – Long and Short Fuel Conservation Essay in Hindi

ऐसी जीवन जीना तो दूर इसकी कल्पना करना भी कठिन है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि ईंधन बहुमूल्य है। मुख्य रूप से ईंधन तीन प्रकार के होते है-

  • ठोस रूपी ईंधन (जैसे कोयला,लकड़ी, गोबर,चारकोल)
  • तरल रूपी ईंधन (जैसे डीजल, पेट्रोल, घासलेट)
  • गैस रूपी ईंधन (जैसे एलपीजी गैस, कोयला गैस)

 महत्व

ठोस रूपी ईंधन

इनका मानव जीवन में अत्याधिक महत्व है क्योंकि खाना बनाने में गाँव के क्षत्र की महिलाएं आज भी कोयले का प्रयोग करती है। लकड़ी भी चुल्हा जलने में काम आती है। ठंड के मौसम में अंगीठी जलाने के लिए भी कोयले का प्रयोग होता है।

तरल रूपी ईंधन

इसका सबसे अधिक महत्व है मानव के दिन प्रतिदिन के कामों में क्योंकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए गाड़ियों की ज़रूरत पड़ती है जो कि डीज़ल और पेट्रोल से चलती है। और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि रेल गाड़ियों को चलाने के लिए भी इन्ही की आवश्यकता होती है। अगर ये ईंधन उपलब्द्ध न हो तो सारे वाहन चलने बन्द हो जाएंगे, फिर ज़रूरत का सामान एक स्थान से दूसरे स्थान कैसे जाएगा ।

गैस रूपी ईंधन

आप सब इस बात से परिचित है की एल पी जी का हमारे जीवन मे क्या महत्व है, दुनिया के अधिकतर घरों में इसी के द्वारा ही खाना बनता है।

भगवान ने इस पृथ्वी पर हमारे जीवन को बनाये रल्हन के लिए हमे कई चीज़ उपहार स्वरूप भेंट की है उनमें से ईंधन भी एक है ,जिससे ऊर्जा का उत्पादन होता है। यह एक ऐसा प्रदार्थ है जो परमाणु ऊर्जा,गर्मी, या शक्ति प्रदान कर ने के लिए जलाया जाता है। ईंधन दक्षता से हम यह माप सकते है कि कोई भी वाहन कितने समय में कोई भी यात्रा तय करता है। इसकी क्षमता किलोमीटर प्रति लीटर में मापी जाती है। स्त्रोत के आधार पर ईंधन के प्रकार-स्त्रोत के आधार पर ईंधन के तीन प्रकार होते है।

  • रासायनिक ईंधन-इसके अंतर्गत हायड्रोजन मीथेन आदि आते है।
  • जीवाराम ईंधन- इसमे कोयला और पेट्रोलियम की प्रधानता है।
  • जैव ईंधन- लड़की,काष्ठ, कोयला,बायो डीजल आदि आते है।

परंतु दुख की बात तो यह है कि वर्तमान समय में मानव अपने दुष्कर्मों एवं दुर्व्यवहार द्वारा प्रकृति और पर्यावरण को हानि पहुच रहा है । वो कहते है ना किसी भी चीज़ का अत्यधिक प्रयोग हानिकारक होता है उसी तरह आज बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती जरुरतों के कारण मनुष्य ईंधन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा मात्रा में करने लगा है , कोयला को जलाने पर भयावह व कला धुआं समस्त पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। यह बात गौर करने योग्य है कि ईंधनों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है जो वैश्विक तापमान का मुख्य कारण है। मनुष्य अपने स्वार्थवश यह भूल जाता है कि प्रकृति की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है।

ईंधन एक ऐसी सामग्री है जिसका उपयोग हम लगभग हर चीज़ में करते है। आजकल इसकी जरूरत सर्वाधिक है और इसी कारण अन्य देशों से बहुत अधिक कीमत पर इसका आयात हो रहा है। ये देश की अर्थव्यवस्था को बदलने का सामर्थ्य रखता है। पैट्रोल पंप में पेट्रोल की बढ़ती कीमत को देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पेट्रोलियम के दाम आसमान छू रहे होंगे। ईंधन संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे जैसकी कि निकट दूरी के लिए साईकल का प्रयोग करना अथवा पैदल चलना इससे न केवल ईंधन की खपत होगी अपितु हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।

ईंधन की बचत के लिए हमे पेट्रोलियम का इस्तेमाल कम करना चाहिए बिना आव्यशकता के अनर्गल वाहन में पेट्रोल नही डलवाना चाहिए। ईंधन की बचत यानी हमारे पैसों की बचत। इसलिए हमे सावधानी एवं सतर्कता के साथ ईंधन का उपयोग करना चाहिए। हमारा भारत तभी विकसित हो सकता है जब हम देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए नियमों का पालन करे। वर्तमान समय में बिजली से चलने वाले वाहन भी उपलब्ध है इसके प्रगोग से भी ईंधन में बचत होती है साथ ही कार- पूलिंग,वृक्षारोपण आदि भी ईंधन खपत के तरीके है।

यह हमारा दायित्व है कि हम अपने वातावरण को सुरक्षित रखे उसके संतुलन को ना बिगाड़े और इसलिए ईंधन को कम से कम जलना चाहिये क्योंकि ज्वलनशील ईंधन वातावरण में काफी प्रदूषण फैलाते है और यह प्रदूषण पर्यावरण के साथ- साथ मानव शरीर के लिए भी हानिकारक है।