संस्कृत दिवस पर निबंध – Sanskrit Diwas in Hindi

भारत बहुभाषाभाषी देश है। यहाँ सभी भाषाएं बोली जाती है क्योंकि भारत में सभी जाति और धर्म के लोग रहते है। यही है इस देश की पहचान। संस्कृत प्राचीन भाषाओं में सर्वप्रथम है। पहले लोग संस्कृत में ही बात करते थे और विशेषकर यह ऋषि-मुनियों की भाषा मानी जाती थी। हमारे सभी पौराणिक ग्रंथ जैसे कि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण,वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत,शिव तांडव,दुर्गा स्त्रोत आदि सब संस्कृत में ही रचित है।

संस्कृत दिवस पर निबंध – Sanskrit Diwas in Hindi Language

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हिन्दू देवीदेवता भी इज़ी दिव्य और अलौकिक भाषा का उपयोग करते थे।यह भाषा हमे और हमारे देश को गौरव प्रदान करती है किंतु वास्तव में यह बहुत कठिन भाषा है और वर्तमान समय में तो बहुत कम ही लोग होंगे जिन्हें इस भाषा का ज्ञान पूर्ण रूप से होगा। संस्कृत भाषा को समस्त भाषाओं की जननी माना जाता है। संस्कृत की महत्ता सम्पूर्ण विश्व में बहुत कम हो गयी है इसलिए इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत दिवस मनाया जाता है।

हर वर्ष भारत मे श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया जाता है।भारत मे सभी जिला और बालक स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और इस क्षेत्र में अच्छा करने वालो को पुरिष्कृत भी किया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा ऋषियों को समर्पित होती है क्योंकि ऋषियों द्वारा ही इस पावन भाषा को रचा गया था। संस्कृत दिवस पूरी विश्व में मनाई जाती है ताकि लोगो के बीच इस भाषा को अधिक बढ़ावा मिल सके खासकर आज की नई पीढ़ी इस भाषा को अधिक जाने क्योंकि आजकल की आधुनिक विचारधारा के अनुसार संस्कृत भाषा को पुराने जमाने की भाषा माना जाता है।

वर्तमान समय में सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली भाषा अंग्रेज़ी के भी अधिकतर शब्द संस्कृत भाषा से ही लिए गए है। जैसे जिमित्री बना ज्योमेट्री,त्रिकोनॉमित्री बना ट्रिग्नोमेट्री,मात्र बना मदर,भातृ बना ब्रदरआज इस भाषा की गरिमा कम हो गयी है क्योंकि आज लोगों की आंखों पर भौतिकवाद और आधुनिकता का पर्दा पड़ गया है। पश्चमी संस्कृति से लोग काफी ज्यादा प्रभावित है इसलिए अब संस्कृत बोलना उन्हें अरुचिकर लगता है। संस्कृत भाषा आज भी इंटरनेट के अनुसार सबसे सुदृढ़ भाषा है।

संस्कृत दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है इस भाषा के महत्व को बढ़ाना लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाना। भारत सरकार ने समस्त शिक्षा विभागो को यह आदेश दिया है कि वे हर साल संस्कृत दिवस मनाए। यह प्रक्रिया १९६९ से प्रारंभ हुई है। आज भी कई विद्यालयों में संस्कृत की शिक्षा दी जाती है जैसे केंद्रीय विद्यालय यहां कक्षा आठ तक संस्कृत का विषय अनिवार्य है और पढ़ाया जाता है जिससे कि आज की पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा का ज्ञान हो।

संस्कृत का तात्पर्य ऐसी भाषा से है जो पूर्ण रूप से परिष्कृत पूर्ण और अलंकार युक्त है। संस्कृत भाषा इन सभी विशेषताओं से परिपूर्ण है इस भाषा में त्रुटियां नही मिलती है। संस्कृत अलंकार युक्त होने के कारण ऋषि मुनीयों ने इसे कई रचनाओं को रचित करने का माध्यम चुना। आधुनिक काल मे श्रावण पूर्णिमा के दिन ही वेद पाठ का आरंभ माना जाता है। इसी दिन सभी बच्चे शास्त्रों की विद्या का आरम्भ करते थे।
संस्कृत को वैदिक और क्लासिक सङ्गीत में विभाजित किया गया है।

वैदिक संस्कृत में वेद और उपनिषद होते है जबकि क्लासिक संस्कृत में पौराणिक ग्रंथ रामायण और महाभारत शामिल है। भाषा वैज्ञानिक श्री भोलेनाथ तिवारी जी के अनुसार इसके चार भाग किये गए,पश्चिम उत्तरी,मध्य देशी,पूर्वी। किसी भी भाषा की विशेषता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितनी और विकशित होने की क्षमता रखती है। जिस भी भाषा में यह गुण प्रस्तुत होते है वह लंबे अंतराल तक अपना अस्तित्व बनाये रखने में सक्षम होती है अन्यथा वह समय के साथ लुप्त हो जाती है।

यह सत्य है कि संस्कृत भाषा आजकल प्रचलन में नही है परंतु हम इसकी अनगिनत विशेषताओं को अनदेखा नहीं कर सकते यही कारण है की विशेषज्ञ और वैज्ञानिक यह प्रयत्न कर रहे है कि वे संस्कृत भाषा को कंप्यूटर में इस्तेमाल कर सके और विकाश को नई उचाईयों तक ले जा सके। श्री ढतीय घोष ने संडे हिंदुस्तान टाइम्स में संस्कृत की विशेषताओं की व्यख्या कड़ते हुए एक लेख प्रकाशित किया था उनके अनुसार लंदन के प्रमुख पाठशाला के अधिकारियों की यह मान्यता है की संस्कृत का ज्ञान होने से अन्य भाषाओ को सीखने व समझने की शक्ति में अभिवृद्धि होती है।

क्योंकि संस्कृत हमारे भारत की संस्कृति को दर्शाती है इसलिए यह आवयशक है कि संस्कृत को हम विभिन्न स्तरों पर और नए ढंग से जनमानस की जागृति में लाये तथा लोगो को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करे । जब हम अपनी सभ्यता का विकाश करेंगे तभी देश का विकाश संभव है।