सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act ) क्या है? आरटीई के कुछ मुख्य बिंदु और आलोचना

हमारे देश का विकास तभी संभव है जब हर घर में साक्षरता का वास होगा। एक विकासशील और विकसित देश की ताकत होती है उस देश के बच्चे और युवा। इसीलिए देश के बच्चों को शिक्षा अवश्य देना चाहिए अगर देश के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएंगे या किसी कारणवश अच्छी शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाएंगे तो उस देश का भविष्य अंधकार में चला जाएगा क्योंकि बच्चे ही बड़े होकर युवा बनते हैं और एक शिक्षित युवा ही इस देश के भविष्य को उजागर कर सकता है। प्राचीन काल से ही हमारे देश में शिक्षा का स्तर बहुत ही अच्छा रहा है। एक से एक संस्थाएं थी जिनमें ऊंचे स्तर की शिक्षा दी जाती थी।

About RTE ACT (सूचना का अधिकार अधिनियम)

तक्षशिला और नालंदा विश्व विद्यालय जैसी संस्थाएं भारत में बहुत ही पहले से ही हैं। लेकिन अंग्रेजों द्वारा पुस्तकालय को नष्ट कर दिया गया। तथा अंग्रेजों के आतंक की वजह से हमारे देश में शिक्षा का स्तर गिरने लगा जो आजादी के बाद भी नहीं उठ सका। और इन सारी घटनाओं की वजह से कुछ बच्चे धीरे-धीरे शिक्षा से वंचित होने लगे। और हमारे देश का साक्षरता दर घटने लगा। इसी में सुधार करने के लिए भारत सरकार द्वारा आरटीई एक्ट पारित किया गया। आज की इस पोस्ट में हम आपको आरटीई एक्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। जानकारी पाने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

आरटीई एक्ट क्या है? RTI Act Kya Hai

आरटीई को निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 जानते हैं। इसे लागू करने वाला पहला देश नार्वे था। निति निर्देशक तत्व के तहत अनुच्छेद 45 में पहले ही कहा गया था कि 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी इसके बाद अटल बिहारी वाजपेई जी के समय संविधान में संशोधन किया गया। संशोधन 86 वां के तहत मुख्य बातें कहीं गई। इस संशोधन में शिक्षा को भाग(3) मूल अधिकार अनुच्छेद21(क) में जोड़कर शिक्षा को मूल अधिकार बना दिया गया। इसीलिए अनुच्छेद 21(क) को आरटीई एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। भारत में आरटीई 1 अप्रैल 2010 को लागू हुई थी। यह एक कानूनी अधिकार भी है।

आरटीई के कुछ मुख्य बिंदु

आरटीई संपूर्ण भारत के समस्त स्कूलों में लागू है। इसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है।
इसके तहत ऐसा कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल वालों को 6 से 14 वर्ष के 25% गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देनी होगी। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें वसूली गई थी से 10 गुना अधिक जुर्माना और उनकी मान्यता भी रद्द कर दी जाएगी।
इसके तहत विकलांग बच्चों की उम्र 14 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है यानी विकलांग बच्चों को 18 वर्ष तक निशुल्क शिक्षा दी जाएगी।
इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि अगर बच्चों के स्क्रीनिंग और माता पिता का इंटरव्यू लिया जाएगा। तो स्कूल को ₹25000 का जुर्माना भरना पड़ेगा। और अगर इस गलती को दोबारा दोहराने पर देना पड़ेगा।
इसके तहत यह भी कहा गया है कि शिक्षक ट्यूशन नहीं पढ़ा सकते हैं।
इस अधिनियम के द्वारा बच्चों को संपूर्ण ज्ञान विकास और शिक्षा के लिए प्रेरणा मिलता है और बच्चे चिंता और तनाव मुक्त होकर अपनी पढ़ाई करते हैं।

RTE एक्ट की आलोचना

  • शिक्षा अधिकार अधिनियम के कुछ कमियां और आलोचनाएं भी हैं जिनके बारे में हम नीचे कुछ चर्चा करेंगे।
  • देश की हर बच्चे को समान शिक्षा प्राप्त होना चाहिए। इसीलिए भारत सरकार द्वारा यह घोषणा करना चाहिए कि देश के हर बच्चे को निशुल्क शिक्षा के जगह समान शिक्षा मिलना चाहिए। सबके लिए एक ही कैटेगरी के शिक्षा का प्रबंध करना चाहिए।
  • इस एक्ट में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को तो मुफ्त शिक्षा देने के बारे में बात कही गई है लेकिन 6 वर्ष तक के बच्चे कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। सरकार को 6 वर्ष तक के उन 17 करोड़ बच्चों के बारे में भी कुछ करना चाहिए था।
  • इसमें निशुल्क शिक्षा के बजट प्रावधान का जिक्र नहीं है।
  • इसके तहत या नहीं कहा गया है कि बिना किसी दस्तावेज के एडमिशन किया जाएगा। बहुत से राज्य में ऐसा रूल है कि स्कूलों में एडमिशन कराने से पहले जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और बीपीएल कार्ड आदि जैसे दस्तावेज मांगे जाते हैं जिससे अनाथ बच्चे तो शिक्षा से वंचित ही हो जाते हैं।
  • यह अधिनियम बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के अपने संस्थाओं को चलाने का उल्लंघन करता है।

निष्कर्ष

इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको आईडी के बारे में संपूर्ण जानकारी दे दी है आशा करते हैं कि आपको हमारी पोस्ट की जानकारी समझ में आई होगी आरटीई एक्ट के मुताबिक हमें किसी भी स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने का कानूनी हक प्राप्त है। यह अधिनियम सभी बोर्ड वाले स्कूलों के लिए बनाया गया है।