राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर निबन्ध – Rashtriya Suraksha Diwas Par Nibandh

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का आरम्भ 4 मार्च 1966 हुआ । इसके स्थापना का उद्देश्य हमारे जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में आम जनमानस को जागरूक करना तथा उनके अमुल्य जीवन की रक्षा करना है । राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस को अब राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है ।

इसके अन्तर्गत 4 मार्च से लेकर 10 मार्च तक दुर्घटना से बचने के लिए अनेक कार्यक्रमो के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है ।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर निबन्ध – Rashtriya Suraksha Diwas Par Nibandh

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का अस्तित्व में लाने श्रेय ‘ नेशनल सेफ्टी काऊंसिल ‘ को जाता है । भारत में नेशनल सेफ्टी काऊंसिल की स्थापना 4 मार्च 1966 को मुंबई सोसायटी अधिनियम के की गयी थी । आरम्भ में इसमें 8 हजार सदस्य थे । इसका प्रारम्भ भूत पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा किया गया था ।

सन् 1972 ई में इसे राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया तथा बाद में इसे राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह के रूप में मान्यता प्राप्त हुई ।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का उद्देश्य –

जान- माल की सुरक्षा – विशेष कर औद्योगिक इकाइयों में कई घटनाएं होती रहती थीं जिससे काफी जन-धन की हानी होती थी । इससे बचने के लिए लोगों को सुरक्षित तरीके से कार्य करने व कराने के लिए प्रशिक्षित करना तथा जागरूक करने के लिए प्रेरित किया गया ।

स्वच्छता- देश को स्वच्छ रखना भी  राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत हीं आता है । जिसमें सरकार, जनता, कर्मचारी, उद्योगपति सबकी जिम्मेदारी बनती है कि आपस में सामंजस्य बैठाकर देश में स्वच्छता संबंधित सुरक्षा प्रदान करें।

खाद्य पदार्थों की सुरक्षा- तात्कालिन समय में खाद्य वस्तुओं में अनेक प्रकार से मिलावट किया जाता है जिससे हम देश वासीयों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है । मिलावटी खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों से आज पुरा देश जुझ रहा है । अतः सरकारों को इसे काफी गम्भीरता से लेना होगा तथा हमें भी जागरूक रहना पडेगा । सुरक्षित खाद्य पदार्थ भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हीं अंग है ।

महिला सुरक्षा- वर्तमान समय में महिला सुरक्षा एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है क्योंकि आधी आबादी  को जबतक सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती तबतक समाजिक न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करना तर्क संगत नहीं है । आज देश के हरेक भाग से महिला उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही है चाहे ग्रामिण इलाका हो या शहरी हर जगह से ऐसी कुत्सित घटनाएं सामने आ रही है जिससे हमें इस संबंध में विशेष विचार करने की आवश्यकता है । अतः महिला सुरक्षा के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करना बेमानी होगी ।

गरीबी एवं भुखमरी- आजादीके  70 सालों बाद भी हमारे देश में गरीबी एवं भुखमरी एक गम्भीर समस्या बनी हुई है । हमारे देश में करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं तथा सैकड़ों लोग भुखमरी से काल के गाल में समा जाते हैं ।

अतः इस समस्या का समाधान विशेष रूप से करना आवश्यक है क्योंकि केवल इस मामले में योजनाएं बनाना काफी नहीं होगा । इसको खत्म करने के लिए संकल्पित इच्छा शक्ति के साथ साथ कारगर योजनाओं को धरातल पर उतारना होगा तभी जाकर गरीबी एवं भुखमरी से जीत सकते हैं ।

हालांकि विगत कुछ सरकारों ने इस संबंध में अच्छा काम किये हैं लेकिन अभी काफी कुछ करना बाकी है । गरीबी एवं भुखमरी भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हीं अंग है और इसके लिए सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है ।

रोजगार- आज हमारे देश की रोजगार एक बहुत बड़ी समस्या हो गयी है । लाखों लोगों को बेरोजगारी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इस बेरोजगारी से हमारे देश के नौजवान अनेक प्रकार की बुराइयों में जकड़े  जाते हैं जिससे उनका जीवन देश के लिए एक नयी समस्या को जन्म देती है । अतः सरकारों को संकल्पित इच्छा शक्ति के द्वारा इस समस्या का समाधान ढूढना होगा तभी जाकर इस समस्या से उबर पायेंगे।

सरकार के साथ साथ गैर सरकारी संगठनों, उद्योगपतियों, पूंजीपतियों को भी आपस में मिलकर ऐसा सामंजस्य बैठाना होगा जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें । रोजगार की गारंटी के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करना या गारंटी देना संभव नहीं है ।अतः राष्ट्रीय सुरक्षा रोजगार से जुड़ा हुआ है ।

बढ़ती हुई जनसंख्या- हमारे देश की बढती हुई आबादी अनेक प्रकार के समस्याओं की जननी है । यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ साथ सामाजिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है ।

अनियंत्रित रूप से बढती हुई आबादी से अनेक समस्या उत्पन्न होतीहै यथा- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, खाद्य पदार्थ, रहन-सहन,परिवहन आदि । अतः राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अनियंत्रित जनसंख्या पर कारगर तरीके से रोक लगाना होगा तभी जाकर राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी ।

ऐसी अनेक बातें हैं जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रहे हैं और उनको दूर किये बिना हम राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकते ।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का स्लोगन

  • जीवन सुरक्षा सर्वोपरि है इसके बिना सब व्यर्थ है ।
  • जीवन सुरक्षा कोई नारा नहीं बल्कि जीने का तरीका है ।
  • सुरक्षा एक मशीन है जिसे चालू करना आपके हाँथ में है ।
  • सबकी सुरक्षा के लिए मिलजुल कर प्रयास करना होगा ।

‘सुरक्षाकर्मियों को सलाम’

अतः अन्त में हम यह कहना चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का एक मात्र उद्देश्य हमको हमारी सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार होना है । यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें तथा अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करते रहें तभी राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी ।