वर्षा ऋतु पर निबंध – Rainy Season Essay in Hindi

भारत में अनेक प्रकार की ऋतुएँ आती जाती रहती है। विश्व में भारत ही ऐसा देश है जहाँ  अनेक प्रकार की ऋतुएँ विधमान हैं। भारत को ऋतुओं का देश कहा जाता है। जब कभी अति भीषण गर्मी पड़ती है लोग  भगवान् से बरसात के आने के लिए आराधना करते हैं तथा कुछ लोग यज्ञ भी करते हैं।  यज्ञ करना एक प्राचीन परमपरा है।  प्राचीन समय में हमारे पूर्वज इंद्र देवता को प्रसन्न करकर वृष्टि के आने का वरदान मांगते थे तथा वृष्टि के आगमन के लिए घोर तपस्या भी करते थे और इन्द्र देवता भी अपने आशीर्वाद को जल के रूप में पृथ्वी पर बरसते थे।

वर्षा ऋतु पर निबंध – Long and Short Rainy Season Essay in Hindi

भारत ही ऐसा देश है जहाँ  की जलवायु नम्र भी है और आद्र्र भी है।  यहाँ किसी प्रदेश में तो इतनी गर्मी पड़ती है तो किसी प्रदेश में अत्यंत शीत हवाएं  चलती हैं। कुछ प्रदेशों में तो अत्यधिक अथवा सारा साल वर्षा होती है तो किसी प्रदेश में वर्षा नाममात्र या होते ही नहीं है।

जब यहाँ अत्यंत भयंकर गर्मी पड़ती है तो लोग बड़ी उत्सकता से वर्षा के आगमन का स्वागत करते हैं। लोग बरसात में नहाना बहुत पसंद करते है।  जैसे ही वर्षा की बुँदे धरती को स्पर्श करते है तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने अमृत को धरती पर बरसाकर सबकी अतृप्त तृष्णा को तृप्त कर दिया हो और आग बरसाता सूरज जब बदलो के पीछे जा कर छिप जाता है तो ऐसा लगता है जैसे मौसम और प्रकृति आंख -मिचौनी का खेल खेलकर प्राकृतिक सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे हो।  इस प्रकार का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है और हर किसी की मुख पर मधुर मुस्कान ला देता है। वर्षा ऋतु को देखकर हर कोई अपने बचपन की यादों में खो जाता है।

बारिश में गिरते बर्फ के ओलो के पीछे भाग भाग कर उठाती हूँ ,

कभी अपने दोस्त पर तो कभी उसको चुपके से खा जाती हूँ।

बचपन बीत गया है मेरा पर फिर न जाने को बारिश के आने पर ,

मैं फिर से सब कुछ दोहराती हूँ।

वर्षा का आनंद शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में अत्यंत मनमोहक होता है।  ग्रामीण प्रदेश में लोग वृक्षों के नीचे झूला लगाकर , तालाब में नहाकर , नाना प्रकार के गीत गाकर अपने प्रसन्ता को उजागर करते हैं।  इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में लोग खूब हर्षोल्लास से वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं।

वर्षा ऋतु का समय

वर्षो ऋतु जुलाई के महीने में आरम्भ होती है और सितम्बर महीने के अंत तक चलती रहती है।  वर्षा ऋतु में प्राकृतक दृश्य आपने आभा चारों तरफ बिखेर रहा होता है।  आज भी इंद्रधनुष का सतरंगी रंग हर किसी के हिर्दय को प्रसन्ता से भर देता है।

प्राकृतिक दृश्य

वर्षा के आगमन से चारो तरफ मनमोहक वातावरण होता है।  प्रकृति का ऐसा मोहने वाला दृश्य देखकर लगता है जैसे धरती यौवन का जोड़ा पहन कर अपने प्रियतम से मिलन कर रही हो और नदी का जल कल कल करता हुआ आनंदमय संगीत का अनुभव कराता है और मोर भी अपने पंखो को फैलाकर वर्षा का आंनद लेता हुआ प्रतीत होता है।

पक्षियों कलरव ध्वनि करते हुए प्प्रकृति में संगीत भर देते है और पहाडोसी गरते जहरनो में भी मधुर राग सुनाये देता है।  मिटटी की खुशबु मन को आंनद प्रदान करती है. ऐसा लगता है जैसे प्रकृति प्रेम का गीत गए रहे हो और अपने प्रियतम से मिलकर अपनी ख़ुशी का प्रदर्शन कर रही हो।

प्रियतम की याद दिलाता और प्रेम मेरा उमड़ जाता है ,

उसकी यादों में मन मेरा घुमड़-घुमड़ जाता है।

सूनापन मन का सारा जाने कहा जाता है ,

मन मयूर मेरा गाने लग जाता है।

वर्षा ऋतु का लाभ

वर्षा ऋतु का इंतजार जैसे एक आम इंसान को होता ऐसे ही किसान,खेत-खलिहान , जीव-जंतु भी इस ऋतु का बहुत ही उत्सकता से इन्तजार करते हैं।

किसानो को लाभ

वर्षा ऋतु किसानो के लिए वरदान है।  इसका कारण यह है हमारे देश में अधिकांश सिचाई वर्षा के जल से की जाती है।  यदि किसी वर्ष वर्षा न हो तो किसानो को अत्यधिक नुक्सान होता है। इसलिए किसान वर्षा ऋतु के आने पर अत्यंत खुश होता है। यदि किसी वर्ष वर्षा नहीं होती तो फसल के पैदावार काम हो जाती है और किसान को अपने लिए हुए कर्ज को चुकाने के लिए या तो उसे उस फसल को ऊँचेदामों पर या फिर कम दाम पर भी बेचना पड़ता है ताकि कर्ज के कीमत निकल सके और वह अपना और अपने परिवार का जीवन निर्वाह कर सके।

जल का मुख्यः स्त्रोत

वर्षा का जल भारत में जल का अहम स्त्रोत माना जाता है।  वर्षा के आगमन से जल को प्राप्त करने के अन्य स्त्रोत नदी , तालाब ,कुँए  फिर से भर जाते है और पेय जल की आपूर्ति करने में मदद करते हैं।

जीवजंतुओं व पेड़ पौधों को लाभ

वर्षा का जल जिस प्रकार मानव जाति के लिए अमृत का काम करता है ऐसे ही जीव-जंतुओं के लिए भी यह अहम् भूमिका निभाता है।  वर्षा के जल से पेड़ पौधे फिर से खिल उठते है और पशुओं के लिए हरी घास भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाती है। वर्षा के जल से पड़ो की टहनियाँ व पत्ते फिर से हरे भरे हो जाते हैं।

हानियाँ :- जैसे वर्षा का जल बहुत लाभ देता है वहाँ  उससे कुछ हानियाँ भी है।

किसान को हानि

वर्षा के जरुरत से अधिक होने पर वह बाढ़ का रूप ले लेती है और किसान की सारी मेहनत बेकार हो  जाती है और उसकी सारी फसल भी ख़राब हो जाती है।  इसके साथ साथ किसान कर्जे के बोझ से कई बार आत्महत्या भी कर लेता है। इस तरह वर्षा ऋतु कभी कभी सुहद न होकर एक रुदन का विषय भी बन जाता है।

संक्रमक बीमारियों का प्रकोप

वर्षा के जल में अनेक प्रकार के विषैले कण होते है जिसके कारण अनेक संक्रामक बीमारियाँ फैलती है जैसे टाईफाइड , पेचिश , डायरिया , पाचनतंत्र से सम्बंधित बीमारियाँ व मच्छरों का प्रकोप आदि।

दिनचर्या पर प्रभाव

वर्षा के आने से कई जगहों पर कीचड़ हो जाती  है जिससे रोज आने-जाने वालों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है और यातायात के साधनो का भी इस पर बुरा असर पड़ता है।  यातायात के साधन ज़ाम हो जाते है और कभी कभी रुक भी जाते है। यदि वर्षा भी जरुरत से ज्यादा हो जाए तो यहाँ एक भारी विपदा का रूप ले लेती है जिसके कारण कई गाँव डूब  जाते हैं और फसल में कीड़ा भी लग जाता है , आयात -निर्यात पर भी बुरा असर पड़ता है और जीवन कभी कभी तहस-नहस हो जाता है।

सावधानियाँ

बरसात के मौसम में थोड़ी सावधानियाँ भी बरतनी चिहिए जैसे बरसात के पानी को इकठ्ठा नहीं होने देना चाहिए।  इसका कारण यह है एक जगह जमा हुआ जल मच्छरों को पैदा करता है जिसके कारण ही हमारा शरीर अनेक बीमारियों का शिकार हो जाता है।

निष्कर्ष

वर्षा का मौसम व ऋतु हर किसी का मन मोह लेती है।  यह मौसम न केवल मानव जाति अपितु समस्त जातियों को आंनद से भर देता है।  यही कारण है वर्षा ऋतु सभी को प्रिये होती है।