साइकोलॉजिस्ट कैसे बने? योग्यता, पढ़ाई पूरी जानकारी

साइकोलॉजी वास्तव में मानव व्यवहार का अध्ययन है , जैसे -एक व्यक्ति कैसे सोचता है , उसका व्यव्हार अजनबियों  के साथ कैसा है आदि। साइकोलॉजी अथवा मनोविज्ञान का जन्म सबसे पहले जर्मनी में हुआ , उसके बाद धीरे-धीरे यह सयुक्त राज्य अमेरिका में इसका क्षेत्र विकसित हुआ , और इसके पश्चात् धीरे-धीरे इस क्षेत्र ने भारत में भी अपनी जगह बना ली।

आजकल का जीवन इतना अधिक बेचिदा होता चला जा रहा है , मनुष्य को अपनी दैनिक अवश्यकताओं को भी पूरा करने के लिए अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।  कभी-कभी आवश्यकताओं को पूरा करते-करते मानव अनेक प्रकार की चिंताओं से घिर जाता है जिसके कारण वह तनाव अनुभव करता है और यह तनाव कभी-कभी इतना हावी हो जाता है कि उसके सोचने-समझने की शक्ति को भी क्षीण कर देता है। इस तनाव के कारण व्यक्ति सिर्र दर्द, थकान का अनुभव करता है।  अपने इस तनाव को दूर करने के लिए ही मानव को एक साइकोलॉजिस्ट की आवश्यकता होती है।

साइकोलॉजिस्ट कैसे बने? (Psychologist Kaise Bane)

साइकोलॉजिस्ट एक ऐसा व्यक्ति होता है जो आपका इलाज बिना किसी दवाई के करता है , वह आपके तनाव को दूर करने के लिए आपकी सोच में परिवर्तन करने का अभ्यास करता है ताकि आपका मस्तिष्क तनाव मुक्त हो आप हल्का महसूस करें और एक नई ऊर्जा और नई उमंग के साथ जीवन को बेहतर तरीके से निर्वाह करें।

साइकोलॉजिस्ट कौन होता है :-  साइकोलॉजिस्ट  को हिंदी में मनोचिक्त्सक कहा जाता है , एक मनोचिक्त्सक आपके मन में चल रहे विचारो को जानने का प्रयास करता है , उन विचारों के आधार पर ही आपका इलाज करता है।

साइकॉलोजी की  पढ़ाई आपको बारवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही करनी पड़ेगी।  यदि आप मनोविज्ञान में रूचि रखते है तो आप इसे अपना carrier भी बना सकते है।  बारवीं चाहे आपने किसी भी विषय में की हो आप साइकॉलोजी  की पढ़ाई फिर भी कर सकते हैं। जब आप साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन करते है तो आपको मनोविज्ञान से सम्बंधित सभी विषयो का अध्ययन करना पड़ता है जैसे-

साइकोलॉजी की पढ़ाई

साइकोलॉजी के पढ़ाई कहा तक और कितने वर्ष तक की है  , हर पढ़ाई का स्तर होता है नीचे बताया गया है :-

  • साइकोलॉजी मेंA . (Bachelor Of Arts)- 3 वर्ष
  • साइकोलॉजी मेंA . (Master of Arts)- 2 वर्ष
  • साइकोलॉजी में G . (Post Graduate)- 2 वर्ष
  • साइकोलॉजी मेंSC (Bachelor of Science)- 3 वर्ष
  • साइकोलॉजी मेंSC (Master of Science)- 2 वर्ष

स्नातक या ग्रेजुएशन की परीक्षा तीन वर्षो के होती है जिसमे आप केवल विषयो से सम्बंधित  थियोरी पड़ते है। साइकोलॉजी में  ग्रेजुएशन की  पढ़ाई के लिए निम्न कॉलेज प्रसिद्ध है

  • दिल्ली विश्वविद्यालय , अम्बेडकर विश्वविद्यालय , जामिया मिल्लिया इस्लामिया (New Delhi से ) , पंजाब यूनिवर्सिटी (चंडीगढ़ से ) , बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी) , अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय , क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (बैंगलोर से ), गुरु नानक देव विश्वविद्यालय जोकि अमृतसर में है, आप मनोचिकत्स्क अथवा  साइकॉलोजी की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।

साइकोलॉजी में अपना करियर बनाने के लिए केवल स्नातक तक की यानि की केवल ग्रेजुएशन की डिग्री करना ही काफी नहीं है , इसके विज्ञान को और अधिक समझने के लिए आपको पोस्ट ग्रेजुएट होना जरुरी है तभी आप एक अच्छे मनोचिक्त्सक बन सकते है। जैसे जैसे आप अधिक पड़ेंगे , आपके ज्ञान का विस्तार होगा और आप अपने विषय में माहिर हो सकेंगे।  साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए प्रसिद्ध कॉलेज हैं :-

  • दिल्ली विश्वविद्यालय , अम्बेडकर विश्वविद्यालय , जामिया मिल्लिया इस्लामिया (New Delhi से ) , पंजाब यूनिवर्सिटी (चंडीगढ़ से ) , बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी) , अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय , क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (बैंगलोर से ) , गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय से आप मनोचिकत्स्क अथवा  साइकॉलोजी की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।

विशेषताएं

एक साइकोलोजिस्ट में कुछ गुणों का होना बहुत जरुरी है , इसका कारण यह है कि लोग उसके पास जिस इलाज की लिए आ रहे है , उसके लिए पहले उसे तनावमुक्त होना अनिवार्य है। उसमे निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है :-

  • उसे नम्र स्वभाव का होना चाहिए।
  • वह अपने विषय का ज्ञाता होना चाहिए।
  • उसका स्वभाव केयरिंग और सेंसिटिव अथवा भावुक होना चाहिए।
  • उसमे अपने कार्य के प्रति लगन और विश्वास होना चाहिए।
  • उसका हिर्दय विशाल होना चाहिए , ताकि वह पीड़ित व्यक्ति की व्यथा और और दर्द को महसूस कर सकें।
  • उसका वार्तालाप करने का तरीका प्रभावी होना चाहिए

योग्यता

साइकोलॉजी करने के लिए आपके बारवीं कक्षा में 50% अंको का होना अनिवार्य है। और यदि आप पोस्ट ग्रेजुएशन साइकॉलजी में  कर रहे हैं तो आपके ग्रेजुएशन में 55% अंको का होना अनिवार्य है। यदि आप ऍम फिल या पी.एच्.डी. भी साइकोलॉजी में करना चाहते हैं तो पोस्ट ग्रेजुएशन आपकी 55% अंको से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।

नौकरी

साइकोलॉजी एक ऐसा विषय बन गया जिसकी जरुरत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है , क्योंकि आज हर कोई  तनाव से घिरा हुआ है और उसी तनाव को काम करने के लिए लोग साइकाइट्रिस्ट या साइकोलॉजिस्ट से संपर्क स्थापित करते हैं ताकि वे अपनी चिंताओं से मुक्त हो सके या अपने तनाव का कारण जानकर उसका निवारण कर सकें। एक साइकोलॉजिस्ट को अब कही भी नौकरी मिल सकती है , वह एक सरकारी अस्पताल में , एक शिक्षण संस्थान में , एक प्राइवेट कंपनी में या सरकारी कंपनी में या किसी भी NGO में नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है। एक साइकोलॉजिस्ट अपना खुद का भी क्लिनिक खोल सकता है। साइकोलॉजी में रोज़गार की कमी नहीं है।  एक साइकोलॉजिस्ट को सरकारी संस्थानों में, प्राइवेट अस्पतालों में , शिक्षण संस्थानों में , रिसर्च संस्थानों में या खेल-कूद से सम्बंधित संस्थानों में नौकरी आसानी से मिल जाती है।

वेतन

प्राम्भ में एक साइकोलॉजिस्ट का वेतन कम ही होता है , धीरे-धीरे इसके वेतन में बड़ोत्तरी होती रहती है। इनका वेतन 2 लाख से लेकर 8 से 09 लाख के बीच हो सकता है और अधिक विषय के ज्ञाता होने के बाद इनकी फीस बढ़ने से इनका वेतन भी बढ़ जाता है।

साइकोलॉजिस्ट के प्रकार :- साइकोलॉजिस्ट भी कई प्रकार के होते है , जिसमें से कुछ का वर्णन इस प्रकार है :-

क्लीनिकल साइकॉलोजिस्ट

इस प्रकार के लॉजिस्ट मनोविज्ञान से सम्बन्घित सम्सयाओं का समाधान व उपचार करते हैं। ये उन लोगो का उपचार करते है जो किसी मानसिक पीड़ा का शिकार है और उस मानसिक दुःख अथवा पीड़ा के कारण अपना जीवन सही से निर्वाह नहीं कर पा रहें हैं।

सलाहकार  मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकर के लॉजिस्ट आपको किसी शिक्षण संस्थान में या किसी स्वास्थय केन्द्रो में मिल सकते हैं।  ये मनोविज्ञान से सम्बंधित उन समस्याओं पर अपना परामर्श पीड़ित व्यक्ति को देते है जिनकी समस्याएं ज्यादा गंभीर नहीं होती हैं।  आजकल स्कूलों में इस प्रकार के साइकोलॉजिस्ट नियुक्त किये जाते हैं ताकि वे बच्चों से उनके न पड़ने के वजह या किस विषय में वे बहुत अच्छे  है उसको जानने का प्रयास करना आदि कार्य करते हैं ताकि बच्चों का मूल्यांकन किया जा सके और वो जीवन में एक सही दिशा और पथ का चयन करके अग्रसर हो सकें। इन्हे counselor भी कहा जाता है।

स्पोर्ट्स मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकार के मनोवज्ञानिक बड़े बड़े खेल प्रतियोगिताओं में नियुक्त किये जाते हैं ताकि वे मनोविज्ञानिक तरीके से खिलाड़ियों का हौसला बड़ा सके और उनमे किसी भी प्रकार की आने वाली हीन भावना को दूर करने में उनकी मदद कर सकें।

चिल्ड्रन मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकार के साइकोलॉजिस्ट बच्चों से जुड़े मनोवज्ञान का इलाज करते हैं जैसे बच्चों में चिड़चिड़ापन , बहुत ज्यादा शरारती होना , बहुत चुप रहना , या किसी बच्चे का हमेशा डरे रहना।

ओर्गनइजेशन मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकार के मनोवज्ञानिक बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।  इनका कार्य कंपनी में कार्य करने वाले कर्मचारियों की समस्याओं को समझने के लिए नियुक्त किया जाता है , इसके कारण कर्मचारी और कंपनी के मालिक के बीच मधुर सम्बन्ध स्थापित होते हैं। इनका वेतन कम से कम 35000 से शुरू होता है।

फोरेंसिक मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकार के मनोवज्ञानिक आपराधिक मामलों से जुड़े व्यक्ति की मनोदशा को जानने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार के मनोवैज्ञानिक यह जानने का प्रयास करते हैं की वास्तव में अपराधी ने किस कारण से अपराध को अपने जीवन का हिस्सा बनाया और वह व्यक्ति किस प्रकार इन हीन भावनाओं का शिकार हुआ।  जैसे एक बालक जोकि एक बच्चा है , जिसका मस्तिष्क अच्छा-बुरा नहीं पहचानता , वह कैसे अपराधिक मामलों का शिकार हुआ , कैसे उसने इस मार्ग पर चलने लगा।

संज्ञात्मक मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

इस प्रकार के मनोवैज्ञानिक हमारी मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करते हैं जैसे हमारा स्मृति ज्ञान , हमारा ध्यान , निर्णय लेने का तरीका , समस्याओं को सुलझाने का तरीका आदि का अध्ययन इसमें शामिल है

न्यूरो मनोवज्ञानिक अथवा साइकोलॉजिस्ट

यह एक ऐसा मनोवज्ञान है जोकि अध्ययन करता है कि हमारा मस्तिष्क किस प्रकार सोचता है और उस सोच के आधार पर किस प्रकार व्यवहार करता है। इसे तंत्रिका मनोवज्ञान कहते हैं।