गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

गणतंत्र दिवस मनाने की शुरुआत 26 जनवरी 1950 से हुई थी। जब भारत में “भारत सरकार अधिनियम” के स्थान पर भारत के संविधान को लागू किया, वास्तव में यह वो दिन है जब भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई। इसके साथ ही यह दिन भारत के तीन राष्ट्रीय पर्वों में से भी एक है। आप ऐसी कविताओं का उपयोग गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कर सकते हैं। ये कवितायेँ न सिर्फ शहीदों और अपने देश की गणतंत्रता की मान बढ़ाती है। बल्कि सुनने वाले और कविता को पढ़ने वाले दोनों व्यक्ति के मन में नई ऊर्जा और हर्षोउल्लास पैदा करदेती है, जिसे श्रोता और वक्ता दोनों का हृदय प्रफुल्लित हो उठता है।

कविता 1: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“देश का गौरव – गणतंत्रोत्सव”

हम आजादी के मतवाले,

झूमे सीना ताने।

हर साल मनाते उत्सव,

गणतंत्र का महजब़ जाने।

संविधान की भाषा बोले,

रग-रग में कर्तव्य घोले।

गुलामी की बेड़ियों को,

जब रावी-तट पर तोड़ा था।

उसी अवसर पर तो,

हमनें संविधान से नाता जोड़ा था।

हर साल हम उसी अवसर पर,

गणतंत्र उत्सव मनाते हैं।।

पूरा भारत झूमता रहता है,

और हम नाचते-गाते हैं।

राससीना की पहाड़ी से,

शेर-ए-भारत बिगुल बजाता है।

अपने शहीदों को करके याद,

पुनः शक्ति पा जाता है।।

कविता 2: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“आओ तिरंगा फहराये”

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;

अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;

देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।

26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,

भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,

मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,

थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,

था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।

विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,

पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।

इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,

थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,

अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

कविता 3: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“देखो 26 जनवरी आयी”

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।

अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,

लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।

नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,

अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,

2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,

आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,

संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,

लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,

गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।

कविता 4: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“गणतंत्र भारत का निर्माण”

हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी,

दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।।

है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना;

न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,

एक तरफ विदेशी हमलों की मार,

दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,

पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,

विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,

एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,

छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस।

1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,

जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,

जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,

देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,

जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,

उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,

हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,

मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,

अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी|

उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था,

अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था,

फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला,

एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला,

वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे,

अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे,

ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था,

अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था|

खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा,

1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना,

लाला लाजपत राय, तिलक और विपिन चन्द्र पाल,

घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता,

इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था,

उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी माँगों को मनवाया था|

सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था,

कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था,

दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था,

बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे,

क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था,

अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था,

तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था|

एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर,

न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर,

निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने,

निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने,

देश प्रेम में डूबे वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थे,

वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे|

उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है,

कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है,

आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने,

हिन्दू, मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े,

जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, ये देश में फैली बुराई है,

जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है

अपनी कमियों को छिपाने को देश को भरमाया है,

जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है|

अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का,

सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का,

यदि फसे रहे जातिवाद में, तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में,

अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें,

समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे,

भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये,

इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।।

कविता 5: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“गणतंत्र की प्रतिज्ञा”

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,

जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।

इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,

इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।

इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,

गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।

गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,

जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।

इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,

चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।

क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,

तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।

तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,

मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

कविता 6: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“गणतंत्र दिवस आ गया”

देखो फिर से गणतंत्र दिवस आ गया,

जो आते ही हमारे दिलों-दिमाग पर छा गया।

यह है हमारे देश का राष्ट्रीय त्योहार,

इसलिए तो सब करते हैं इससे प्यार।

इस अवसर का हमें रहता विशेष इंतजार,

क्योंकि इस दिन मिला हमें गणतंत्र का उपहार।

आओ लोगो तक गणतंत्र दिवस का संदेश पहुचाएं,

लोगो को गणतंत्र का महत्व समझाये।

गणतंत्र द्वारा भारत में हुआ नया सवेरा,

इसके पहले तक था देश में तानाशाही का अंधेरा।

क्योंकि बिना गणतंत्र देश में आ जाती है तानाशाही,

नही मिलता कोई अधिकार वादे होते हैं हवा-हवाई।

तो आओ अब इसका और ना करें इंतजार,

साथ मिलकर मनाये गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्योहार।

कविता 7: गणतंत्र दिवस पर कविता – Poems on Republic Day in Hindi

“क्यों मनाते हम गणतंत्र दिवस”

क्या तुम्हें पता है 26 जनवरी, भारत में पहली बार कब मना था।

क्या तुम्हें ज्ञात है इसका इतिहास, कितना गौरवशाली था।

क्या जानते हो अपने पूर्वजों को, जिन्होंने आजादी के लिए जंग लड़े।

क्या तुम्हें पता है अपना संविधान, जिसमें तुम्हारे अधिकार लिखे हैं।

आओ बताती हूं मैं सब को, क्यों गणतंत्र दिवस हम मनाते हैं।

क्यों 26 जनवरी को हर वर्ष, हम तिरंगा लहराते हैं।

बहुत पुराना है इसका इतिहास, जब 1930 में नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

फिर उन्होंने 26 जनवरी को आजादी, के उत्सव का ऐलान किया।

ब्रिटिश सरकार की तानाशाही ने, इसको न स्वीकार किया।

अधूरा रह गया वह ख्वाब, जिसका नेहरू जी को बहुत अफसोस हुआ।

फिर कुछ वर्ष बीत गये, जब 1947 में हमें आजादी मिली।

फिर जरूरत पड़ी अपने संविधान की, जिसे बनाने में लगभग 3 वर्ष लगे।

26 नवंबर का वह शुभ दिन था, जब संविधान बन कर तैयार हुआ।

और लोगों में इसे पाने के लिए, उत्सव का माहौल भी था।

26 जनवरी 1950 को हमने, पहला गणतंत्र दिवस मनाने का ऐलान किया।

और नेहरू जी के अधूरे स्वप्न को, सब ने मिलकर साकार किया।

आजादी तो पहले ही मिल चुकी थी, पर हमारे पास न कोई अधिकार थे।

संविधान का उपहार हमें मिला था, इसी वजह से ये दिन खास हुआ।

इसी लिये हम हर वर्ष, अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

तिरंगे को लहराकर हम सब, अपनी खुशी दर्शाते हैं।

और देश प्रेम की भावना से हम भारतवासी भर जाते हैं।