प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के बारे में पूरी जानकारी

प्रकृति ने हम इस धरती पर रहने वाले जीव जंतुओं के जीवनयापन के लिए पर्याप्त रूप साधन दिए हैं किन्तु मनुष्य अपने लालच के वशीभूत होकर प्रकृति से छेड़छाड़ करता रहता है जिसके परिणामस्वरूप जब प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है तो भारी आपदाओं का सामना करना पड़ता है । जिम्मेदार बहुत कम लोग होते है.

प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस – International Day For Natural Disaster Reduction In Hindi

प्रकृति से छेड़छाड़ करने में किन्तु परिणाम वहाँ निवास कर रहे लाखों लोगों तथा निर्दोष जीव जंतुओं पर पड़ता। है। प्राकृतिक आपदाओं के आने में ज्यादा समय नहीं लगता किन्तु प्राकृतिक आपदा से होने वाली हानि की भरपाई होने में वर्षों लग जाते हैं। बढ़ती जनसँख्या के साथ साथ बढ़ती आवश्यकताओं के लिए मनुष्य प्रकृति पर निर्भर रहता है फिर चाहे मकान बनाने के लिए लकड़ियों की आवश्यकता हो या फसल उगाने के लिए धरती की।

अपनी आवश्यकताओं तथा अधिक लाभ अर्जित करने के लिए मनुष्यों ने जंगलों की भी कटाई शुरू कर दी। इसी प्रकार फसलों से अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने हेतु लिए मनुष्यों ने खेतों में विभिन्न प्रकार के उर्वरक डाल कर मृदा की उर्वरक क्षमता को काफी कम कर दिया है। अत्यधिक बारिश, बाढ़ या भूस्खलन जैसी समस्याएँ  भी वृक्षों की अत्यधिक मात्रा में कटाई के कारण होती है,

मनुष्यों द्वारा किये जाने वाले इस प्रकार के कार्यों से प्रकृति का संतुलन सामान्य नहीं रह पाता जिसके फलस्वरूप बारिश, बाढ़ या भूस्खलन , के अलावा सुनामी, ज्वालामुखी, हिमस्खलन, सूखा पड़ना इत्यादि जैसी समस्याएं भी आती रहती हैं। लोगों में प्रकृति के संरक्षण तथा अपने प्रयासों से अधिक से अधिक प्रकृति का संतुलन बना के रखने हेतु जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 13 अक्टूबर को प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है जिसमे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों उदाहरणस्वरूप वृक्षा रोपण ,जल संचय , उर्वरक का कम से कम इस्तेमाल इत्यादि द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है।

कब से आरम्भ हुआ ?

प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष १९८९ से हुई थी । संयुक्त राष्ट्र महासभा के सर्वप्रथम इसे  अक्टूबर महीने के दूसरे बुधवार को मनाने का निर्णय लिया था किन्तु २१ दिसंबर २००९ के बाद से  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे प्रत्येक वर्ष  १३ अक्टूबर को मनाने का फैसला दिया और तभी से प्रत्येक वर्ष यह दिवस १३ अक्टूबर को मनाया जाने लगा जिसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए लोगों की यथासंभव मदद कर के उनके जीवन को सामान्य बनाने के लिए अपना सहयोग देना था।

मुख्य उद्देश्य

प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को  प्राकृतिक आपदा से बचने तथा ऐसे मुश्किल समय से लड़ने की ताक़त के लिए जागरूकता को जगाना था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों में जागरूकता को बढ़ाया जाता है , उदाहरणस्वरूप :

  • वृक्षारोपण कर के प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने का प्रयास
  • विभिन्न प्रकार के मंच तथा कार्यक्रमों का आयोजन कर के लोगों को पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने के लिए प्रेरित करना
  • स्कूलों में शिक्षा के माध्यम से बच्चों में पर्यावरण की रक्षा हेतु जागरूकता बढ़ाना
  • प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्राकृतिक आपदाओं द्वारा होने वाले जोखिम में कमी लाने के लिए जागरूकता विकसित करने के उपाय बताना तथा इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना
  • मृदा की उर्वरक क्षमता को नष्ट होने से बचाने के लिए हानिकारक उर्वरक का इस्तेमाल ना करने के लिए जागरूक करना
  • जल संचयन के साथ साथ अनावश्यक उपयोग न करने हेतु प्रेरित करना तथा उपाय बताना
  • ऑनलाइन मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से इस जागरूकता को बढ़ाया जाता है

इसी तरह अनेक उपायों द्वारा वैश्विक स्तर पर लोगों में इस दिवस को मनाने की जागरूकता को बढ़ाया जाता है।  मनुष्यों के अलावा अन्य जीव जंतु भी प्रकृति पर निर्भर रहते है किन्तु प्राकृतिक आपदाओं से न सिर्फ मनुष्य अपितु अन्य जीव जंतुओं का भी जीवन प्रभावित होता है।

वैश्विक जागरूकता

प्राकृतिक आपदा कभी भी पूर्वविदित नहीं होती किन्तु बढ़ते आधुनिकता तथा आधुनिक सयंत्रों के प्रयोग द्वारा वैश्विक स्तर वैज्ञानिक यह पता लगा लेने में सक्षम रहते हैं की प्रकतिकी अपना रूख बदल रही है जिसके कारण आपदा आने से पहले चेतावनी मिल जाती है। इन प्रयासों के फलस्वरूप हम प्राकृतिक आपदा को रोक तो नहीं सकते किन्तु इन चेतावनियों के माध्यम से होने वाली हानियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। शिक्षा के बढ़ते प्रभाव के कारण अब आम जनता में भी यह जागरूकता बढ़ी है।

इसके साथ ही सरकार द्वारा सही समय पर चलाये जाने वाले उपक्रमों की मदद से प्राकृतिक आपदा से होने वाली जन हानि से भी बचाव हो जाता है।  आपदा आने के बाद का सबसे महत्वपूर्व कार्य होता है बचाव कार्य जिसमे सरकार के साथ साथ स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आते हैं और सबके मिले जुले प्रयासों से जन जीवन को सामान्य करने की जद्दोजहद एक सकारात्मक रूप ले लेती है।  लोगों में बढ़ती जागरूकता द्वारा ही इस संकट की घडी से बहार आया जा सकता है साथ ही साथ लोगों को  प्रकृति संरक्षण के प्रति भी जागरूक होना पड़ेगा जिस वजह से भविष्य में होने वाली आपदा का खतरा कुछ काम हो जाये , क्यूंकि जागरूकता ही आपदा से बचाव है।

उपसंहार

प्रकृति ने इस विश्व में प्रत्येक मनुष्य जीव जंतु , पेड़ पौधे इत्यादि की संरचना इस प्रकार की है कि इनका दुरूपयोग प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। प्रत्येक जीव का अस्तित्व यहाँ किसी न किसी उपक्रम के लिए तथा प्रकृति के संतुलन को बना के रखने के लिए हुआ है । किन्तु कभी यह संतुलन बिगड़ जाता है तो प्राकृतिक आपदा जैसे संकट से हमे जूझना पड़ता है। हमारी जागरूकता ही हमें आपदा से बचाने में हमारी मदद कर सकती है अतः प्रत्येक वर्ष 13 अक्टूबर को मनाये जाने वाले प्राकृतिक आपदा निवारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के माध्यम से लोगों में इस जागरूकता को बढ़ने का प्रयास किया जाता है। अगर आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ वर्षों में लोगों में बढ़ी जागरूकता से आपदा के कारण होने वाली में कमी आयी है तथा जन जीवन कम प्रभावित हुआ है ।