राष्ट्रीय किसान दिवस – National Farmers Day in Hindi

भारतवर्ष एक कृषि प्रधान राष्ट्र है ।  हमारे देश की लगभग 70% आबादी आज भी गांवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है।  एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है जो गांवों में निवास करते हैं।

राष्ट्रीय किसान दिवस – National Farmers Day in Hindi

किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए हैं। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है।  किसान की कृषि ही शक्ति  है और यही उसकी भक्ति है|  गांधी जी ने अनेक बार भारतीयों का इस ओर ध्यान आकर्षित किया।  उनका कहना था, भारत की संस्कृति कृषक संस्कृति है गांवों में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं ,

यह किसान नगर वासियों के अन्नदाता है सृष्टि पालक है। वर्तमान संदर्भ में हमारे देश में किसान आधुनिक विष्णु  है।  वह देश भर को अन्न, फल, साग सब्जी आते दे रहा है लेकिन बदले में उसे उसका पारिश्रमिक तक नहीं मिल पा रहा है। भारत में प्रत्येक वर्ष २३ दिसंबर को किसानों के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मना के लोगों में किसानों के विकास के लिए जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

राष्ट्रीय किसान दिवस का आरम्भ

आज़ाद भारतवर्ष के 5वें प्रधानमंत्री तथा किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस 23 दिसंबर को भारत सरकार ने सन 2001 में राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। इस दिवस को पूरे देश में हर्सोल्लास तथा बड़े धूमधाम से  मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्क्रमों का आयोजा करके कृषि के ऊपर वाद विवाद कार्यक्रम , मंचीय कार्यक्रम, सेमिनार इत्यादि किये जाते हैं। चौधरी चरण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 23 दिसंबर सन 1902 को हुआ था।

वे आज़ाद भारत के ५वें प्रधानमंत्री के रूप में चयनित हुए थे। उन्हें किसानों से बेहद लगाव था तथा उन्होंने उनके हिट में अनेक कार्य किये।  सन 1952 में उन्होंने  ”जमींदारी उन्मूलन विधेयक” पारित करवाया। लेखपाल भर्ती में उन्होंने ही 18 प्रतिशत स्थान हरिजनों के लिए आरक्षित करवाया।  सन 1954 में उन्होंने उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित करवाया ।

किसान दिवस ऐसे महान व्यक्तिव्य को श्रद्धांजली देकर मनाया जाता है। वर्ष 1952 चौधरी चरण सिंह के द्वारा किये गए प्रयासों  के कारण ही ‘‘जमींदारी उन्मूलन विधेयक”  पारित हो सका।

इसी विधेयक के द्वारा वर्षों से खेतों में मेहनत करने वाले किसानों को खुशहाल होने का मौका दिया। चौधरी चरण सिंह के निरंतर प्रयासरत एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही प्रदेश के 27000 पटवारियों के द्वारा दिए त्यागपत्र को स्वीकार करने  तथा  ‘लेखपाल‘ पद का आरम्भ कर उनकी नई भर्ती करके किसानों को पटवारियों के अत्याचारों से मुक्ति मिल पायी । चौधरी चरण सिंह ने ही हरिजनों के लिए  लेखपाल भर्ती में 18 प्रतिशत स्थान आरक्षित करवाया था।

चौधरी चरण सिंह ने अपनी जन्मभूमि उत्तर प्रदेश में भ्रमण करके कृषकों को होने वाली समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया।  उनके हिट में ही उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित करवाया। ऐसे ही उनके द्वारा किये जाने वाले विभिन्न उपक्रमों के कारण ही किसान उन्हें अपना मसीहा मानते थे। चौधरी चरण सिंह ने सन 1979 में वित्त मंत्री तथा उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए 28 जुलाई 1979 को राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की।

राष्ट्र की प्रगति में किसानों का महत्त्व

जब तक भारत का किसान संपन्न नहीं होगा, भारत वास्तव में प्रगति नहीं कर पायेगा।  उन्ही के द्वारा की गयी मेहनत से ही देश अपने खाद्यानो को खुशहाल कर सकता है।  देश के आज़ाद होने के पश्चात् अनेक राजनेताओं ने किसान हिट में कार्य किया किन्तु चौधरी चरण सिंह का कार्य हमेशा सराहनीय रहा। वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भारत के अधिकांश किसान सुविधाओं से मरहरूम हैं।

वह अन्नदाता स्वयं भूखा रह जाता है।  जितना प्रयास औद्योगिक प्रगति की ओर दिया गया उसी अनुपात में कृषि और कृषक की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया।  किन्तु वर्तमान समय में कुछ गावों ने आत्मनिर्भर होकर अपने आवश्यकताओं को पूरा करने का जिम्मा स्वयं उठाया है , इसमें महिलाएं भी पूरा पूरा सहयोग दे रही हैं।

राष्ट्रीय किसान दिवस मनाने का उद्देश्य

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानो की भलाई के लिए किये गए प्रयास हैं।  स्वतंत्रता के बाद किये गए प्रयासों से जमींदारों के शोषण से तो उसे मुक्ति मिल ही चुकी है परंतु फिर भी वह आज भी पूर्ण रूप से सुखी नहीं है।

हालाँकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद किसानों के जीवन में कुछ खुशियां लौटी हैं| सरकार ने किसानों की ओर ध्यान देना शुरू किया है उनके अभावों को कम करने के प्रयास में कई योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही है| किसानों को समय-समय पर गांव में ही कार्यशाला आयोजित कर कृषि विशेषज्ञों द्वारा कृषि क्षेत्र में हुए नए अनुसंधानो  की जानकारी दी जा रही है।

इसके अलावा इसके अलावा उन्हें रियायती दर पर उच्च स्तर के बीज, आधुनिक कृषि यंत्र खाद आदि उपलब्ध कराए जा रहे है। उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के व व्यवसायिक खेती करने के लिए सरकार की ओर से बहुत कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है|  इन सब कारणों के चलते किसान के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक सुदृढ़ हुई है|

उपसंहार

पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने सर्वाधिक आत्महत्या की।  यद्यपि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने किसान हितैषी अनेक योजनाएं तथा ऋण लेने में आसानी, क्रेडिट कार्ड ब्याज दरों में कमी की घोषणा की है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।

किन्तु यह भी देखा जा सकता है की वर्तमान समय के किसान जागरूक होने लगे हैं तथा उन्नत फसल के लिए उन्नत किस्म के बीज डालना , उचित उर्वरक का इस्तेमाल इत्यादि संसाधनों से लाभदायक खेती कर रहे हैं।  साथ ही साथ सरकार द्वारा मिलने वाले लाभों से देश में किसानों की स्थिति में सुधार आया है।