मार्टिन लुथर किंग की जीवनी – Martin Luther King in Hindi

मार्टिन लूथर एक महान विचारक  तथा एक महान समाज सेवक थे , उन्होंने देश के प्रति काफी हितकारी कार्य किए जिनकी वज़ह से ये देश आज भी इनके महान कार्य को याद करता है ।

मार्टिन लूथर का जन्म 1929 में जर्मनी में एक संभ्रांत के निर्गो परिवार में हुआ था , इनके पिता एक लोहे के  व्यपारी थे , इनके 7 भाई थे ,  लेकिन ये अपने भाइयों में सबसे बड़े थे , माता पिता ने इनको काफी अच्छे संस्करों से पाला पोसा था , जिस वजह से ये देश भर में  अपने कार्य से प्रसिद्ध हुए ।

मार्टिन लुथर किंग की जीवनी – Martin Luther King in Hindi

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा 15 वर्ष की आयु में ही पुर्ण हो गई थी , इन्होंने साइकोलॉजी से स्नातक की परीक्षा पुर्ण की  उसके बाद ,वे  मेंडल वर्ग के विद्यालय से धर्म शास्त्र तथा  सामाजिक जीवन के स्तर की विद्या भी ग्रहण की इसके साथ ही साथ इन्होंने बाईबल का पुर्ण रूप से आध्यन किया

जिससे इन्होंने समाज  की होने वाली कुप्रथाओं तथा बुरे कर्मो को नष्ट करने का वचन लिया और समाज से कई सारी कुप्रथाओं का विरोध किया जिससे ये देश के महान सुधारक एवम् महान समाज सेवक बने इनकी कई देश हित कार्यों का  असर समाज पर पड़ा जिससे समाज कई रूढ़ि वादी प्रथा से मुक्त हुआ को इनकी देन है ।

उपलब्धियां

मार्टिन लूथर अपने कार्य के प्रति काफी लगनशील व्यक्ति थे, उन्होंने अपने देश के लिए जितने भी कार्य किए सभी हितकारी थे , मार्टिन लूथर के पिता इन्हे वकील बनाना चाहते थे , परन्तु इसकी कर्म निष्ठा समझ सेवा  तथा धर्म शास्त्र के प्रति थी , इसलिए इन्होंने  धर्म  के सभी नियमों का पालन कर उस राह पर चले , और देश को भी यही उपदेश दिया ।

मार्टिन लूथर ने जब साधु संघ को अपनाया तो उन्हें कई सारी कठिनाइयो का सामना करना पड़ा कई यातनाएं भी साहनी पड़ी , उन्हें पूरी रात ठंडे में बिना किसी कारण वश सुलाया गया , तथा उनकी परिक्षा के जिसने उनकी धर्म निष्ठा की परख हो सके ,

उसके बाद उन्होंने वहां से शिक्षा ग्रहण कर  , वे देश में धर्म  शास्त्र की बाते लोगो को बताने लगे ,तथा लोगो को समाज में फैली बुराई से अवगत करवाया , वह अहिंसा वादी थी , देश में शांति का मार्ग अपना कर वह कार्य करने में विश्वास रखते थे ।

वह अपना उपदेश गांव गांव जाकर वहां के गिरजाघरों में दिया करते थे , और लोगो को देश में हो रही कई बुराई से अवगत कराते थे , जिससे लोग उन्हें अपना आदर्श मानने लगे थे ,

वह रूढ़ि वादी प्रथा के खिलाफ थे लोगो को ईश्वर के नाम पर ठगना तथा भ्रम करने जैसी  प्रथाओं से लोगो को दूर रहने कि सलहा भी देते थे , तथा इसके रोकने के लिए , कई प्रयास भी किए , कई लोगो ने इनका विरोध भी किया परन्तु  वह अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए ।

रचनाएं

लूथर जी अपनी रोज की दिनचर्या में से अपने लेखन कार्य को भी समय देते थे, और इन्होंने कई पत्र लेखन , प्रश्नोत्तरी तथा कई पुस्तकें भी लिखी , जिसमें धर्म सम्बन्धी नियमों तरह बातो को बड़े है सरल भाषा में  लिखा है , जिसमें व्यक्ति अपने जीवन में धर्म सम्बन्धी बातो को आसानी से समझ कर उसे अपने जीवन में लागू कर सके कर उस मार्ग पर चल सके जी देश के लिए हितकारी हो । मार्टिन लूथर ने अपने जीवन काल में 30 हजार से भी ज्यादा पत्र लिखे है ।

उपाधि

मार्टिन लूथर जी ने अपना  जीवन देश  हित के कार्यों में दान दे दिया था , वह कड़ी से कड़ी यातनाएं सहने के बाद भी अपने कार्य के प्रति जागरूक थे , कई लोगो  तथा समाज के कुछ उच्च वर्ग के भ्रष्ट लोगो ने उनका विरोध किया तथा  उनके इस कार्यों को सहमति नहीं दी , कई विरोधी दल ने तो मर पिट  तथा दंगे भी करवाए ।

परन्तु  लूथर जी ने धर्म और देश के हित के लिए जो कदम उठाया था , वह उसपर डटे रहे , और देश में व्याप्त बुराई के खिलाफ आन्दोलन करते रहे । उनकी इस कर्मनिष्ठा को देख कर लोगो में उनके प्रति प्रेम तथा आदर की भावना जागने लगी ।

कुछ वर्षों बाद उनके इस कार्य कि लगन तथा देश हित में होने वाले कार्य को देख कर उन्हें सम्मान पूर्वक  जर्मनी के सम्राट ने उन्हें  जर्मनी बुलाया ,  और वहा  वह बटनवर्ग  विश्वविद्यालय  के आचार्य बन गए ।

उन्होंने वहा कई धर्मग्रंथ लिखे तथा कई पुस्कतके भी लिखी , तथा उन्होंने बाईबल को जर्मनी भाषा में अनुवाद किया ।  लूथर के शांति उपदेश तथा आदर्शो और समाज सेवा की भावना तथा कार्य को देखते हुए , उन्हें 1964 में जर्मनी में नॉबेल शांति पुरसकार से सम्मानित किया गया ।

वहा उन्हें 3 लाख रुपए भी दिए गए और जब वह पुरस्कार लेकर अमेरिकी लौटे तो वह उन्हें न्यूयार्क के मेयर  ने स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया , तथा  प्रेसिडेंट जॉनसन  ने उनसे  वाहिट  हाउस में भेट की ।

मृत्यु

देश के महान सुधारक एवम् समाज सेवक लूथर जी ने देश से कुरुतियों तथा बुराइयों को मिटाने का जो बीड़ा उठाया था ,उसमें वह सफल रहे , तथा उनके अच्छे कार्यों के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया ।

परन्तु यह बात उनके विरोधियों के आंख में खटनके लगी जिसके चलते उन दुराचारियों ने , ऐसे महान समाज सेवक तथा देश हितकारी व्यक्ति की 1968 हत्या कर दी ।

उपसंहार

मार्टिन लूथर किंग  एक महान  विचारक तथा समाज सुधारक होने के साथ साथ आहिंशा वादी व्यक्ति थे , उनकी योग्यता तथा ज्ञान की रोशनी पूरे विश्व भर में विख्यात है ।

यह गांधी को अपना आदर्श मानते थे , तथा उनके है बताए अहिंशा के रास्ते पर चल कर इन्होंने समाज से कुरुतियों तथा बुराइयों से लिप्त देश को धर्म की राह  पर चलने तथा समाज में शान्ति बनाए रखने का उपदेश दिया। ऐसे महान विचारक तथा समाज सुधार का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज किया गया है, को इस देश के लिए एक अनमोल रत्न थे ।