मैथिली शरण गुप्त की जीवनी – Maithili Sharan Gupt Biography in Hindi

इस पोस्ट में मैथिली शरण गुप्त की जीवनी ( Maithili Sharan Gupt Biography in Hindi) पर चर्चा करेंगे। मैथिलीशरण गुप्त जी हिंदी साहित्य के प्रथम कवि के रूप में माने जाते रहे हैं. पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा आदि मैथिलीशरण गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हुआ करते थे.

गुप्त जी की कीर्ति भारत में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध हुईं थी. इसी कारण से महात्मा गांधी जी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया था और आज भी हम सब लोग उनकी जयंती को एक कवि दिवस के रूप में मनाते हैं. सन् 1954 ई. में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

मैथिली शरण गुप्त की जीवनी – Maithili Sharan Gupt Biography in Hindi

मैथिली शरण गुप्त को भारतीय आधुनिक हिंदी कवियों मे से महत्वापूर्ण कवि के रुप मे जाना जाता है | उनका जन्म 3 अगस्ता 1886 कों झाँसी के चिरगॉव मे हुआ था | उनके पिता का नाम रामचरण गुप्त और माता का नाम काशीबाई गुप्त था | बचपन मे मैथिली को स्कुली शिक्षा पसंत नही थी |

इसिलिए उनके मातापिता ने उनकी शिक्षा का प्रबंध घर पर ही किया था | उन्होंने बचपन मे ही संस्कूत, अंग्रेजी और बंगाली का अध्यायन किया है | उस समय उनके गुरु महावीर प्रसाद थे | उन्होंने मैंकडोनल हाई स्कूल से अपनी शिक्षा पुरी की |

सन 1895 मे उनकी शादी काशीबाई के साथ हुई थी | उनके बेटे का नाम उर्मिल चरण गुप्ता है | और सिथारामशरण गुप्त उनके रिश्तेदारों मे से एक है | मैथिली शरण गुप्त दिवान शत्रुध्ना सिंह के शिक्षक भी रहे है| मैथिली शरण गुप्ता का 12 डिसेंबर 1964 को भारत मे निधन हुआ था |

कार्य

शुरुवाती दिनों मे मैथली ने साहित्या मे सरस्वती सहित विभिन्ना पत्रिकाओं मे कविताएँ लिखी है | सन 1910 मे उनका पहला प्रमुख काम रंग मे भंग यह भारतीय प्रेस व्दारा प्रकाशित हुआ था | भारत भारती जैसी अनेक राष्ट्रवादी कविताएं भारतीयों के बीच अधीतर लोकप्रीय हुई |

उनकी अधिकांश कविताएँ रामायन, महाभारत, बौध्दा कथाओ और प्रसिध्दा धार्मिक नेतांओं के जीवन के भूखंडो के इर्द गिर्द घुमती है | भारत स्वतंत्रता के बाद वह अपने मृत्यू तक राजया सभा के मानद सदस्या के रुप मे कार्यरित रहे थे |

पूरस्कार सम्मान

  • मैथलि को सन 1854 मे अपने साहित्यिकीक योगदान के लिए तीसरे भारतीय सर्वेाच्चा नागरिक सम्मान पघभूषण से सम्मानित किया गया था |
  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें महात्मा गांधी व्दारा राष्ट्रकवि की उपाधि दी गई |

पूस्ताक

  • मैथलि शरण गुप्त ग्रंथावली अनेक भागों मे प्रकाशित है |
  • सन 2015 को पंचवटी भी मैथिली ने लिखित है |
  • सन 1949 मे उन्होंने यशोधरा पूस्ताक प्रकाशित की है |

मृत्यु – Maithili Sharan Gupt Death

मैथिलीशरण गुप्त जी पर गांधी जी का भी गहरा प्रभाव पड़ा था इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया और कारावास की यात्रा भी की थी. यह एक सच्चे राष्ट्र कवि भी थे. इनके काव्य हिंदी साहित्य की अमूल निधी माने जाते हैं.

महान ग्रन्थ ‘भारत भारती’ में उन्होंने भारतीय लोगों की जाति और देश के प्रति गर्व और गौरव की भावना जगाई है. अंतिम काल तक राष्ट्र सेवा में अथवा काव्य साधना में लीन रहने वाले और राष्ट्र के प्रति अपनी रचनाओं को समर्पित करने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी 12 दिसम्बर सन 1964 ई. को अपने राष्ट्र को अलविदा कह गए.

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