आज के जमाने में जहाँ सब सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं से इतने जुड़े हुए हैं उन सब सेवाओं में से एक Facebook है। आज कल की दुनिया में लगभग हर इंसान इन सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं का आनंद उठाते हैं। बच्चे, जवान व बुजुर्ग सब ही इन सेवाओं का आनंद उठाते पाए जाते हैं।
फेसबुक का इतिहास, मार्क ज़ुकरबर्ग कौन है? History Of Facebook in Hindi
फेसबुक (Facebook) एक एसी सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है जिससे लोग आपने परिवार, रिश्तेदारों व आस पास के जानकार लोगों के साथ संपर्क में रह सकते हैं। फेसबुक जिस कंपनी द्वारा संचालित है उसका नाम फेसबुक इंक है।
फेसबुक नामक इस सेवा की शुरुआत साल 2004 में हार्वर्ड के एक छात्र द्वारा की गयी थी जिसका नाम मार्क ज़ुकेरबरी है। उस समय इस सेवा का नाम The Facebook था। धीरे धीरे जब यह सेवा पूरे यूरोप में पहचानी जाने लगी फिर 2005 में इसका नाम The Facebook Se Facebook कर दिया गया।
Facebook का मुख्यालय पालो ऑल्टो, कैलीफोर्निया डबलिन, आयरलैंड (यूरोप, अफ्रीका एवं मध्य-पूर्व के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय) व सिओल, दक्षिण कोरिया (एशिया का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय) है।
Facebook में 8000 से भी अधिक लोग काम करते हैं। Facebook में Alexa क्षेणी का आरंभ 2 मई 2010 के अनुसार हुआ था। Facebook एक बहुभाषी सेवा है। इसकी शुरुआत 4 फरवरी 2004।
प्रकार | निजी कंपनी |
स्थापना | कैम्ब्रिज, मासाचुसेट्स, संयुक्त राज्य |
संस्थापक | मार्क ज़ुकेरबर्ग एडुआर्दो सॅवेरिन डस्टिन मॉस्कोविट्ज़ क्रिस ह्यूज़ेज |
मुख्यालय | पालो ऑल्टो, कैलीफोर्निया डबलिन, आयरलैंड (यूरोप, अफ्रीका एवं मध्य-पूर्व के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय) सिओल, दक्षिण कोरिया (एशिया का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय) |
Facebook जैसी सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं से खतरा
इन नेटवर्किंग सेवाओं पर भरी हुई जानकारियाँ केवल अपने जान पहचाने वालों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दिखती है और जिसका कुछ लोग गलत फायदा भी उठा लेते हैं।
Facebook पर कई जाली प्रोफाइल भी होते हैं। किसी को भी फ्रेंड बनाने से पहले उस प्रोफाइल की जाँच ज़रूर कर लें।
Facebook की प्राइवेसी की बदलती नीतिओं के कारण उसकी सेटिंग डिफाल्ट में होजाती है उस प्रोफाइल को इस्तेमाल करने वाले प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं पर काफी कम लोग ही उस ओर ध्यान देते हैं।
Facebook का समाज पर प्रभाव
Facebook ने जहाँ सब लोगों के अपने रिश्तेदारों परिवार के सदस्यों से जोड़ा है वहीं कहीं ना कहीं लोगों एक दूसरे से दूर भी किया है। ऐसे लोग जो अपने जान पहचाने वालों से नहीं मिल पाते थे उनको उन सब से एक तरह से जोड़ ज़रूर दिया है पर कहीं ना कहीं लोग एक ही घर में रहकर भी एक दूसरे से दूर हो गए हैं। परिवार में साथ बैठना बातें करना अब कम होता जा रहा है व एक दूसरे को Facebook पर मेसेज करना व चीज़ें Share करना शुरू हो गया है। लोग हर समय बस फोन पर कंप्यूटर पर सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं का ही इस्तेमाल करते रहते हैं।
Facebook का भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अध्ययनों से पता चला है की फेसबुक ही नहीं बल्कि कई सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं से लोगों के मन में एक दूसरे के लिए ईर्ष्या की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। किसी के आत्मसम्मान पर उलटा प्रभाव भी पढ़ सकता है। सामाजिक नेटवर्किंग सेवाओं पर एक दूसरे को नीचा दिखाने से लोगों की मेंटल हेल्थ पर काफी असर पढ़ सकता है इसी कारण बच्चों को तो इन सब चीजों से दूर रखना ही सही है।